भाजपा टिकट के प्रबल दावेदार (1) : अशोक नागपाल

HOME POLIITICS

भाजपा टिकट के प्रबल दावेदार (1) : अशोक नागपाल

अशोक नागपाल के नेतृत्व में क्या जीत सकती है भाजपा ?

सूरतगढ़। आगामी विधानसभा चुनाव में सूरतगढ़ क्षेत्र से कई नेता ताल ठोक रहे हैं। कांग्रेस के बनिस्बत भाजपा में टिकट के दावेदारों की संख्या बहुत ज्यादा है। हालांकि इनमें भी सीरियस और मजबूत दावेदार गिने चुने ही है। क्योंकि विधानसभा चुनाव में अब करीब 1 साल का समय ही बचा है। ऐसे में हमने खबर पॉलिटिक्स के जरिये सभी पार्टियों के टिकट के वास्तविक दावेदारों के दावों की पड़ताल करने की कोशिश की है। इसी कोशिश की पहली कड़ी में पूर्व विधायक और भाजपा नेता अशोक नागपाल के टिकट के दावों और जीत के सियासी समीकरणों की पड़ताल करने की कोशिश हम कर रहे हैं।

अशोक नागपाल : भाजपा टिकट के प्रबल दावेदार

सूरतगढ़ में भाजपा की टिकट के सशक्त दावेदारों की बात की जाए तो उनमे एक नाम है पूर्व विधायक अशोक नागपाल का। वर्तमान में अशोक नागपाल भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य है। बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े नागपाल पिछले 40 सालों से संघ और भाजपा में सक्रिय हैं। संघ और पार्टी के कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी निभाने वाले नागपाल सूरतगढ़,अनूपगढ़ सहित जिले के विभिन्न सामाजिक व व्यापारिक संस्थाओं के सक्रिय सदस्य हैं। समाज सेवा में बढ़-चढ़कर भाग लेने वाले नागपाल के समाज के हर वर्ग के लोगों के साथ दोस्ताना संबंध रहे। नागपाल का सरल और मिलनसार स्वभाव उन्हें बीच बीजेपी के दूसरे नेताओं से अलग भी करता है।

अहंकार से दूर रहने वाले नागपाल विवादों से भी दूर रहते हैं। पूर्व विधायक होने के साथ-साथ समाज के सभी वर्गों और उनके प्रमुख लोगों से नागपाल के अच्छे संबंध उनकी दावेदारी को मजबूत करते हैं। इसके अलावा भाजपा के अन्य प्रमुख दावेदारों का भाजपा में ही अंदरखाने जमकर विरोध है जबकि नागपाल को लेकर ऐसा नहीं है। भाजपा में संभवत वे एकमात्र उम्मीदवार है जिनको अगर टिकट दी जाती है तो सबसे कम विरोध होने की गुंजाइश होगी। इन सबके अलावा कुछ और भी कारण है जिनकी वजह से पार्टी के कुछ अन्य प्रमुख नेताओं की दावेदारी खतरे में है। जिनकी वजह से नागपाल की दावेदारी स्वत ही मजबूत हो गई हैं। इन कारणों में कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं।

1.प्रबल दावेदारों का 70 वर्ष से अधिक आयु का होना

        भाजपा में हिमाचल और गुजरात में जिस तरह से 70 प्लस उम्र के नेताओं के टिकटे काटी गई हैं ऐसे में अगर यही फार्मूला राजस्थान में अपनाया जाता है तो वर्तमान और पूर्व विधायक की टिकट कटना तय है। क्योंकि भाजपा परिवारवाद के विरोध का दावा करती हैं ऐसे में इन नेताओं के परिवार के अन्य सदस्य को भी टिकट मिलने की उम्मीद दिखाई नहीं देती। ऐसी स्थिति में भी निश्चित तौर पर अशोक नागपाल पार्टी की पहली पसंद होने में शायद ही किसी को शंका होगी। क्योंकि अशोक नागपाल पूर्व विधायक भी है ऐसे में नागपाल का पूर्व विधायक होना दूसरे अन्य दावेदारों के मुकाबले उनकी दावेदारी को मजबूत करता हूं।

