वफादार, खरीददार या फिर जिताऊ ! कौन होगा भाजपा प्रत्याशी ?

HOME POLIITICS

कासनिया, नागपाल,भादू से इतर चौंका सकते हैं ये चेहरे !

सूरतगढ़। भाजपा की टिकट की घोषणा अब कभी भी होने को है। टिकट को लेकर भले ही विधायक रामप्रताप कासनिया का नाम सबसे आगे चल रहा हो। लेकिन जैसा की कहते है ‘उम्मीद पर दुनिया कायम’। उसी तर्ज पर अभी भी उम्मीदवारों के समर्थन में सोशल मीडिया पर जंग जारी है। हालांकि टिकट की दावेदारी कर रहे भाजपा के करीब डेढ़ दर्जन नेताओं में से ज्यादातर नेता सरेंडर कर चुके है। फिर भी करीब आधा दर्जन नेताओं के नाम उनके समर्थक अब भी सोशल मीडिया पर ठेले जा रहे हैं। जबकि इनमें से कुछ नेताओं की जनता में स्वीकार्यता भी संदेह के घेरे में है। फिर भी कुछ नाम ऐसे है जिनकी दावेदारी टिकट घोषणा से पहले खारिज नहीं की जा सकती।

सोशल मीडिया पर चल रहे ऐसे नामों में विधायक कासनिया, पूर्व विधायक अशोक नागपाल और राजेंद्र भादू के नाम शामिल है। इनमें से टिकट किसे नेता को मिलेगा यह तो भविष्य के गर्भ में है। लेकिन इन नेताओं की टिकट की चर्चाओं के जोर पकड़ने की जो वजह निकलकर सामने आ रही है वो कुछ इस प्रकार है।

विधायक रामप्रताप कासनिया टिकट की दौड़ में सबसे आगे

कासनिया चूँकि वर्तमान विधायक है और कांग्रेस लहर में पिछला चुनाव 10 हज़ार से ज्यादा वोट से जीत चूके है, इसलिये उनका नाम चलना स्वाभाविक है। सूत्रों के मुताबिक कासनिया नें चुनाव लड़ने के लिए नया बैंक खाता खुलवा लिया है और नॉमिनेशन के लिए स्टांप सहित दूसरे दस्तावेजों भी तैयार करवा चूके है। कहा जा रहा है कि कार्यालय की जगह तय कर कासनिया चुनाव मैदान में कूदने को तैयार है। वहीं सट्टा बाजार में कासनिया की टिकट के कम हो रहे भावों नें कासनिया की टिकट की चर्चाएँ तेज़ कर दी हैं। 

नागपाल की टिकट की चर्चा ने पकड़ा जोर, 

पूर्व विधायक अशोक नागपाल के नाम की चर्चाओं की प्रमुख वजह श्रीगंगानगर में कांग्रेस द्वारा अरोड़ा बिरादरी के अंकुर मिगलानी को टिकट की घोषणा है। माना जा रहा है कि अरोड़ा बिरादरी की नाराजगी को देखते हुए कांग्रेस की तरह भाजपा भी जिले में अरोड़ा बिरादरी के प्रत्याशी को टिकट दे सकती है।

साथ ही वर्तमान विधायक के प्रति नाराजगी और जाट विरोध का समीकरण भी अशोक नागपाल को टिकट की चर्चाओं की एक वजह है। इसके अतिरिक्त संघ विचारधारा के व्यक्ति को टिकट देने की चर्चाएं भी नागपाल की नाम को आगे बढा रही है। ये अलग बात है कि संघ विचारधारा से जुड़े विजेंद्र पूनिया और सुभाष गुप्ता भी मैदान में है। लेकिन कांग्रेस के गैर जाट प्रत्याशी के मुकाबले में भाजपा जाट की बजाय गैर जाट नागपाल पर दाव लगायेगी, यह कहना फिलहाल ठीक नहीं होगा है।

कांग्रेस नेताओं द्वारा टिकट दिलाने की कोशिशों से चर्चा में भादू  

दूसरी और राजेन्द्र भादू की बात करें तो एकाएक पूर्व विधायक भादू भी सोशल मीडिया पर टिकट के दावेदार के रूप में उभरे हैं। भादू के पक्ष में चल रहे दावों में कितना दम है कह नहीं सकते। लेकिन ऐसी चर्चा है कि कांग्रेस से जुड़ा एक बड़ा राजनितिक परिवार भादू की टिकट के लिए लॉबिंग कर रहा है। अपनी टिकट कटने से नाराज इस परिवार के नेता अब हर कीमत पर कांग्रेस प्रत्याशी की बली लेना चाहते हैं। इन नेताओं की पटरी वर्तमान विधायक से नहीं बैठती है तो दूसरी और उनकी नज़र में केवल भादू ही गेदर का मुकाबला करने में सक्षम है। इसलिये सोशल मीडिया पर भादू के नाम की चर्चाओं को हवा दी जा रही हैं।

सोशल मीडिया पर टिकट चर्चाओं के बीच भादू परिवार के एक सदस्य द्वारा बुधवार को नॉमिनेशन स्टाम्प लेने की भी चर्चा है। नामांकन की तैयारी कहीं ना कहीं इस बात का संकेत है कि पूर्व विधायक की उम्मीदें अभी टूटी नहीं है। पर क्या वर्तमान विधायक की दावेदारी की अनदेखी कर भादू को टिकट मिलना आसान होगा । शायद नहीं !

