सूरतगढ़। संत आगस्टीन का एक प्रसिद्ध उद्धरण है। वे कहते हैं कि उम्मीद की दो बेटियां होती है। एक क्रोध और दूसरा साहस। क्रोध इसलिये कि चीजें ऐसी क्यों है दूसरी है साहस इसलिये की चीजों को बदला जाना चाहिये ! सूरतगढ़ से टिकट की उम्मीद के लिए कांग्रेस नेता हनुमान मील और मील परिवार टिकट कटने के बाद क्रोध में है। वहीं भाजपा नेता राजेन्द्र भादू नें टिकट कटने के बाद चीजों को बदलने के लिए चुनाव लड़ने का साहस किया है। सोमवार को भादू नें नामांकन दाखिल करने के बाद सभा कर भादू ने एक एक कार्यकर्ता से राजेन्द्र भादू बनकर जुट जाने का आह्वान किया। भाषण के अंत में भादू नें मंच पर नतमस्तक होकर समर्थकों से इस चुनाव में सहयोग की अपील की।
सभा में जुटे हज़ारों की संख्या में समर्थक, हर वर्ग के लोग थे मौजूद
पूर्व विधायक राजेंद्र भादू द्वारा नामांकन से पहले बुलाई गई सभा पर सभी प्रमुख पार्टियों की नजरे थी। ज्यादातर लोग सभा के है असफल होने और भादू द्वारा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लेने की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन सभा में भादू के समर्थन में अच्छी खासी संख्या में पहुंचे समर्थकों नें विरोधियों के अरमानों पर पानी फेर दिया। भीड़ के आंकड़े की बात करें तो करीब 2000 लोग इस सभा में मौजूद थे। उस वक्त जब भादू पिछले 5 साल से सत्ता से बाहर है और किसान नरमे की फसल की कटाई में व्यस्त है ऐसे समय में भीड़ का ये आंकड़ा बुरा नहीं है।
इसके अलावा हमें लगता है कि अभी भी विरोधियों द्वारा भादू के चुनाव नहीं लड़ने की अफवाहों के बीच बड़ी संख्या में लोग विरोधी नेताओं के डर और निगाहों में आने के ख्याल से भी सभा मे नहीं पहुंचे। वरना भीड़ का आंकड़ा कुछ अधिक का भी हो सकता था। फिर भी भीड़ में समाज के सभी वर्गों के और समुदायों के लोग मौजूद थे।
जहां तक मंच की बात है मंच पर बिश्नोई समाज के भागीरथ कड़वासरा, रामस्वरूप बिश्नोई, पूर्व प्रधान सुभाष भूकर, हंसराज पूनिया सहित बड़ी संख्या में विधानसभा क्षेत्र से आये पूर्व सरपंच और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।
हर हाल में लड़ेंगे चुनाव : भादू, जुलुस निकालकर पहुंचे नामांकन भरने
पुरानी धानमंडी में आयोजित सभा में पूर्व विधायक भादू ने हर हालत में चुनाव लड़ने की घोषणा की। इस मौके पर उन्होंने अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाई। साथ ही उन्होंने पूर्व विधायक मील और भाजपा विधायक कासनिया के ताजा गठबंधन पर भी सवाल खड़े किए ? उन्होंने कहा कि पिछले 5 सालों में शहर के जो हालात हुए हैं ऐसे हालात कभी नहीं थे। अवैध अतिक्रमणो और नगरपालिका में भ्रष्टाचार को लेकर दोनों नेताओं की खिंचाई की। उन्होंने कहा कि गरीबों के अतिक्रमण तोड़ने के नाम पर भय दिखाकर भूमाफिया और अधिकारी हिस्सेदारी लेते रहे। लेकिन दोनों पार्टियों के जिम्मेदार लोग आंख मुंदे रहे।
उन्होंने कहा कि क्षेत्र के ऐसे ही हालातों को देखकर उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि चुनाव का परिणाम भले ही कुछ रहे वे शहर के लिए लड़ेंगे। भादू ने कहा कि उनकी जीत राजेंद्र भादू की नहीं सूरतगढ़ की जीत होगी। सभा के अंत में भादू नें मंच पर नतमस्तक होकर सभा में पहुंचे लोगों से समर्थन मांगा।
बाद में पूर्व विधायक सैकड़ो की संख्या में समर्थकों के साथ शक्ति प्रदर्शन के रूप में मुख्य बाजार से होते हुए नामांकन के लिए उपखंड कार्यालय पर पहुंचे और नामांकन की औपचारिकता पूरी की।
कड़वासरा नें गिनाई उपलब्धियां, पूर्व प्रधान नें विरोधियों को बताया गुलाबी सुंडी
पूर्व विधायक के समर्थन में बुलाई की सभा में बिश्नोई समाज के भागीरथ कड़वासरा नें राजेंद्र भादू के कार्यकाल की उपलब्धियां के बारे में बताया। बिश्नोई महासभा को विशाल भूखंड का पट्टा देने, लाइन पर क्षेत्र को जोड़ने वाले करीब आधा दर्जन अंडरपास के निर्माण, सूरतगढ़ से भोजेवाला तक सीधी सड़क, थर्मल क्षेत्र में आधी राशि पर क़ृषि कनेक्शनो, गाँवो व शहरों में गौरव पथ बनाने सहित विभिन्न उपलब्धियों का उन्होंने उल्लेख किया।
2 दिन पूर्व भादू के निवास पर चर्चित भाषण देने वाले पूर्व प्रधान सुभाष भूकर ने एक बार फिर भादू के विरोधियों को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि जब इलाके के लोग पूर्व विधायक के पास गए तो उन्होंने कहा कि मेरी चलती नहीं। लोग जब मील परिवार के पास गए तो उन्होंने कहा कि हमारे पास क्यों आए हैं आपने तो हमें वोट नहीं दिए ! भूकर ने कहा कि अब तो दोनों साथ हैं अब किस मुंह से जनता के पास जाएंगे और क्या जवाब देंगे कि आपने हमारा काम नहीं किया ?
