कांग्रेस बोर्ड में शहर के प्रवेश द्वार इंदिरा सर्कल की दुर्दशा

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कांग्रेस बोर्ड में शहर के प्रवेश द्वार इंदिरा सर्कल की दुर्दशा

आखिर नगरपालिका प्रशासन कब देगा सर्कल की ओर ध्यान ?

इंदिरा सर्किल के पास हाइवे की खस्ता हालत का बयान करती तस्वीर

सूरतगढ़। किसी भी शहर का प्रवेश द्वार उसके विकास की दशा और दुर्दशा का आईना होता है। इस आईने से ही शहर में प्रवेश करने वाला कोई भी व्यक्ति शहर के विकास को लेकर अपनी राय कायम करता है। बात सूरतगढ़ की अगर करें तो शहर का मुख्य प्रवेश द्वार इंदिरा सर्किल पिछले कुछ सालों से अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है लेकिन जनप्रतिनिधियों को शहर के इस प्रवेश द्वार की  सूध लेने की फुर्सत नहीं है। पिछले तीन-चार सालों में हाईवे के निर्माण के बहाने स्थानीय नगरपालिका प्रशासन ने सर्कल की और देखना भी बंद कर दिया है। जबकि सर्कल भले ही हाईवे सीमा में बना हुआ है पर नगरपालिका प्रशासन इसके सौंदर्यीकरण की पहल कर सकता है।

दुर्दशा पर आंसू बहा रहा शहर का प्रवेश द्वार  

इंदिरा सर्किल के अंदर का हाल बताती तस्वीर

कांग्रेस की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर बनाया गया इंदिरा सर्किल कांग्रेस के ही बोर्ड में अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। सर्कल की हालात इन दिनों बेहद खस्ता है। जिसके चलते आसपास रहने वाले लोगों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। सर्कल के चारों तरफ हाईवे पर बड़े बड़े गड्डे बने है वहीं नालो के ओवरफ्लो से निकला गंदा पानी भी हाइवे पर फैला रहता है। ऐसे हालात में हाईवे के दूसरी तरफ के वार्डों में रहने वाले लोगों को पैदल आना जाना भी मुश्किल हो रहा है। जब पैदल चलने वालों की हालत ऐसी है तो आप खुद अनुमान लगा सकते हैं कि इस सर्कल से वाहन कैसे गुजरते होंगे। भारी वाहन जब चौराहे पर पहुंचते हैं तो गड्डों की वजह से उनकी चाल कछुए को भी शर्मा देती हैं।

इंदिरा सर्किल से श्रीगंगानगर की ओर जाने वाली सड़क की हालात

सर्कल के चारों ओर हाईवे पर बने गड्ढों से एक और निरंतर दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। वहीं दूसरी और  क्षतिग्रस्त सड़क से वाहनों के गुजरने की वजह से दिन भर धूल का गुब्बार हवा में उड़ता रहता है। जिससे सर्कल के आसपास के इलाके में काम करने वालों और निवास करने वालों को सांस सहित गंभीर बीमारियां होने का खतरा बन गया है। 

         वहीं सर्कल की बात करें तो सर्कल का घेरा जगह जगह से क्षतिग्रस्त हो चुका है। इसके अलावा सर्कल की रेलिंग भी कई जगह से टूटी हुई है। इसके साथ ही सर्कल के अंदर की हालात किसी उजड़े हुए बियावान जैसे हो चुकी है। लेकिन पालिका में आपके द्वारा चुने गये जनप्रतिनिधियों ने शुतुरमुर्ग की तरह जमीन में अपनी गर्दन दबा रखी है। कोई अगर मर भी जाये तो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है !

पूर्व चैयरमेन बनवारी लाल ने की थी सर्कल की कायाकल्प की कोशिश

 नगरपालिका के पूर्व चेयरमैन बनवारीलाल मेघवाल के समय में इस सर्कल की कायाकल्प की गई थी। उस समय इंदिरा सर्किल का घेरा काफ़ी बड़ा था इसलिए तत्कालीन चेयरमैन बनवारी द्वारा सर्किल के घेरे को चारों और से पांच-पांच फ़ीट कम करते हुए सर्कल का पक्का निर्माण करवाया गया। सर्कल के चारों ओर की रेलिंग लगाकर रेलिंग को तिरंगे के कलर में रंगा गया था। सर्कल को बड़े शहरों की तर्ज़ पर विकसित करने के उद्देश्य से श्री सीमेंट प्लांट के सहयोग से हाई मास्ट लाइट भी लगाई गई थी। उस समय सर्कल के भीतर सौंदर्यकरण के लिये कयारियां लगाकर उसे हरा भरा करने की कवायद शुरू की गई थी। इतना ही नहीं सर्कल पर अपराधों की निगरानी के लिये CCTV कैमरे (इन्वर्टर सहित) भी उसी समय लगाये गये थे।

