पिछले ढाई साल से पंजीयन शुल्क के रूप में वसूले जा रहे थे एक हज़ार रूपये

सूरतगढ़। सूरतगढ़ नगरपालिका में कहने को तो 45 पार्षद है जिनमे से भाजपा, माकपा और निर्दलीय सहित 22 पार्षद विपक्ष में है। लेकिन जब बात जनता के मुद्दों और भ्रष्टाचार पर बोलने की होती है तो दो तीन पार्षदों को छोड़कर आपके चुने हुए पक्ष और विपक्ष के सभी पार्षदों को सांप सूंघ जाता है। मामला विवाह पंजीयन शुल्क का ही लें। ज़ब नगरपालिका में चेयरमैन कालवा द्वारा विवाह पंजीयन शुल्क को ₹100 से बढ़ाकर 1000 रुपए करने का प्रस्ताव लाया गया तो आपके चुने हुए पार्षदों ने भेड़ों की तरह प्रस्ताव पर चर्चा किए बिना सीटें थपथपा दी और प्रस्ताव को पास कर दिया । ठीक वैसे ही जिस तरह से कोई गडरिया अपने डंडे से भेड़ों को किसी भी दिशा में इशारे मात्र से हाँक देता हैं और अगर उस दिशा में गड्ढा भी हो तो सारी की सारी भेड़ें गड्ढे में कूद पड़ती हैं। इस मामले में आप के चुने हुए पार्षदों का व्यवहार कुछ ऐसा ही था ।
इस प्रकरण में ज़ब हमने चेयरमैन कालवा से बात की तो उनका तर्क था कि लोग हजारों रुपए शादी में खर्च करते हैं क्या ₹1000 फीस नहीं दे सकते ? शहर की जनता की जेब काटकर की गई इस लूट के खिलाफ जब हमने ‘खबर पॉलिटिक्स’ में आवाज उठाई तो अगली बैठक में माकपा के एकमात्र पार्षद मदन ओझा ने इस मुद्दे को उठाया। लेकिन नक्कारखाने में तूती की तरह उनकी आवाज भी दब कर रह गई। हां इतना जरूर हुआ कि उनके विरोध पर अनुसूचित जाति/ जनजाति के लिए विवाह पंजीयन की फीस को घटाकर 1000 से 500 कर दिया गया।

लेकिन इसके बाद से पिछले करीब ढाई साल से यह लूट बदस्तूर जारी थी। लेकिन आपके लुटे हुए, डरे हुए और लालच के चलते सत्ताधारियों की चरण वंदना करने वाले पार्षदों को आपका बिल्कुल भी ख्याल नहीं आया। पर जैसा कि कहते हैं कि अन्याय का अंत होता है। देर से ही सही शहर में सीवरेज घोटाले को लेकर आवाज बुलंद कर रहे भाजपा के पार्षद हरीश दाधीच को मीडिया से इस मुद्दे की जानकारी मिली तो उन्होंने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर विवाह पंजीयन शुल्क को कम करने की मांग की। यहीं नहीं इसके बाद पार्षद हरीश दाधीच ने विवाह पंजीयन फीस को कम करने सहित 5 सूत्री मांगों को लेकर पालिका कार्यालय के सामने धरना शुरू कर दिया।
भाजपा के ही पार्षद राजीव चौहान भी इस मुहिम में शामिल हुए। इन दोनों पार्षदों के संघर्ष का नतीजा ये है कि पालिका प्रशासन ने आज इस नादिरशाही फरमान को बदलते हुए विवाह पंजीयन शुल्क हजार रूपये से घटाकर 10 रूपये कर दी है। पालिका के नए आदेश के बाद से विवाह के 21 दिन तक महज ₹10 ही विवाह पंजीयन शुल्क के रूप में वसूले जाएंगे। वही 21 दिन बाद ₹100 शुल्क ही ली जाएगी।
यह आदेश हरीश दाधीच और राजीव चौहान के अलावा भाजपा और दूसरी पार्टियों के पार्षदों के लिए एक तमाचा है जो जनता से वोट लेकर सत्ताधारियों के हाज़रिये बन चुके है। शहर की जनता को भी सोचना चाहिए कि आपने किन कायरों को अपने वोट की ताकत सौंप दी है जो आपके हक और हुकूक की आवाज को नगरपालिका में बुलंद ही नहीं कर सकते। उम्मीद की जानी चाहिए जनता के वोट से मिली ताकत को अपने स्वार्थों के चलते गिरवी रख देने इन जनप्रतिनिधियों के चाल,चरित्र और चेहरे को जनता याद रखेगी।
- राजेंद्र पटावरी, उपाध्यक्ष-प्रेस क्लब, सूरतगढ़