2. टिकट में बदलाव की भाजपा की रणनीति

भाजपा का वर्तमान नेतृत्व बदलाव के लिए जाना जाता है। नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने पिछले 8 सालों में नवीन प्रयोग करते किये है और सभी चुनावों में बड़ी संख्या में नए चेहरों पर दांव खेला है। इसके अलावा सूरतगढ़ विधानसभा सीट पर भाजपा का पिछले लगातार चुनावों में प्रत्याशी बदलने का इतिहास रहा है। जैसे कि 2004 में अशोक नागपाल तो 2009 में रामप्रताप कासनिया, 2014 में राजेंद्र भादू को और 2018 में फिर कासनिया को टिकट मिला। ऐसे में भाजपा के टिकट का बदलाव निश्चित ही है। यदि ऐसा होता है तो टिकट बदलाव की परिस्थिति में अशोक नागपाल ही टिकट के सबसे प्रबल दावेदार होंगे ।

3.जाट प्रत्याशी के विरोध की हवा

पिछले कुछ सालों से विधानसभा क्षेत्र में दोनों पार्टियों में जाट विरोध का नारा चल रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में एक बटन दबाओ दो जाट मारो जैसे नारे चर्चा में रहे थे। कुछ महीने पूर्व खुफिया एजेंसियों द्वारा भेजी गई चुनाव संबंधी रिपोर्ट में भी जाट उम्मीदवार के विरोध की बात कही गई है। ऐसे में अगर भाजपा द्वारा जाट के स्थान पर किसी अन्य जाति के नेता को उम्मीदवार बनाया जाता है तो उन परिस्थितियों मे भाजपा में अशोक नागपाल से बेहतर स्थिति में कोई दूसरा नेता नहीं है। 

4.सेकंड लाइन लीडरशिप की बड़े नेताओं से नाराजगी

भाजपा में अशोक नागपाल की प्रबल दावेदारी की एक प्रमुख वजह यह भी है कि भाजपा के टिकट के दोनों प्रमुख दावेदारों वर्तमान और पूर्व विधायक का विरोध। दोनों नेताओं की नीतियों से पार्टी की सेकंड लाइन और प्रमुख नेता नाराज है। इस वजह से अगर पार्टी द्वारा कोई अंदरूनी सर्वे उम्मीदवार को लेकर करवाया जाएगा तो यह तय है कि अधिकांश नेता वर्तमान और पूर्व विधायक का विरोध करेंगे। ऐसे में अगर किसी तीसरे के नाम पर पार्टी विचार करती है तो अशोक नागपाल ही एकमात्र ऐसे नेता है जिनकी उम्मीदवारी पर पार्टी के सभी नेता एकमत हो सकते हैं। इसकी वजह भी है नागपाल का सभी नेताओं के साथ दोस्ताना संबंध ।

5.संघ पृष्ठभूमि, भाजपा के बड़े नेताओं से सम्पर्क और पूर्व विधायक होना नागपाल की यूएसपी

अशोक नागपाल के पक्ष में एक अच्छी बात यह है कि पिछले 40 सालों से संघ और भाजपा नेता  के रूप में नागपाल के संबंध संघ और भाजपा के बड़े नेताओं के साथ हैं। क्यूंकि भाजपा में टिकट वितरण में संघ का दखल किसी से छुपा नहीं है ऐसे में संघ के पुराने कार्यकर्ता होने के नाते संघ लॉबी का साथ अशोक नागपाल को मिलेगा इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है। पिछले कुछ समय से अशोक नागपाल की बॉडी लैंग्वेज और टिकट को लेकर सार्वजनिक मंचों पर जो आत्मविश्वास दिख रहा है उसकी बड़ी वजह संघ लॉबी है। कहीं ना कहीं इस लॉबी के बड़े नेताओं का टिकट को लेकर नागपाल को आश्वासन है। इसके अलावा नागपाल का पूर्व विधायक होना भी उनकी दावेदारी को अपने आप में ही मजबूत करता है।

क्या अशोक नागपाल भाजपा के टिकट पर जीत सकते हैं चुनावी समर ?

