
निज़ाम की खिसकती दीवारें और अतिक्रमण टूटने से निकलती चीखों की चर्चा

सूरतगढ़। एक पुरानी और काफी चर्चित कहावत है ‘जब निज़ाम की दीवारें खिसकती है तो पहली आफत रंडीयों पर आती है’। अब नेशनल हाईवे पर टिड्डी दल से पहले चर्चित अतिक्रमण हटाने के मामले को ही लें। नगरपालिका चेयरमैन मास्टर ओमप्रकाश कालवा की अप्रत्यक्ष भागीदारी की चर्चाओं के चलते हाईवे पर अतिक्रमणो को लेकर मील परिवार की लगातार आलोचना हो रही थी। जिसके बाद गत दिनों कांग्रेस के एक युवा नेता के निर्देश पर राजस्व प्रशासन ने हाइवे पर कमरे व चारदीवारी सहित अतिक्रमण को हटाकर कई बीघा राजस्व रकबा खाली करवाया।
क्यूंकि इस मामले में चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा का इंट्रेस्ट अतिक्रमण को बचाने का था तो ऐसे में यह अतिक्रमण हटना चेयरमैन कालवा के लिये काफ़ी बड़ा झटका माना जा रहा हैं। लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई से केवल चेयरमैन कालवा को ही झटका नहीं लगा है बल्कि एक आरपीएस अधिकारी और एक आरएएस अधिकारी को भी जोर का झटका धीरे से लगा है। इनमें से आरपीएस अधिकारी को थोड़े समय पहले ही जिले से बाहर भेजा गया है तो वही आरएएस अधिकारी अभी भी जिले में ही अपनी सेवाएं दें रहे है।
बताया जा रहा है कि कुछ महीनो पहले जब करोड़ों रुपए की इस भूमि को हड़पने की कोशिश की जा रही थी उस समय विवाद के चलते मामला पुलिस और प्रशासन तक पहुंच गया था। क्योंकि मामला बेशकीमती सरकारी भूमि पर अतिक्रमण से जुड़ा था तो मास्टरमाइंड ने अधिकारियों का फेवर हासिल करने के लिए ‘माधिये’ के जरिये अधिकारीयों को लूट की जमीन का एक टुकड़ा ऑफर कर दिया। अब आप भी समझते हैं कि हाईवे पर जमीन के छोटे से छोटे टुकड़े की भी कीमत करोड़ों में है तो दोनों अधिकारियों ने जमीन के टुकड़े की एवज में अपना ईमान गिरवी रख दिया। जिसके बाद पुलिस और प्रशासन द्वारा ‘माधिये’ का फेवर किए जाने से मामला एकबारगी ठंडे बस्ते में चला गया।
परन्तु जैसे कि कहा जाता है पाप का घड़ा जरूर भरता है तो अब सत्ता के नशे में डूबे साहब के निज़ाम की दीवारें खिसकना शुरू हो गई है ऐसे में रंडीयों पर आफत आना तय है ?
मास्टरमाइंड के खाकी को ठेंगा दिखाने की भी चर्चा,
हालांकि खबर यह भी है कि आरपीएस का ज्यों ही तबादला हुआ तभी अतिक्रमण के असली मास्टरमाइंड ने माधिये को कहकर खाकी वाले साहब को ठेंगा दिखा दिया था। वैसे खाकी के इन बड़े साहब की इमेज अपने महकमे में काफी समझदार ऑफिसर की रही है लेकिन इस मामले में वह भी ‘माधिये’ के पीछे मौजूद मास्टरमाइंड का काला दिमाग पढ़ने में मात खा गये। ऐसे में अतिक्रमण हटने से संभव है कि खाकी वाले साहब का दुख जरूर कुछ कम हुआ हो। परंतु आरएएस अधिकारी के लिये तो यह बड़ा झटका है। लेकिन पिक्चर अभी बाकी है दोस्तों, बताया जा रहा है कि मास्टरमाइंड की मुंडी इन्हीं बड़े साहब के हाथ में है। क्यूंकि मास्टरमाइंड द्वारा फैलाई गई गंदगी की जांच साहब को ही करनी है तो सम्भव है कि बड़े साहब इस नुकसान की भरपाई गंदगी वाले प्रोजेक्ट पर पर्दा डालकर कर ले।