खबर पॉलिटिक्स ओपिनियन

कुल मिलाकर सोशल मीडिया पर फिलहाल भाजपा की टिकट इन्हीं तीन में से एक नेता को मिलती दिख रही है। लेकिन जैसा की कहतें है कि राजनीति संभावनाओं की कला है। ऐसे में हमें लगता है इस सीट पर भाजपा जिताऊ के परम्परागत फॉर्मूले के अलावा 2 और संभावित एंगलों पर विचार कर सकती है। इसलिये इन्हीं तीन एंगलों में फिट रहने वाले किसी नेता को टिकट मिलनें की उम्मीद है ।

सबसे पहले एंगल की बात करें तो पार्टियां हमेशा जिताऊ उम्मीदवार पर ही दाव लगाती है। जहां तक सूरतगढ़ विधानसभा की बात है भाजपा आलाकमान जानता है कि गेदर की चुनौती बहुत बड़ी है। जिसका सामना केवल गैर जाट के मुकाबले जाट प्रत्याशी को खड़ा कर ही किया जा सकता है। इसका अर्थ है कि अगर भाजपा इस सीट पर मुकाबला करने के लक्ष्य को लेकर टिकट देगी तो किसी जाट नेता को ही टिकट मिलेगी। टिकट मांग रहे जाट नेताओं में फिलहाल कासनिया ही सबसे भारी है। ऐसे में विधायक कासनिया टिकट की दौड़ में सबसे आगे दिख रहें है।

टिकट वितरण को लेकर एक दूसरी संभावना ये भी है कि भाजपा इस सीट पर जातीय समीकरणों की अनदेखी का प्रयोग करते हुए कांग्रेस के गैर जाट प्रत्याशी के मुकाबले में अरोड़ा बिरादरी के नागपाल को टिकट थमा दे। जिले की दूसरी विधानसभाओं में अरोड़ा बिरादरी के वोट को साधने के लिए पार्टी ऐसा प्रयोग कर सकती है। परन्तु यह संभावना मात्र कयास ही है।

ऊपर लिखी संभावनाओं से इतर इस सीट पर भाजपा एक और एंगल से भी मंथन कर सकती है। इस एंगल की बात करें तो राजनितिक पार्टियों के सामने कई बार ऐसे मौके आते हैं जब किसी पर्टिकुलर सीट पर विपक्षी प्रत्याशी के सामने पार्टी को कोई भी दावेदार जिताऊ नजर नहीं आता है। ऐसी हालत में पार्टी उस पर्टिकुलर सीट पर प्रयोग करती है। यह प्रयोग ज्यादातर मामलों में पार्टी फण्ड में सहयोग के बदले टिकट के रूप में सामने आता है तो कुछ मामलों में ऐसी सीट पर पार्टी के वफादार नेता को टिकट देती है। सूरतगढ़ सीट पर गेदर की घोषणा के बाद के वोटों के जातीय समीकरणो के चलते भाजपा के सामने कुछ ऐसे ही हालात है। भाजपा का कोई भी नेता गेदर की चुनौती का मुकाबला फिलहाल करता नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में किसी संघनिष्ठ नये चेहरे या फिर पार्टी फण्ड में बड़ा योगदान करने वाले नेता को टिकट मिलने की भी संभावना है। भाजपा में इस एंगल में टिकट के दावेदारों की बात करें तो एक पूर्व अध्यक्ष या फिर टिकट को लेकर सबसे आश्वस्त एक व्यापारी नेता को टिकट मिल जाये तो आश्चर्य नहीं होगा है।

कुल मिलाकर हमारी ओपिनियन के अनुसार भाजपा इस सीट पर मुकाबले के एंगल से ही टिकट देगी। जिसके चलते वर्तमान विधायक रामप्रताप कासनिया को टिकट मिलना करीब करीब तय है। फिर भी भाजपा अरोड़ा बिरादरी के वोट को साधने की मजबूरी अशोक नागपाल और पार्टी फण्ड में योगदान या कार्यकर्ता को ओब्लाईज़ करने का एंगल एक पूर्व अध्यक्ष या फिर व्यापारी नेता के भाग्योदय की वजह बन सकता है !

– राजेंद्र पटावरी,उपाध्यक्ष,प्रेस क्लब सूरतगढ़।

2 thoughts on “वफादार, खरीददार या फिर जिताऊ ! कौन होगा भाजपा प्रत्याशी ?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.