सूरतगढ़। भाजपा विधायक रामप्रताप कासनिया को टिकट मिलने से पूर्व विधायक राजेंद्र भादू नाराज है। भादू का टिकट कटने के बाद शुक्रवार को सुबह 10:00 बजे उनके निवास पर बड़ी संख्या में समर्थक पहुंचे और भादू से चुनाव लड़ने की मांग की। इनमें कई वर्तमान और पूर्व सरपंच, डायरेक्टर सहित राजनीति से जुड़े कई लोग मौजूद रहे। समर्थकों ने भादू के 5 साल के कार्यकाल में इलाके में हुए जबरदस्त विकास कार्यों की प्रशंसा की। इसके साथ ही वर्तमान विधायक रामप्रताप कासनिया की कार्यशाली की आलोचना करते हुए गंभीर आरोप भी लगाए।
भादू समर्थकों का कहना था कि जब भी उन्हें वर्तमान विधायक से काम पड़ा तो उन्हें निराशा ही हाथ लगी। बैठक में मौजूद समर्थकों ने एक सुर में भादू से चुनाव में लड़ने का निर्णय लेने पर तन मन धन से सहयोग करने की घोषणा की। बैठक के दौरान कई मौकों पर समर्थकों ने राजेंद्र भादू जिंदाबाद के नारे लगाए।
पूर्व प्रधान सुभाष भूकर का भावुक संबोधन रहा चर्चा का विषय
पूर्व विधायक के निवास पर हुई बैठक में भादू के कई समर्थक भावुक नज़र आये। भादू समर्थकों के संबोधन में यह साफ नजर आ रहा था कि भादू की टिकट कटने से उन्होंने निराशा हुई है। इस बैठक में पूर्व प्रधान सुभाष भूकर का भावुक संबोधन भी चर्चा का विषय रहा।
पूर्व प्रधान ने अपने संबोधन में प्रधान रहने के दौरान पूर्व विधायक के कार्यकाल में करवाए गये विकास कार्य गिनवाये। उन्होंने सूरतगढ़ से भाजेवाला सड़क निर्माण का उदाहरण देते हुए कहा कि यह ऐसा काम था कि जो किया असंभव सा दिख रहा था लेकिन विधायक भादू नें लोगों की परेशानी को देखते हुए इस असंभव कार्य को संभव बनाया। पूर्व प्रधान नें कहा कि अपने कार्यकाल में भादू नें गलत कामों का समर्थन नहीं किया। उन्होंने खुद का उदाहरण देते हुए यह भी कहा कि खुद उनके कई कामों को भादू नें इनकार कर दिया। लेकिन वह जब-जब जनता के किसी काम के लिए भादू से मिले तो उन्होंने किसी भी काम को नहीं रोका।
पूर्व प्रधान नें उपस्थित लोगों से कहा कि योग्य व्यक्ति की जगह अयोग्य व्यक्ति को टिकट का निर्णय बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। भूकर ने पूर्व विधायक से चुनाव में उतरने की मांग करते हुए सभी लोगों से समर्थन की अपील की।
भादू नें 6 नवंबर को सभा बुलाकर निर्णय लेने का किया आह्वान
इस अवसर पर राजेंद्र भादू ने समर्थकों को दिए गए संबोधन में कहा कि पिछली बार की तरह पार्टी ने इस बार भी वसुंधरा गुट का होने के चलते उनका टिकट काट दिया। अपने संबोधन में भादू ने पिछले चुनाव में विधायक कासनिया के आखिरी चुनाव होने के वादे पर मांगे गए समर्थन का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि जैसी चर्चा थी अगर पार्टी किसी युवा चेहरे को टिकट देती तो उन्हें अफसोस नहीं होता। लेकिन पार्टी ने उनके दावे और सर्वे के अनदेखी कर फिर से वर्तमान विधायक को टिकट दे दी।
समर्थकों की चुनाव लड़ने की अपील पर भादू नें कहा कि अगले दो दिन तक सभी लोग अपने-अपने क्षेत्र के गांव गांव ढाणी ढाणी में संपर्क करें और 6 नवंबर को पुरानी धानमंडी में होने वाली सभा में पहुंचे। उन्होंने कहा कि सभा में समर्थकों की सलाह पर वे पर्चा भरने का निर्णय करेंगे।
राजेंद्र भादू मुकाबला बना सकते हैं त्रिकोणीय ?