वैसे तो जिस तरह से भाजपा का फिलहाल देश की राजनीति में दबदबा है उस हिसाब से तो भाजपा की टिकट ही जीत का सर्टिफिकेट है। फिर उम्मीदवार चाहे कोई भी हो ? ऐसे में नागपाल भी अगर भाजपा के टिकट पर लड़ते हैं तो उनकी जीत तय है।

नागपाल के खिलाफ ग्रामीण क्षेत्रों में जनाधार नहीं होने जैसी  दलील दी जाती है। लेकिन सूरतगढ़ सीट पर जीत का गणित उसी व्यक्ति के पक्ष में रहा है जिसके पक्ष में शहरी मतदाता रहा है। पिछले किसी भी चुनाव के आंकड़ों को देखकर आप इसकी तस्सली कर सकते है। जिसका सीधा सा मतलब शहर में किसी प्रत्याशी के पक्ष में बनने वाली हवा ग्रामीण वोटरों की राय पर असर डालती है। क्योंकि अशोक नागपाल पिछले 15 सालों से सूरतगढ़ को अपनी कर्मभूमि बनाये हुए है और शहर के सभी समुदायों और व्यापारी वर्ग से उनके मधुर संबंध है। ऐसे में शहरी क्षेत्र का एक बड़ा वर्ग ख़ासकर व्यापारी चाहे वे किसी भी समुदाय के हैं नागपाल के साथ जाना पसंद करेंगे। वैसे भी शहरी मतदाताओं में भाजपा का जनाधार अधिक है ऐसे में सामने प्रत्याशी कोई भी हो उसके लिये भाजपा के टिकट पर नागपाल भी अपराजय बने रहेंगे इसमें शायद ही किसी को संदेह होगा।

अशोक नागपाल का राजनीतिक जीवन परिचय

अशोक नागपाल का जन्म 06 जुलाई 1957 को हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले नागपाल  जनसंघ के समय से राजनीति में सक्रिय हैं। वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य नागपाल ने वर्ष 1976 में बीकानेर के जैन स्कूल से 10+1 ( हायर सेकेंडरी ) की पढ़ाई पूरी की ओर 1976 में ही BJS रामपुरिया महाविद्यालय बीकानेर में स्नातक के लिये प्रवेश लिया । कुछ पारिवारिक परिस्थितियों के चलते नागपाल अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सके और अपने पुश्तैनी कारोबार ( पेट्रोल पम्प व्यवसाय )1 को संभालने के लिये रामसिंहपुर लौट आये ।

1973 से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े नागपाल ने 1980 में भारतीय जनता पार्टी से जुड़कर सक्रिय राजनीति मे प्रवेश किया। वर्ष 1985 से 1988 तक उन्होंने  जनता ट्रक यूनियन,अनूपगढ़ के प्रधान के रूप में कार्य किया। वर्ष 1993 से 1994 तक अनूपगढ़ व्यापार मंडल के अध्यक्ष चुने गए। अगस्त 1995 में भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर अनूपगढ़ नगरपालिका के अध्यक्ष बने । अगस्त 1995 से अगस्त 2000 तक वे इस पद पर रहे।  वर्ष 2003 में 12वीं विधानसभा के लिये भाजपा के प्रत्याशी के रूप में सूरतगढ़ से चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उन्होंने 104549 मत प्राप्त करते हुऐ निकटतम कांग्रेस की विजयलक्ष्मी विश्नोई को प्रतिद्वंद्वी को 36319 मतों  से हराया। दिसंबर 2003 से दिसंबर 2008 तक सूरतगढ़ विधायक के रूप में उन्होंने विधानसभा क्षेत्र में विकास ने अपना योगदान दिया। इन सबके अलावा वर्ष 2000 से 2001 के बीच वे अनूपगढ़ में भाजपा नगर मंडल के अध्यक्ष रहे। वर्ष 2001 से 2004 और 2014 से 2015 में श्रीगंगानगर भाजपा के जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाली। 26 दिसंबर 2019 से भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य के रूप में नागपाल राजनीति में सक्रिय हैं।

– राजेंद्र पटावरी, उपाध्यक्ष-प्रेस क्लब, सूरतगढ़

                 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.