सरकारी बंगले में बिना अनुमति करवाए निर्माण
सूरतगढ़। आमतौर पर सरकारी विभाग अपने कर्मचारियों को रहने के लिए आवास का आवंटन करते है। लेकिन सूरतगढ़ में पीडब्ल्यूडी विभाग में आवास आवंटन के मामले में ‘गैरों पे करम अपनों पर सितम’ जैसे हालात है। जहां एक और विभाग के कर्मचारी किराए के मकानो में निवास कर रहे हैं वहीं दूसरी और विभाग के एक सरकारी बंगले पर अधिकारियों की मिलीभगत के चलते नगरपालिका का एक जेईएन पिछले दो वर्षों से अवैध रूप से रह रहा है।
हम बात कर रहे हैं तहसील रोड पर पीडब्ल्यूडी कार्यालय के सामने स्थित सरकारी बंगले की। सूत्रों के मुताबिक सरकारी कागजों में यह बंगला विभाग के ही एक यूडीसी स्तर के कर्मचारी के नाम पर आवंटित है। परन्तु अधिकारियों की मेहरबानी से जेईएन साहब बंगले को आरामगाह बनाकर फर्स्ट ग्रेड ऑफिसर की सरकारी सुविधाओं का लाभ लूट रहे है। इतना ही नहीं साहब ने अपने रुतबे के चलते पीडब्ल्यूडी विभाग की अनुमति के बिना ही शैड सहित कई निर्माण भी इस सरकारी बंगले में करवा लिए हैं। क्योंकि साहब सिंडिकेट के प्रमुख सदस्यों में शामिल है तो ऐसे में साहब को आखिर कौन रोकता ? सो पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने भी इस मामले में अपनी आंखें मुंद रखी है।
पहले पिता के नाम था आवंटन, अब कर्मचारी को आवंटन करवा जमाया कब्जा

विभागीय सूत्रों के अनुसार यह आवास कुछ वर्ष पूर्व पीडब्ल्यूडी के एईएन ब्रिजलाल सिहाग को आवंटित किया गया था। उसके बाद से एईएन साब के पुत्र सुशील सिहाग जो की नगरपालिका में जेईएन है इसी बंगले में अपने पिता के साथ रह रहे थे। पुत्र का पिता के साथ रहना एक सामान्य बात है। लेकिन करीब 2 वर्ष पूर्व एईएन सियाग सेवानिवृत हो गए। नियमानुसार कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद एक माह में सरकारी आवास को खाली कर देना चाहिए। लेकिन बड़े साहब और सिंडिकेट के सदस्य छोटे साहब ने अपने राजनीतिक रसूखों का फायदा उठाते हुए विभाग के ही एक कर्मचारी के नाम से उक्त बंगले का आवंटन करवा लिया। इसके बाद से करीब 2 वर्ष होने को है, साहब दूसरे विभाग का कर्मचारी होते हुए भी गजेटेड अधिकारी को आवंटित होने वाले इस बंगले में मजे से जीवन काट रहे है।वह भी नाम मात्र के किराए पर !
विभाग को हो रहा राजस्व का नुकसान
इस पूरे प्रकरण में पीडब्ल्यूडी विभाग को भी किराए के रूप में हजारों रुपए महीने के हिसाब से नुकसान हो रहा है। क्योंकि विभाग द्वारा कर्मचारी के पद के अनुरूप ही एचआरए की कटौती की जाती है ? ऐसे में सरकार को नुकसान हो रहा है क्योंकि यही बांग्ला अगर गैजेटेड ऑफीसर को आवंटित किया जाता तो उसका HRA ज्यादा कटता । दूसरी और जेईएन साहब के मजे हो रहे हैं क्यूंकि उन्हें नाम मात्र के किराए में गैजेटेड ऑफीसर का बंगला मिला हुआ है।
वैसे इस संभावना से भीं इनकार नहीं किया जा सकता है कि विभाग का कर्मचारी जिसको बंगले का आवंटन किया गया है वह लालच के चलते इस गोरखधंधे में शामिल हो। संभव है कि कर्मचारी द्वारा जेईएन साहब से किराये के रूप में वसूली जाने वाली राशि विभाग द्वारा काटे जाने वाले एचआरए से अधिक हो ? ऐसे में विभाग को इस मामले में सघन जांच करवाई जाने की आवश्यकता है ?
सरकारी बंगले में नियम विरुद्ध करवाए निर्माण

तहसील की और जाने वाली मुख्य सड़क पर बने इस बंगले में जेईएन साहब जहां नियम विरुद्ध 2 साल से जमे हुए हैं वहीं इस बंगले में साहब ने अपनी सुविधा के लिए बिना विभाग की स्वीकृति के कई अवैध निर्माण भी करवा लिए है जोकि पूरी तरह से नियम विरुद्ध है। साहब ने बंगले के पिछले भाग में जहाँ एक पशुओं को रखने का क्वार्टरनुमा कमरा बना रखा है। इसके अलावा बंगले के फ्रंट में छाया के लिए एक शैड भी बना लिया है। सूत्रों की माने तो यह सभी निर्माण साहब ने अपने स्तर पर करवाए हैं। इन निर्माण कार्यों में साहब,पीडब्ल्यूडी या नगरपालिका के ठेकेदारों या फिर किस एजेंसी का पैसा लगा है यह भी एक अलग जांच का विषय है।
कार्यवाहक एक्सईएन बोले : नहीं जानकारी, उठ रहे गंभीर सवाल
जब हमने इस मामले में विभाग के कार्यवाहक एक्सईएन गुरतेज सिंह से बात की तो उन्होंने मामले की जानकारी नहीं होने और मामले को देखने की बात कहीं। लेकिन सवाल यह पैदा होता है कि आखिर पीडब्ल्यूडी विभाग के बंगले में दूसरे विभाग का कर्मचारी कैसे रह रहा है, वह भी तब जब विभाग के खुद के कर्मचारी किराए के मकान में रहने को मजबूर है ? सवाल यह भी पैदा होता है कि क्या 2 साल से चल रहे इस गोरखधंधे की जानकारी पीडब्ल्यूडी अधिकारियों को नहीं है ? आखिर किसके दबाव में पीडब्ल्यूडी के अधिकारी आंखें मूंदे हुए हैं यह भी एक बड़ा सवाल है ?
सरकारी बंगला खाली करवाकर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करें विभाग
इस मामले में अब विभाग को चाहिए कि तुरंत प्रभाव से सरकारी बंगले को खाली करवाए और साथ ही इस मामले की जांच कर विभाग के सरकारी बंगले को सबलेट करने के दोषी कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई करे। इस पूरे मामले में किसी शायर की ये पंक्तिया याद आ रही है