6 नवंबर को होने वाली सभा में राजेंद्र भादू क्या निर्णय करते हैं यह तो आने वाला समय बताएगा। लेकिन अगर भादू की दावेदारी की बात करें तो उस समय में जब वर्तमान विधायक की छवि उनकी भाषा शैली के चलते लोगों में नेगेटिव बन चुकी है और कांग्रेस के प्रत्याशी का खुद पार्टी का ही एक धड़ा विरोध कर रहा है, राजेंद्र भादू की दावेदारी को कमजोर नहीं आंका जा सकता। दोनों प्रत्याशियों से नाराज लोगों का समर्थन उन्हें मिलना तय दिख रहा है।
ग्रामीण क्षेत्र की बात करें तो टिब्बा क्षेत्र के साथ जैतसर इलाके में भी भादू की अच्छी खासी पकड़ है। परंपरागत रूप से कांग्रेस का माने जाने वाला मुस्लिम समुदाय भी राजेंद्र भादू का मुरीद है। वहीं गेदर को टिकट मिलने से नाराज मील परिवार भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भादू के मदद करेगा जिसका लाभ भी भादू को मिल सकता है।
इसके अलावा शहरी क्षेत्र की बात करें तो विधायक रामप्रताप कासनिया से शहर की अधिसंख्य जनता का मोहभंग होता दिख रहा है। विधायक की टिकट की घोषणा के बाद भी कासनिया को बधाई देने में जिस तरह का ठंडा रिस्पांस शहर की जनता नें दिया है वह कासनीया की कमजोर होती पकड़ को दिखाता है। दूसरी और गेदर कासनिया से लोगों की नाराजगी के चलते भले ही चुनाव की दौड़ में आगे चल रहे हो लेकिन कांग्रेस के ही दूसरे नेताओं के खौफ के चलते अभी भी कांग्रेस कार्यकर्ता और समर्थक उनके साथ खुलकर नहीं आए हैं।
ऐसे हालातों में भादू को तीसरे विकल्प के रूप में देखा जा सकता है। पुराने कार्यकाल में भादू द्वारा समर्थकों की अनदेखी और जनता की नाराजगी हालांकि अभी भी बरकरार है। लेकिन फिर भी अगर भादू एक बार फिर जनता के बीच पहुंचते हैं तो मौजूदा विकल्पों में अभी भी पिछली बातों को भुलाकर जनता के एक बड़े वर्ग के उनके साथ खड़ा होने की संभावना है। क्यूंकि तमाम नेगेटिव एस्पेक्ट के साथ जनता भादू को इस बात के लिए याद भी करती है कि उन्होंने शहर की सबसे बड़ी समस्या अतिक्रमणों को लेकर पूरे कार्यकाल में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई। इसके साथ ही उन्होंने अपराधिक तत्वों को कभी भी व्यवस्था पर हावी नहीं होने दिया।
क्या भादू परिवार की राजनीति का होगा अंत…?
6 नवंबर को होने वाली सभा में पूर्व विधायक भादू चुनाव लड़ने या नहीं लड़ने की घोषणा शहर की राजनीति में भादू परिवार के भविष्य को तय करेगी। क्योंकि राजेंद्र भादू के परिवार का कोई भी पुत्र अभी तक सक्रिय राजनीति में नहीं है। ऐसे में भादू के चुनाव नए लड़के की घोषणा भादू परिवार की राजनीति का अंतिम अध्याय साबित होगी। राजनीति में दखल रखने वाला कोई भी परिवार हर सम्भव तरीके से राजनीति में बना रहना चाहता है। इसलिये यह संभव है कि राजेंद्र भादू चुनाव लड़े। एक मामूली संभावना यह भी है कि वह अपने पुत्र अमित भादू को सक्रिय राजनीति में उतारने होते हुए चुनाव लड़ाये।
भादू परिवार के राजनीतिक भविष्य पर अंतिम टिप्पणी से पहले हमें लगता है कि 6 नवंबर का इंतजार करना चाहिए।