भाजपा टिकट की प्रबल दावेदार (4): काजल छाबड़ा,चेयरमैन के रूप में शहर कों दी कई सौगातें

POLIITICS

सूरतगढ। आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा की टिकट के लिए करीब 2 दर्जन उम्मीदवार मैदान में ताल ठोक रहे है। इन उम्मीदवारों में से आज हम बात कर रहे है पूर्व पालिकाध्यक्ष काजल छाबड़ा की। पंजाब के अबोहर में जन्मी काजल छाबड़ा हिंदी में एम ए तक शिक्षित हैं। छाबड़ा की राजनीति में एंट्री वर्ष 2014 में हुई जब उन्होंने पार्षद का चुनाव जीता। संयोगवश उन्हें नगरपालिका चेयरमैन बनने का अवसर मिला जिसके बाद वे 2014 से 2019 के बीच चेयरमैन रही। उनके पति सुनील छाबड़ा भी मनोनीत पार्षद रहे है । वर्तमान में काजल छाबड़ा भाजपा की जिला मंत्री के पद पर हैं। गत वर्षो से काजल छाबड़ा पार्टी के सभी कार्यक्रमों में सक्रिय रही हैं।

चैयरमेन के रूप में छाबड़ा ने हासिल की कई उपलब्धियां

नगरपालिका चेयरमैन के रूप में छाबड़ा ने अपने कार्यकाल के दौरान शहर में अनेकों विकास कार्य करवाए। शहर को कैटल फ्री बनाने के लिऐं किसनपुरा आबादी में नंदीशाला का निर्माण, एसडीएम कोर्ट के पीछे अण्डर पास, विमेन हैल्थ एण्ड फिटनेस सेंटर का निर्माण काजल छाबड़ा के कार्यकाल में ही हुआ ।

इसके अलावा उन्होंने बिश्रोई समाज के मन्दिर व धर्मशाला का पट्टा दिलवाया तो सूर्योदय नगरी में प्राथमिक चिकित्सालय का निर्माण भी छाबड़ा ने पालिका अध्यक्ष रहते हुए करवाया। छाबड़ा के कार्यकाल मे कच्ची बस्तीयों में पेयजल पहुंचाने के लिये पाईप लाईने और सडक़ो का जाल बिछाया गया। शहर के अनेक वार्डो में आंगनबाड़ी केन्द्र के भवनो का निर्माण व विभिन्न समाजो को धर्मशाला के लिये भूमि आवंटन, पुरानी धान मण्डी में इन्टरलोकिंग टाईल्स और हाईमाक्स लाईटे भी उनके ही कार्यकाल में लगवाई गई।

भाजपा टिकट की मज़बूत दावेदार है छाबड़ा

जहाँ तक काजल छाबड़ा की दावेदारी की बात है भाजपा में इस बार 70 वर्ष से अधिक आयु के उम्मीदवारों कों टिकट नहीं मिलने की चर्चा है। जिसके चलते सूरतगढ़ विधानसभा में भी टिकट परिवर्तन होना तय है। ऐसे में काजल छाबड़ा का पूर्व चेयरमैन होना दूसरे प्रत्याशीयों के मुकाबले उनकी दावेदारी कों मज़बूत करता है।

इसके अलावा सूरतगढ़ विधानसभा में पिछले कई सालों से जाट प्रत्याशी के विरोध के स्वर गाहे-बगाहे उठते रहते हैं। इस बात से भाजपा आलाकमान भी परिचित है। इसलिये जाट उम्मीदवारों के विकल्प पर पार्टी स्तर पर चर्चा होती है तो भी छाबड़ा दूसरे दावेदारों से इस मायने में भी मज़बूत है कि चुनाव लड़ने के लिए जिन आर्थिक संसाधनों की जरूरत रहती है उनमे भी छाबड़ा दूसरे सभी प्रत्याशियों से आगे है। साथ ही विधानसभा में अरोड़ा-पंजाबी वोटों का करीब 28000 का आंकड़ा भी जातीय समीकरणो की दृष्टि से छाबड़ा के दावे को मज़बूत करता है।