भूकर ने दोनों नेताओं के गठबंधन की तुलना नरमे की फ़सल में खराबे के लिए जिम्मेदार गुलाबी सुंडी से की। उन्होंने कहा कि नरमे में आई गुलाबी सुंडी नें इन 6 महीनो में फ़सल को नष्ट किया है, लेकिन ये सुंडी पूरे 5 साल रहने वाली है इसलिए सतर्क हो जाए। उन्होंने सभा में पहुंचे समर्थकों से हालात को समझकर भादू के साथ चुनाव में जुटने और नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने की अपील की।
भादू बिगाड़ सकते हैं विरोधियों के समीकरण !
राजेंद्र भादू के विरोधी अभी भी यह प्रचार कर रहे हैं कि भादू 9 तारीख से पहले नामांकन वापस ले लेंगे। हालांकि भादू के सभा में दिए गए भाषण से साफ जाहिर है कि भादू चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं। पूर्व विधायक के लिए वैसे भी अपनी राजनीतिक जमीन बचाने का यह आखरी मौका है। इसलिए हमें नहीं लगता है कि पूर्व विधायक इस तरह का निर्णय लेंगे।
बहरहाल अगर पूर्व विधायक अपने स्टैंड पर कायम रहते हैं तो इस बात में कोई संदेश नहीं है कि वे कांग्रेस और भाजपा दोनों प्रत्याशियों के समीकरणों को बिगाड़ देंगे। पूर्व विधायक राजेंद्र भादू एटा सिंगरासर आंदोलन और आधी कीमत पर दिए गए कृषि कनेक्शन की बदौलत आज भी टिब्बा क्षेत्र में दूसरे नेताओं के मुकाबले अच्छी पकड़ रखते हैं। इसके अलावा जेतसर क्षेत्र में भी भादू की पकड़ दूसरे नेताओं से ज्यादा है।
मुश्लिम वोटर में भादू की स्वीकार्यता भी किसी से छुपी हुई नहीं है। शहरी क्षेत्र में जरूर भादू से लोगों में नाराजगी है। लेकिन भाजपा प्रत्याशी रामप्रताप कासनिया और कांग्रेस डूंगरराम गेदर के साथ भी शहरी वर्ग का मतदाता अब तक जुड़ाव नहीं कर पाया है। ऐसे में अगर शहर के लोगों के पास भादू अपनी पुरानी गलतियों को स्वीकार कर समर्थन मांगते है तो सम्भव है कि शहरी क्षेत्र में भादू दोनों नेताओं के मुकाबले ज्यादा समर्थन जुटा ले । क्यूंकि शहर के लोग यह बात जानते है कि तमाम खामियों के बावजूद भादू ने अतिक्रमणो पर प्रभावी अंकुश लगाया साथ ही किसी भी तरह के माफियाओं को भादू ने शरण नहीं दी। इन सब के अलावा भादू का इसी शहर का ही निवासी होना और भादू परिवार के एक-एक रहवासी से नजदीकी संबंध भी एक बार फिर काम आ सकते है।
कुल मिलाकर निर्दलीय होने के चलते भले ही पूर्व विरोधी भादू को कमजोर आंकने की भूल कर रहे हैं। परंतु ये गलतफहमी उनके लिए महंगी बढ़ सकती है। भादू अभी भी 2008 का इतिहास दोहरानें का मादा रखते हैं यह बात उनके विरोधियों को समझ लेनी चाहिए।
– राजेंद्र पटावरी, उपाध्यक्ष-प्रैस क्लब, सूरतगढ़।