सूरतगढ़। शहर के वार्ड नंबर 26 में पुराने हाउसिंग बोर्ड में आचार संहिता के दौरान फिर से हुए चर्चित अतिक्रमण को आख़िरकार पालिका अमले ने सोमवार को ध्वस्त कर दिया। सरकारी संपत्ति के बोर्ड को उखाड़ कर मुकेश फौजी नामक व्यक्ति द्वारा किए गए इस अतिक्रमण पर चुप्पी को लेकर पालिका प्रशासन की लगातार आलोचना हो रही थी।


गौरतलब है कि पूर्व में जब नगरपालिका द्वारा भूखंड पर अतिक्रमण हटाया गया था उस समय मुकेश फौजी और उसके साथियों ने पालिका हमले पर हमला कर दिया था। दौरान हुई पत्थरबाजी में पालिका के अतिक्रमण प्रभारी कालूराम सैन और जेसीबी चालक को चोट भी लगी थी। इसके बाद आरोपी मुकेश फौजी और उसके साथियों के विरुद्ध मामला भी दर्ज करवाया गया था।

यही वजह है कि जब आरोपी मुकेश फ़ौजी द्वारा आचार संहिता का फायदा उठाकर ज़ब फिर से भूखंड पर निर्माण कर कब्जा किया गया तो यह मामला चर्चा का विषय बन गया। खबर पॉलिटिक्स सहित विभिन्न मीडिया संस्थानों ने इस मामले को फिर पुरजोर तरीके से उठाया। परन्तु लगातार दो माह तक मामला सुर्खियों में होने के बावजूद पालिका प्रशासन मुंह में दही जमाए बैठा रहा।
वैसे इस मामले में एक पूर्व विधायक के पुत्र का अतिकर्मी को वर्धहस्त होने की चर्चा भी लगातार चल रही थी। लेकिन अतिक्रमणो को लेकर लगातार हो रही किरकरी के चलते आखिरकार पालिका प्रशासन ने अतिक्रमण को हटाने के आदेश जारी कर दिए।
जिसके बाद सोमवार को पालिका के अतिक्रमण रोधी दस्ते के प्रभारी कालूराम सैन के नेतृत्व में पालिका मला हाउसिंग बोर्ड पहुंचा और जेसीबी मशीन की मदद से भूखंड पर किए गए निर्माण को ध्वस्त कर दिया। इस दौरान पालिका टीम ने भूखंड पर एक बार फिर सरकारी संपत्ति का बोर्ड लगा दिया साथ ही मलबे को जप्त कर नंदी शाला भिजवा दिया।
वार्ड नंबर-3 से भी हटाया अवैध अतिक्रमण


पालिका हमले में सोमवार को हाउसिंग बोर्ड के अलावा वार्ड नंबर 3 में भी एक प्लॉट पर किए गए अतिक्रमण को हटा दिया। त्रिमूर्ति मंदिर से रिलायंस पेट्रोल पंप की ओर जाने वाली सड़क पर सामुदायिक भवन से ठीक पहले खाली पड़ी जमीन पर हुआ यह अतिक्रमण भी पिछले 5 वर्षों से चर्चा का विषय बना हुआ था। प्रशासन द्वारा इस अतिक्रमण को भी कई बार हटाया गया था लेकिन हर बार राजनीतिक दबाव के चलते फिर से अतिक्रमण हो गया।
इस बेशकीमती भूखंड पर हुए शुरू में ज़ब पहली बार अतिक्रमण हुआ उस समय एक पूर्व विधायक के नजदीकी व्यक्ति का नाम उछला था। पूर्व में जब ईओ मिल्खराज चुघ के समय में इस अतिक्रमण को हटाया गया तो बताया जा रहा है कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई से पूर्व विधायक काफी नाराज हो गए और उन्होंने इसके लिए ईओ चुघ को खूब खरी खोटी सुनाई। चर्चा यह भी है कि बाद में पूर्व विधायक के खास ने यह भूखंड कांग्रेस के एक युवा नेता को बेच दिया जिसने भूखंड को एक बार फिर आगे बेच दिया।
वैसे यहां पर यह गौरतलब है कि यह भूखंड नगरपालिका द्वारा काटी गई 100 फीट रोड पर स्थित है जिस पर कोई कैसे कब्जा कर सकता है। पर क्योंकि यह सूरतगढ़ नगरपालिका है तो यहां पर सब कुछ संभव है। बहरहाल न जाने किस वजह से नगरपालिका प्रशासन ने सोमवार को भूखंड से अतिक्रमण को हटा दिया। लेकिन यहां पर यह भी देखना होगा कि आखिर यह बेशकीमती भूखंड शहर के भूमाफियाओं की गिद्ध दृष्टि से कब तक बचे रहते हैं