2021 में भूखंड से नगरपालिका ने हटाया था अतिक्रमण


सूरतगढ़। यूँ तो शहर के प्रत्येक वार्ड में सरकारी संपत्ति की लूट का नंगा नाच जारी है। लेकिन शहर के वार्ड नंबर-26 में चल रहा माफियाराज भूमाफियाओं और सरकारी तंत्र के गठबंधन का ऐसा उदाहरण बनता जा रहा है जिसकी दूसरी मिसाल मिलना मुश्किल है। शहर की नगरीय सीमा में स्थित पॉश एरिया माने जाने वाले इस वार्ड की बेसकीमती भूमि भ्रष्ट अधिकारियों ने सफेदपोश माफियाओ के हवाले कर दी है। वार्ड में सनसिटी रिजॉर्ट के पीछे स्थित खसरा नंबर 320 में स्थित करीब 20 करोड रुपए की कीमत की भूमि पर 50 साल बाद में खातेदारी बहाल कर करने का मामला किसी से छुपा हुआ नहीं है। बताया जा रहा है कि इस बहुचर्चित मामले में अपील करने की बजाय अब रिश्वत की हैवी डोज खाकर आवासीय कॉलोनी की स्वीकृति नगरपालिका के अधिकारियों ने दे दी है।
दूसरी और इसी वार्ड में गत दिनो खसरा नंबर 315/1 में स्थित नगरपालिका की प्रस्तावित आवासीय कॉलोनी की भूमि पर पिछले दिनों खातेदारी के नाम पर दिनदहाड़े हुई चारदिवारी का मामला अभी ठंडा नही पड़ा ही नहीं है। लेकिन भूमाफियाओं का पेट कहां भरने वाला है तो अब इसी प्लांड एरिया के दूसरे हिस्से में खाली पड़े भूखंड पर भूमाफियाओं ने निर्माण कर कब्जा कर लिया है।
निरंकारी भवन के पीछे स्थित इस भूखंड पर पिछले कई दिनों से रात के अंधेरे में निर्माण जारी था। लेकिन प्रशासन की चुप्पी का फायदा उठाते हुए कुछ दिन पूर्व भूमाफियाओं ने दिनदहाड़े चारदिवारी और कमरे का निर्माण कर लिया है। इतना ही नहीं भूमाफिया ने मकान का निर्माण कर उसमे रिहाईस भी शुरू दी है। यह सब इसलिए किया जा रहा है ताकि रिहाईश की बात कह कर अतिक्रमण को बचाया जा सके। दिन दहाड़े हुआ यह अतिक्रमण शहर भर में चर्चा का विषय बना हुआ है ।
कुछ वर्ष पूर्व ही भूखण्ड से पालिका ने हटाया था अतिक्रमण

इस मामले मे एक तथ्य यह भी है कि नगरपालिका प्रशासन ने जब खसरा नंबर 315/1 पर आवासीय कॉलोनी की योजना तैयार की थी उससे पूर्व इस भूमि से कई अतिक्रमण हटाए गए थे जिनमें एक इस भूखण्ड पर हुआ अतिक्रमण भी था। वर्ष 2021 में पालिका अमले ने इस भूखंड और के साथ लगते एक अन्य अतिक्रमण को भी जेसीबी मशीन से ध्वस्त किया था। उस समय भी अतिक्रमणों को हटाने को लेकर काफी हंगामा हुआ था। लेकिन अचानक से भूमाफिया द्वारा सक्रिय होकर इस भूखंड पर फिर से अतिक्रमण होने से इस बात की चर्चा गरम है कि यह सब राजनीतिक आकाओं के आशीर्वाद से किया जा रहा है।
लाखों रुपए की कीमत का है भूखंड !
शहर के हाउसिंग बोर्ड क्षेत्र में जब एक-एक प्लांट की कीमत एक-एक करोड़ तक पहुंच गई है तो आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि कब्जा किए गए भूखंड की कीमत कितनी होगी। वैसे आपको यह भी बता दें कि कभी मंडी समिति का हिस्सा रही बेशकीमती भूमि पर भू माफिया की नजर बरसों से रही है। जिस भूखंड पर कब्जा किया गया है उसके आसपास के दो भूखंडों पर पिछले कांग्रेस कार्यकाल में ही अवैध किया गया है। मजेदार बात यह है कि में से एक भूखंड का तो कोरोना काल में फर्जी पट्टा भी जारी किया जा चुका है।
पालिका के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध, साधी चुप्पी
इस पूरे मामले में नगरपालिका के अधिकारियों की भूमिका कटघरे में नजर आती है क्योंकि यह संभव नहीं है कि दिन दहाड़े हुई इस अतिक्रमण की जानकारी पालिका के अधिकारियों को नहीं हो। वैसे भी यह अतिक्रमण कोई रातो रात नहीं हुआ है। कई दिनों तक निर्माण कार्य चलने के बावजूद संबंधित वार्ड के जमादार को इस बात की जानकारी नहीं ऐसा संभव नहीं लगता है। गरीबों के झोंपड़ों पर बेशर्मी से जेसीबी चढ़ाने वाले अधिकारियो को बड़े भूमाफिया के ये अतिक्रमण क्यों नहीं दिखाई देते ? क्यूं बड़े माफिया के कब्जे हटाने के नाम पर पालिका के शूरवीरों को सांप सूंघ जाता है।