






सूरतगढ़। रंग उमंग और खुशियों का त्योहार होली पूरे भारतवर्ष में धूमधाम से मनाया जा रहा है। हर वर्ष की भांति शहर में भी होली के रंगों की धूम है। क्योंकि वर्ष विधानसभा चुनाव का है तो इस होली के साथ ही चुनावों के रंग भी बिखरने शुरू हो जाएंगे। कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों के साथ ही दूसरी पार्टियों के प्रत्याशी भी चुनावी रैस में एक दूसरे से आगे निकलने को बेताब है। चुनावी होली के इस दंगल में पहलवान या कहें कि भाजपा उम्मीदवारों की संख्या इतनी ज्यादा है कि इन्हें उंगलियों पर नहीं गिना जा सकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा में उम्मीदवारों की बाढ़ सी आई हुई है। जहां एक और विधायक रामप्रताप कासनिया, पूर्व विधायक राजेंद्र भादू व अशोक नागपाल चुनावी समर में आखरी दाव लगाने की लगा रहे है। दूसरी और कई नए चेहरे जो इन दिग्गजों की चुनावी होली को फीका करने की फिराक में है। इनमें भाजपा के पूर्व देहात मंडल अध्यक्ष नरेंद्र घिँटाला, पंचायत समिति डायरेक्टर व युवा नेता राहुल लेघा,पूर्व नगरपालिका चेयरमैन आरती शर्मा, जयप्रकाश सरावगी, सुभाष गुप्ता, प्रदेश मंत्री विजेंद्र पूनिया, राकेश बिश्नोई, मोहन पुनिया जैसे चेहरे शामिल है। हालांकि भाजपा में एक और चेहरे का नाम इन दिनों अचानक से चर्चा में है। वह है पूर्व जिला प्रमुख पृथ्वीराज मील। बताया जा रहा है कि वह भी भाजपा से टिकट की दौड़ में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं। मील के नजदीकी लोगों के मुताबिक मार्च माह के मध्य या अंत तक पूर्व जिला प्रमुख सूरतगढ़ में डेरा डाल सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो भाजपा में टिकट के प्रबल दावेदारों की सूची में यह एक और नाम जुड़ जायेगा। खैर इसके अलावा भी भाजपा में कुछ और नेता भी है जिनका न तो कोई जनाधार है और ना ही कोई तैयारी। लेकिन सोशल मीडिया पर वे भी चुनाव लड़ने की थोथी घोषणा करने से नहीं चूक रहे हैं। पर साहिब लोकतंत्र है जब चुनाव लड़ने से किसी को नहीं रोक सकते तो चुनाव लड़ने की घोषणा करके ध्यान बटोरने वाले बरसाती मेंढकों को आखिर कौन रोक सकता है। लेकिन कहा जा सकता है कि आगामी विधानसभा चुनाव में जीत से बड़ी लड़ाई भाजपा की टिकट के लिये हो सकती है। क्योंकि कांग्रेस के विरुद्ध एंटी इनकंबेंसी का माहौल होगा ऐसे में भाजपा की टिकट लेना आधी जीत हासिल करना माना जा रहा है। खैर देखना होगा कि भाजपा में टिकट की जीत का गुलाल किसके गालों पर सजता है।
भाजपा के विपरीत कांग्रेस में टिकट के दावेदारों की संख्या सीमित है। प्रमुख दावेदारों में मील परिवार से हनुमान मील और शिल्प माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष डूंगरराम गेदर शामिल है। जहां मील परिवार अपने राजनैतिक हैसियत के चलते टिकट का सबसे प्रमुख दावेदार है। वहीं वर्ष 2023 के बजट में जिस तरह से डूंगरराम गेदर की अनुशंसा को गहलोत सरकार ने अहमियत दी है उसको देखते हुए टिकट की लड़ाई कड़ी दिखाई दे रही है। हनुमान मील और डूंगरराम गेदर के अलावा कांग्रेस नेता बलराम वर्मा,पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गगन वीडिंग और अमित कड़वासरा भी टिकट की दौड़ के लिए रेस लगा रहे हैं। अगर कांग्रेस युवा सचिन पायलट को तरजीह देती है तो टिकट के मामले में तगड़ा उलटफेर भी हो सकता है। कांग्रेस और भाजपा के अलावा आम आदमी पार्टी भी चुनावी समर में कूदने की तैयारी कर रही है। हालांकि आम आदमी पार्टी के दावेदारों की स्थिति को लेकर भी स्थिति साफ नहीं है फिर भी आप दावेदारों में परमजीत सिंह बेदी ने चुनाव लड़ने की खुली घोषणा कर रखी है।
कुल मिलाकर इस होली के बाद चुनावी होली का हुड़दंग शुरू होगा। जो नवंबर तक बेरोकटोक चलेगा। पहले टिकट और बाद में जीत का गुलाल खेलने को बेताब चुनावी रसिया अब घर घर रामा श्यामा के लिए आएंगे। आप और हम से चुनावी समर में साथ देने की गुजारिश करेंगे। लेकिन लोकतंत्र में वोट की ताकत से लैस आप लोग अपने सुरक्षित भविष्य के लिए सतर्क हो जाएं। बगैर किसी प्रलोभन के योग्य उम्मीदवार जो चाहे किसी भी पार्टी का हो ही जीत की ग़ुलाल लगाएंगे तभी जीवन में उमंग और खुशियां आएगी।