चेयरमैन ओम कालवा व ईओ लालचंद सांखला पर आरोप
क्या कोई नगरपालिका अपने ही द्वारा प्लान की गई आवासीय योजना के भूखंडों पर भूमाफियाओं को कब्जा करवा सकती है ?अब तक हमे लगता था शायद नहीं ! क्योंकि अब तक हमने खाली पड़ी सरकारी भूमि पर ही अतिक्रमण की बात सुन रखी थी। लेकिन पूरे सूबे में अपने भ्रष्टाचार के लिए कुख्यात रही सूरतगढ़ नगरपालिका द्वारा ऐसा ही एक कारनामा करने का मामला सामने आया है । मामला सूरतगढ़ नगरपालिका द्वारा वर्ष 2003 में लाई गई आईडीएसएमटी आवासीय योजना से जुड़ा है | नगरपालिका के ही पूर्व चेयरमैन रहे बनवारीलाल मेघवाल ने इस योजना के नीलामी नहीं होने की वजह से रिक्त रहे भूखंड संख्या 11,15 और 16 पर मिलीभगत कर अवैध कब्जा करवाने का आरोप लगाया है । पूर्व चेयरमैन ने मुख्यमंत्री को भेजी शिकायत में सीधे-सीधे नगरपालिका के वर्तमान चेयरमैन ओम कालवा और अधिशासी अधिकारी लालचंद सांखला पर रिश्वत ( मोटी रकम ) लेकर कब्जा करवाने का आरोप जड़ा है। हालांकि आईडीएसएमटी योजना की बात करें तो यह योजना अपनी शुरुआत से ही भ्रष्टाचारियों की भूख शांत करती रही है । योजना के प्रारंभ में ही यानि साल 2003 में योजना के 42 भूखंडों को नगरपालिका के अधिकारियों और कर्मचारियों ने कब्जे होना बताकर नियमन की आड़ में बेच दिया | उसके बाद वर्ष 2004 में चेयरमैन इकबाल मोहम्मद कुरेशी के कार्यकाल में 28 भूखंडो का लॉटरी द्वारा आवंटन किया गया। इस मामले में आरोप लगाने वाले और तत्कालिक चेयरमैन बनवारीलाल मेघवाल के कार्यकाल में वर्ष 2010 में एक बार फिर इस योजना के 69 भूखंडों का लॉटरी द्वारा आवंटन किया गया। इस बार पूरी लॉटरी प्रक्रिया ही सवालों के घेरे में आ गई । जिसके चलते स्वायत शासन विभाग ने आखिरकार भूखंडों का आवंटन के निरस्त कर दिया। यह और बात है कि आवंटन निरस्त होने के बावजूद भी अधिकांश आवंटियों ने भूखंडों पर कब्जा कर मकान व व्यावसायिक इमारतें खड़ी कर ली है।
अब एक बार फिर आईडीएसएमटी योजना चर्चा में हैं ।वर्तमान कांग्रेस सरकार में सूरतगढ़ नगरपालिका भ्रष्टाचार के नित रिकॉर्ड बना रही है। परन्तु अपने ही द्वारा प्लान की गई कॉलोनी के खाली भूखंडों पर कब्जा करवा देना क्या भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा नहीं है ? क्या नगरपालिका के अधिकारियों की भूख इतनी बढ़ गई है कि वह कोई भी हद पार कर सकते हैं ? इसके अलावा क्या यह सवाल भी मौजूं नहीं है कि अगर कोई अधिकारी या महकमा इस हद तक भ्रष्टाचार करने की हिम्मत दिखा रहा है तो वह ऐसा राजनीतिक संरक्षण के चलते तो नहीं कर रहा है ? ये ऐसे सवाल है जिनका जवाब देने की जिम्मेदारी नगरपालिका अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी की तो है ही , इसके साथ ही उन लोगों की भी है जो सूबे की सरकार का सूरतगढ़ में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं । इस पूरे प्रकरण में पालिका के नवनिर्वाचित अध्यक्ष ओम कालवा का नाम भी सामने आ रहा है। क्योंकि ओम कालवा की छवि अभी तक बेदाग रही है और शहर के जनता को उनसे बड़ी आशाएं हैं । इसलिए शहर की जनता की ओर से नवनिर्वाचित अध्यक्ष से हमारा इतना ही कहना है…
दामन अगर है साफ तो खास एहतियात रख ।
इससे जरा भी दाग छुपाया न जाएगा ।।
-राजेन्द्र पटावरी