सूरतगढ़। करीब 23 साल पहले वर्ष 2001 में डायरेक्टर एस शंकर की एक फिल्म आई थी ‘नायक’। उस समय बेहद चर्चित रही इस फ़िल्म मे संयोगवश फिल्म का नायक अनिल कपूर एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बन जाता है। सीएम बनने के बाद एक दिन में ‘नायक’ अनिल कपूर एक के बाद एक शानदार फैसले लेता है। हालात यह बनते हैं कि करप्शन से त्रस्त जनता नायक के कामों से प्रभावित होकर उसे पूर्णकालिक सीएम बनाने की मांग करनें लग जाती है।

रुपहले पर्दे की ऐसी ही कुछ कहानी इन दिनों सूरतगढ़ नगरपालिका में दोहराई जा रही है। असल जिंदगी में चल रही इस फ़िल्म में अनिल कपूर की जगह ‘नायक’ की भूमिका में पालिका के मनोनीत चेयरमैन परसराम भाटिया है। परसराम भाटिया नें 29 जुलाई को चेयरमैन का कार्यभार ग्रहण किया था। उसके बाद से वे लगातार एक के बाद एक फैसले लेते हुए नगरपालिका की बदहाल हो चुकी व्यवस्था की सूरत बदलने में जुटे हुए हैं। पहले जहाँ लोगों को महीनों चक्कर काटने के बावजूद पट्टे नहीं मिल रहे थे, वहीं भाटिया नें अपने महज 15 दिन के कार्यकाल में 570 पट्टे बना कर गुरूवार को बांट भी दिए। चेयरमैन भाटिया के मुताबिक अगले कुछ दिनों में एम्पावर्ड कमेटी की बैठक कर करीब 300 पट्टे और जारी किये जाने है। यही नहीं पांच साल से चल रहा किशनपुरा आबादी स्थित आवासीय कॉलोनी का मामला भी उन्होंने चेयरमैन बनते ही कुछ ही दिनों में सुलझा दिया और बोलीदाताओं को प्लॉट का आवंटन भी कर दिया। इसी तरह से वार्ड नंबर-26 के पट्टों का मामला भी भाटिया के प्रयासों से लगभग सुलझ चुका है। निजी खातेदारी की सीमाओं से बाहर आने वाले वार्ड-26 के लोगों को जल्दी पट्टे जारी होने की बात भाटिया द्वारा कही जा रही है। इसके साथ ही शहर के विकास के दृष्टिगत भाटिया नें अपने छोटे से कार्यकाल में विकास कार्यों के 10 से 12 करोड़ के टेंडर जों पूर्व में अटके हुए थे, का वर्क आर्डर जारी कर दिया है। गुरुवार को पट्टा वितरण कार्यक्रम और पालिका बोर्ड की बैठक में ईओ शैलेंद्र गोदारा ने साफ किया कि चेयरमैन परसराम भाटिया के मंशा अनुसार जहां भी जरूरत होगी तुरंत टेंडर कर वर्क आर्डर जारी किये जायेंगे। पूर्व में जहां पर पालिका की साधारण सभा की बैठक महीनो नहीं होने से पार्षदों में नाराजगी रहती थी वहीं भाटिया ने चेयरमैन बनते ही कुछ ही दिनों में बोर्ड की बैठक बुला ली। यह अलग बात है कि राजनीति के चलते भाजपा पार्षदों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया। इसके अलावा भी भाटिया लगातार अधिशासी अधिकारी शैलेंद्र गोदारा के साथ मिलकर शहर की सफाई व्यवस्था को बहाल करने में जुटे हैं। इसके लिए शहर की सफाई व्यवस्था को चौपट करने के जिम्मेदार कुछ कार्मिकों को नोटिस भी दिए गए हैं। भाटिया की सख्ती का नतीजा है कि पालिका में कार्यभार ग्रहण करने के बाद से नगरपालिका के कर्मचारी, जों अपनी कार्यशैली को लेकर कुख्यात रहे है अलर्ट मोड पर आ चुके है। इसके साथ ही खुद परसराम भाटिया दिनभर पालिका कार्यालय में बैठकर लोगों की समस्याएं सुन रहे हैं। पूर्व चेयरमैनों के विपरीत भाटिया संबंधित अधिकारियों और कार्मिकों को बुलाकर समस्याओं के तुरंत निस्तारण का निर्देश दे रहे हैं। भाटिया की इसी कार्यशैली के वजह से सूरतगढ़ नगरपालिका जो वीरान हो चूकी थी इन दिनों पूरी तरह से आबाद नज़र आ रही है। पालिका में दिन भर फरियादियों का रैलम पैला लगा रहता है।
बहरहाल जिस तरह से फिल्म में नायक अनिल कपूर को अचानक ही परिस्थितिवश 1 दिन का सीएम बनने का मौका मिलता है। उसी प्रकार से परसराम भाटिया को भी पूर्व चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा के निलंबन के चलते अकस्मात ही अस्थाई तौर पर चेयरमैन बनने का अवसर मिला है। भाटिया का भविष्य चेयरमैन कालवा के मामले में हाईकोर्ट के निर्णय पर टिका हुआ है। शायद यही वजह है कि ‘नायक’ के हीरो की तरह ही भाटिया भी बहुत जल्दी में है। वे इस अवसर को यादगार बना देना चाहते हैं और इसके लिए दिन रात एक किए हुए हैं।
उनकी कोशिशों का नतीजा है कि फिल्म के ‘नायक’ की तरह ही भाटिया फिलहाल शहर में चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। ‘नायक’ फ़िल्म के अंत में जनता जिस तरह से हीरो अनिल कपूर के कामों से प्रभावित होकर उसे पूर्णकालिक सीएम बनाना चाहती है। ठीक ऐसी ही भावना चेयरमैन भाटिया के मामले में शहर की जनता की बनती जा रही है।
बहरहाल परसराम भाटिया और कितने दिनों तक नगरपालिका के चेयरमैन बने रहते हैं यह तो भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है। फिलहाल शहर का आमजन भाटिया के चेयरमैन बनने से काफी खुश नजर आ रहा है।