                 लेकिन सर्कल के सौंदर्यकरण की जो मुहिम पूर्व चैयरमेन ने शुरू की थी। उस मुहिम पर बाद में आने वाले बोर्डों ने प्लीता लगा दिया है जिसका नतीजा है इंदिरा सर्किल का वर्तमान हालत। 

कांग्रेस बोर्ड में उपेक्षा का शिकार इंदिरा सर्कल

पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के नाम पर बनाये गये इस सर्किल की हालत को देखकर शहर के नेताओं और वर्तमान पालिका बोर्ड को भले ही शर्म नहीं आ रही हो। लेकिन जो लोग सूरतगढ़ के बारे में यह पढ़कर, कि यहां पर एशिया का सबसे बड़ा कृषि फार्म, राज्य का सबसे बड़ा थर्मल पावर प्लांट, आकाशवाणी केंद्र और शिक्षा का नया उभरता हुआ हब है जब किसी कारण से इस शहर में सड़क मार्ग से शहर में प्रवेश करते है तो इंदिरा सर्कल की हालात उनके मन में बनी शहर की छवि को झटका लगता है।

पिछले महीने जब सैनिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष और भाजपा के दिग्गज नेता जसवंत सिंह के पुत्र मानवेन्द्र सिंह जसोल राजपूत समाज के कार्यक्रम में सूरतगढ़ पहुंचे थे तो इंदिरा सर्कल की खस्ता हालात को देखकर भरी सभा में अफ़सोस जताया था और कार्यक्रम में मौजूद पालिका चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा को सर्कल की सुध लेने को कहा था। तब पालिका अध्यक्ष ने जल्द ही सर्कल की हालात सुधारने की बात कही थी। लेकिन ग़ालिब के इस शेर की पंक्तियों की तरह ‘कि शर्म उनको मगर नहीं आती’ चैयरमेन कालवा और पालिका प्रशासन ने बेशर्मी का लबादा ओढ़ रखा है।

               बहरहाल जिस तरह का गैरजिम्मेदाराना रवाईया शहर के विकास को लेकर अब तक चैयरमेन कालवा का रहा है उनसे इंदिरा सर्किल को लेकर उम्मीद रखना बेमानी ही है। कुल मिलाकर छल प्रपंचों में उलझें मास्टरजी शहर की दुर्गति कर कांग्रेस की वोटों की फसल को खरपतवार में बदल चुके हैं। जिसे आने वाले चुनावों में कांग्रेस नेताओं को ही काटना पड़ेगा। जिसके लिये उन्हें तैयार रहना चाहिए !

छात्रा की मौत के बाद हाईवे के साथ इंदिरा सर्किल की भी सुध लेने की जरूरत !

NH-62 पर स्टेडियम ग्राउंड के पास 2 दिन पूर्व हुई दुर्घटना में छात्रा की मौत के बाद सोशल मीडिया पर लोग हाईवे निर्माण कंपनी पर लापरवाही का मुकदमा दर्ज करने की मांग उठा रहे हैं। इस बीच कुछ नेताओं जिनमें पूर्व विधायक राजेंद्र भादू, भाजपा नेता नरेंद्र घिंटाला, किसान नेता राकेश बिश्नोई ने घटना पर खेद जताया है और इस मामले में आज उपखंड कार्यालय पर दोपहर 12:00 बजे प्रदर्शन कर एसडीएम को ज्ञापन सौंपने का आह्वान किया गया है। इस मामले में हाईवे निर्माण कंपनी के विरुद्ध मामला दर्ज किया जाए अच्छी बात है लेकिन इसके साथ इस बात की जरूरत है कि हाईवे पर कछुआ चाल से किए जा रहे निर्माण के लिये निर्माण कंपनी को पाबंद कर कार्य पूर्ण होने की समय सीमा तय की जाए। इसके अलावा निर्माण के दौरान हाईवे पर आवश्यक संकेतक व डायवर्सन लगाकर वाहनों के आवागमन के रास्ते निर्धारित किए जाने की भी मांग की जाए। जिससे कि निर्माण के दौरान कोई अन्य हादसा न हो।

इन सबके अलावा इंदिरा सर्किल की खस्ता हालत के सुधार की मांग भी की जानी चाहिए। क्यूंकि सर्कल पर हाईवे की खस्ता हालत के चलते भी हादसों का अंदेशा बना रहता है। शहर के प्रवेश द्वार के रूप में इंदिरा सर्किल के सौंदर्यकरण की मांग भी संघर्ष समिति को करनी चाहिए ताकि शहर का गौरव बना रहे।

                 

     

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