इसके साथ ही पिछले कई विधानसभा चुनावों के परिणामों से यह बात साफ है कि शहरी मतदाता चुनावी नतीजों में निर्णायक भूमिका निभाते है। शहर के बाजार पर क्यूंकि अरोड़ा बिरादरी का वर्चस्व है और काजल छाबड़ा के पति सुनील छाबड़ा प्रमुख व्यापारी नेताओं में शुमार किये जाते है। इसलिये छाबड़ा कों टिकट मिलने पर शहर का एकतरफा समर्थन छाबड़ा को मिलने की संभावना है। इस वजह से भी आंकड़ों में छाबड़ा की दावेदारी मज़बूत नज़र आती है।

छाबड़ा को टिकट मिलने की उम्मीद की एक वजह श्रीगंगानगर जिले का जातीय समीकरण भी है। आमतौर पर भाजपा श्रीगंगानगर जिले में एक टिकट अरोड़ा पंजाबी बिरादरी कों देती है। लेकिन गत चुनावों में भाजपा प्रत्याशी विनीता आहुज़ा की करारी हार से भाजपा अपनी स्टेटर्ज़ी बदलती दिख रही है। अरोड़ा बिरादरी की बहुसंख्यक आबादी के बाद भी कई निर्दलीय पार्टी प्रत्याशी पर भारी पड़े। ऐसे में श्रीगंगानगर सीट पर भाजपा के अरोड़ा कों छोड़कर दूसरे समाज के उम्मीदवार कों टिकट दिए जाने की प्रबल संभावना है। ऐसा होने पर सूरतगढ़ सीट पर अरोड़ा बिरादरी के खाते में जाना तय है। जिसका फायदा काजल छाबड़ा उठा ले जाये तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।

महिला प्रत्याशी होने का भी मिल सकता है फायदा

छाबड़ा का महिला होना भी उनका प्लस पॉइंट है। क्यूंकि सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की विजय लक्ष्मी बिश्नोई एकमात्र महिला विधायक रही है। उसके बाद न तो कभी कांग्रेस ने किसी महिला नेत्री को चुनाव मैदान में उतारा और न ही भाजपा ने। दूसरी और विधानसभा में महिलाओं कों 33 प्रतिशत आरक्षण की बात भी दोनों पार्टियों में उठ रही है। इस लिहाज से माना यह जा रहा है की इस बार किसी मजबूत महिला उम्मीदवार को टिकट देकर मैदान में उतार सकती है।

पति सुनील छाबड़ा के अच्छे संबंधों का मिलेगा लाभ


काजल छाबड़ा के पति सुनील छाबड़ा जों कि पूर्व पार्षद भी है पार्टी के कार्यक्रमों में लगातार सक्रिय रहे है। गत वर्ष अमरपुरा के एमबीयन्स रिसोर्ट में सम्भाग स्तरीय बूथ अध्यक्षों के सम्मेलन के सफल आयोजन में सुनील छाबड़ा की महत्वपूर्ण भूमिका रही जिसके लिए तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने सुनील छाबड़ा की पीठ भी थपथपाई थी । इसके अलावा सुनील भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा,छाबड़ा पिछले लम्बे समय से केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह और प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ से भी लगातार सम्पर्क में हैं।

कुल मिलाकर पूर्व चेयरमैन काजल छाबड़ा भाजपा टिकट पर दावेदारी के मामले में अन्य प्रत्याशीयों के मुकाबले किसी भी तरह से कमतर नहीं है।

चलते चलते……

सूरतगढ़ विधानसभा में वर्षो से कुछ गिने चुने चेहरे इलाके की जनता का प्रतिनिधित्व करते रहे। लेकिन इन नेताओं से इलाके की जनता को निराशा ही मिली है। जनता की नजरों में अब ये चेहरे अपना आकर्षण खो चुके हैं। यही वजह है कि क्षेत्र की जनता को उम्मीद है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में सभी प्रमुख पार्टियां नए चेहरों को आगे रखेंगी। जो भी पार्टी ऐसा करेगी उसके फैसले का स्वागत सूरतगढ़ विधानसभा की जनता अपने वोट की मोहर लगाकर करने को बेक़रार है।

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