
चेयरमैन कालवा से मील परिवार ने किया किनारा, कांग्रेस नेता से उलझना पड़ा भारी

सूरतगढ़। अपनी गुगली से दुश्मनों को परेशान रखने वाले नगरपालिका चेयरमैन ओम कालवा इन दिनों विरोधियों के बाउंसरों से परेशान हैं। बुधवार को कालवा का दायां हाथ माने जाने वाले सहायक लेखाकर सुनील मेघवाल को एपीओ कर दिया गया। चेयरमैन कालवा के लिए यह एक बड़ा झटका है क्योंकि कालवा कहां तो पिछले लंबे समय से लेखाकार सुनील को ईओ का चार्ज दिलवाने की कोशिश में थे और कहां उसे एपीओ कर दिया गया है। इतना ही नहीं पीलीबंगा से वरिष्ठ लिपिक केवल कृष्ण को भी सूरतगढ़ नगरपालिका में लगा दिया गया है। केवल कृष्ण की नियुक्ति भी एक तरह से चेयरमैन कालवा के लिए खून का घूंट पीने समान ही है। क्यूंकि चेयरमैन कालवा ने ही केवल कृष्ण को नगरपालिका से बाहर का रास्ता दिखाया था।
दूसरी और पिछले कुछ दिनों से शहर में अतिक्रमणो के विरुद्ध लगातार जो कार्रवाईयां की जा रही है उन्होंने भी चेयरमैन कालवा की नींद हराम कर दी है। क्यूंकि इन बेशकीमती अतिक्रमणो के पीछे मास्टरजी की अप्रत्यक्ष भूमिका की बात निकल कर सामने आ रही है। वार्ड नंबर 4 में अतिक्रमण हटाने के मामले में चेयरमैन कालवा की भूमिका कुछ-कुछ इस संदेह को मज़बूत कर रही है ।
इस मामले ने वार्ता के दौरान चेयरमैन कालवा ने न केवल अतिक्रमियों को पुनर्निर्माण की छूट दे दी बल्कि नगरपालिका द्वारा वार्ड में 25 लाख रुपए के विकास कार्यों की घोषणा भी कर दी। इतना ही नहीं अतिक्रमण टूटने का चेयरमैन साहब को इस कदर गुस्सा था कि उन्होंने कांग्रेस नेता जिनके निर्देश पर अतिक्रमण हटाए गए उनको ही खुली चेतावनी देते हुए कार्रवाई की बात कह दी। चेयरमैन कालवा यह भी भूल गए कि इन्ही कांग्रेस नेता और उनके परिवार की बदौलत ही वे चेयरमैन की कुर्सी पर विराजमान है।
इस घटना को मील परिवार ने गंभीरता से लिया है। शायद यही वजह है कि मील परिवार द्वारा बुधवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में चेयरमैन कालवा को बुलाया ही नहीं गया। वरना पिछले दो-तीन सालों से पूर्व विधायक गंगाजल मील के साथ साए की तरह नजर आते थे।
सबसे बड़ी बात यह भी है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में सार्वजनिक रूप से पूर्व विधायक चेयरमैन कालवा से किनारा करते दिखे। उन्होंने नगरपालिका में हो रहे गलत कार्यों के लिए सीधे चेयरमैन को उत्तरदायी ठहराते हुए कहा कि ‘हमारा गलत कामों से कोई लेना देना नहीं है, हम चेयरमैन के किसी भी गलत काम के साथ नहीं है’। पूर्व विधायक का यह बयान चेयरमैन कालवा के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है। क्योंकि इस बयान के जरिए मील परिवार ने साफ कर दिया है कि अब नगरपालिका में चल रहे भ्रष्टाचार और चेयरमैन के निरंकुश रवैये को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इसके अलावा पूर्व चेयरमैन बनवारीलाल मेघवाल ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीवरेज घोटाले में चेयरमैन ओम कालवा पर आरोपों को दोहरा कर मामला गर्मा दिया है। उन्होंने चेयरमैन कालवा को हटाने की मांग भी कर डाली है।
क्या चेयरमैन कालवा को ले डूबा उनका अहंकार ?
