सूरतगढ़। अवैध अतिक्रमणों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर हाईकोर्ट ने श्रीगंगानगर जिला कलेक्टर, सूरतगढ़ उपखंड अधिकारी व तहसीलदार को ₹20000 के जमानतीय वारंट के साथ तलब किया है। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने प्रार्थी महबूब खान उर्फ़ गाजा की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय दिया है।
मामला शहर के वार्ड नंबर-1 से सटे खसरा नंबर 355/6 से जुड़ा हुआ है। नगरपालिका की भूमि पर हो रहे अतिक्रमणों को हटाने की मांग को लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट महबूब खान ने साल 2021 में हाई कोर्ट में याचिका ( 17847/2021) दायर की थी। एकल पीठ ने याचिका पर 3 जनवरी 2022 को निर्णय देते हुए याचिकाकर्ता क़ो जिला कलेक्टर के अधीन पब्लिक लैंड प्रोटेक्शन सेल यानि पीएलपीसी में मामला रखने और 6 महीने में अतिक्रमण हटाने की आदेश दिए। लेकिन सिस्टम किस तरह से काम करता है यह हम सबको पता है। सामाजिक कार्यकर्ता महबूब खान की बार-बार अतिक्रमण हटाने की मांग के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद महबूब खान ने एक बार फिर हाईकोर्ट का रुख करते हुए अवमानना याचिका (1238/2023) दायर की। इस पर कोर्ट ने पीएलपीसी कमेटी क़ो नोटिस जारी किये। इस नोटिस का असर ये हुआ कि जिला कलेक्टर के निर्देशों के बाद नगरपालिका ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की। नगरपालिका ने विवादित भूमि पर करीब डेढ़ दर्जन से अधिक अस्थायी अतिक्रमण हटाए भी लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते करीब दो दर्जन से अधिक अतिक्रमणों को नोटिस देकर इतिश्री कर ली गई। इस बीच पीएलपीसी कमेटी द्वारा नोटिस तामिल होने के बावजूद हाईकोर्ट में ना तो कोई अधिवक्ता पेश किया गया और ना ही कोई जबाब।
इस पर खंडपीठ ने मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए पीएलपीसी कमेटी सदस्यों जिला कलेक्टर, उपखंड अधिकारी और तहसीलदार को ₹20000 के जमानतीय वारंट के साथ तलब किया है। खंडपीठ के इस आदेश के बाद प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है।
इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता महबूब खान का कहना है कि उनके द्वारा की गई शिकायत पर पटवारी ने रिपोर्ट कर 50 से अधिक अतिक्रमण चिह्नित किए हैं और उन्हें हटाने की अनुशंसा की है। लेकिन प्रशासन जानबूझकर प्रभावशाली लोगों के अतिक्रमणों को हटाने की कार्रवाई नहीं कर रहा हैं। उनका कहना है कि वो इस मामले में कार्रवाई नहीं होने तक अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।