एक पुरानी कहावत है कि अगर बंदर के हाथ हल्दी की गांठ लग जाए तो वह खुद को पंसारी समझने लगता है। सूरतगढ़ नगरपालिका के चेयरमैन मास्टर ओमप्रकाश कालवा के मामलें में भी कुछ ऐसा ही है। नगरपालिका का चेयरमैन बनने के बाद से मास्टरजी अहंकार का शिकार हो गए। मास्टरजी पर गुरुर इस कदर हावी हो गया कि वे खुद को सुप्रीमो समझने लगे। इसी मुगालते में मास्टरजी ने कभी कर्मचारियों -कर्मचारियों में विवाद करवाए तो कभी पार्षदों-कर्मचारियों और पार्षदों के आपसी विवादों को हवा दी। अपने गुरुर के वशीभूत मास्टर जी ने व्यापारियों और सफाईकर्मियों के विवाद में नकारात्मक रवैया अपनाते हुए कांग्रेस नेता हनुमान मील के प्रयासों पर पानी फेरते विवाद को जानबूझकर सुलटने नहीं दिया।
‘जब नाश मनुज पर छाता है पहले विवेक मर जाता है’ की तर्ज़ पर मास्टरजी प्रेस को भी सबक सिखाने का वहम पाल बैठे और एक यूट्यूबर को मानहानि की धमकी तक दे डाली। मास्टरजी भूल गये कि राजनीति में वही नेता कामयाब हुआ है जिसके मीडिया के साथ मधुर संबंध रहे हैं। ये अलग बात है कि उन्होंने मीडिया कर्मियों को भी लड़ाने का खूब प्रयास किया,परंतु कामयाबी नहीं मिल पाई।
फिर भी राजनीति की चौसर पर लगातार विपक्षियों के मोहरो को पीटने में आनंद की अनुभूति कर रहे मास्टरजी का हौसला लगातार बढ़ता गया। जिसका नतीजा ये रहा कि वार्ड-4 में अवैध अतिक्रमण हटाने के मामले में मास्टरजी ने एक बार फिर कांग्रेस नेता हनुमान मील को ही निशाने पर ले लिया। पूर्व विधायक गंगाजल मील के सरल स्वभाव का फायदा उठाकर मास्टरजी अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति अपनाते हुए चाचा-भतीजे में फूट डालने का प्रयास भी किया। कई मौकों पर मास्टरजी अपने षड्यंत्र में कामयाब होते भी दिखे। लेकिन देर सवेर मील परिवार को मास्टरजी की चालबाजी समझ में आ गई। शायद इसी का नतीजा यह ताजा घटनाक्रम है।
मास्टरजी के लिए आत्ममंथन का वक्त
कुल मिलाकर खुद को राजनीति की पिच का शातिर खिलाड़ी समझने वाले मास्टरजी खुद ही हिट विकेट का शिकार हो गए हैं। अगले कुछ दिनों में उनकी टीम के कुछ और भी विकट गिरे तो आश्चर्य की बात नहीं होगी। कुर्सी के अहंकार में डूबे चेयरमैन कालवा के वर्तमान हालातों को देखते हुए एक शेर की ये 2 पंक्तियां याद आ रही है।
चमन की फिक्र कर नादां मुसीबत आने वाली है।
तेरी बर्बादियों के चर्चे हैं आसमानों में।।
बहरहाल यह वक़्त चेयरमैन कालवा के लिये मंथन का है । चेयरमैन के रूप में 3 साल के उनके कार्यकाल की उपलब्धियां शून्य है। ऐसे में बाकी बचे कार्यकाल में अगर वे तुच्छ राजनीति की बजाय शहर के विकास की तरफ ध्यान दें तो शहर के साथ-साथ उनका और कांग्रेस पार्टी का भी भला होगा।
-राजेंद्र पटावरी उपाध्यक्ष-प्रेस क्लब, सूरतगढ़।