भाजपा टिकट के प्रबल दावेदार (2): नरेंद्र घिंटाला

POLIITICS

सूरतगढ़। आगामी विधानसभा चुनाव में सूरतगढ़ से भाजपा की टिकट के प्रमुख दावेदारों में जो नाम पिछले लंबे समय से चर्चा में बना हुआ है वो है भाजपा नेता नरेंद्र घिंटाला। 3 दशक से अधिक समय से भाजपा से जुड़े नरेंद्र घिंटाला संघ से लेकर संगठन तक अपनी क्षमताओं का लोहा मनवा चुके हैं। विधानसभा क्षेत्र के प्रत्येक बूथ तक अपनी पकड़ रखने वाले घिंटाला की टिकट की दावेदारी बेहद मज़बूत मानी जा रही है। क्यूंकि भाजपा में 70 प्लस आयु के दावेदारों को टिकट नहीं मिलना लगभग तय माना जा रहा है। ऐसे में वर्तमान विधायक रामप्रताप कासनिया और पूर्व विधायक राजेंद्र भादू के अलावा नरेंद्र घिंटाला ही एक मात्र ऐसे उम्मीदवार है जो विधानसभा के बूथ स्तर के समीकरणों को नजदीक से जानते और समझते हैं। विधानसभा क्षेत्र में लंबे समय से पार्टी के लिए काम करने की वजह से शायद ही ऐसा कोई बूथ होगा जहां पर घिन्टाला किसी परिचय के मोहताज हो। दूसरी वजह ये भी है कि सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र को जाट सीट के रूप में देखा जाता है। इस वजह से भी नरेंद्र घिंटाला की भाजपा से टिकट की दावेदारी मजबूत मानी जा रही हैं। 70 प्लस की तलवार के साये में टिकट की दावेदारी जता रहे विधायक रामप्रताप कासनिया और पूर्व विधायक राजेंद्र भादू के बाद टिकट मांग रहे जाट नेताओं में नरेंद्र घिंटाला दूसरे नेताओं से दौड़ में काफी आगे नज़र आते हैं ! इसकी वजह लंबे समय से पार्टी में सक्रियता के साथ साथ घिंटाला की सांगठनिक क्षमता भी है।

तीन दशक से लगातार सहकारी समितियों और नहर प्रणाली के चुनाव से लेकर विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में लगातार सक्रियता से घिंटाला ने जो अनुभव अर्जित किया है वह दूसरे पीढ़ी के भाजपा की टिकट मांग रहे किसी भी और उम्मीदवार के पास नहीं है। इसके अलावा पार्टी में लगातार सक्रियता का यह फायदा भी नरेंद्र घिंटाला  को मिला है कि जिन लोगों के साथ उन्होंने बरसों पहले राजनीतिक संपर्क बनाए थे वहीं लोग अब पार्टी की कमान संभाल रहे प्रमुख नेताओं में है। इन नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे,भाजपा के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, वरिष्ठ नेता ओम माथुर जैसे लोग शामिल है। जिनका आगामी विधानसभा चुनाव में  टिकट वितरण में काफी अहम रोल तय है। ऐसे में घिंटाला के पुराने सम्पर्क टिकट दिलाने में काफी अहम भूमिका निभा सकते हैं।

इसके साथ साथ घिंटाला की अधिकांश रिश्तेदारीयां सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र में है। भाजपा की टिकट मिलने की स्थिति में इन संबंधों का भी घिंटाला को बहुत अधिक फायदा मिलेगा। 

 नरेंद्र घिंटाला : छात्र राजनीति से अब तक का सफर

केंद्रीय चुनाव समिति सदस्य व पूर्व सांसद सुधा यादव के साथ नरेंद्र घिन्टाला

 2 अक्टूबर 1969 को जन्मे नरेंद्र घिंटाला ने 1991 में ग्रेजुएशन पूरी की । बचपन से ही संघ व भाजपा से जुड़े रहने वाले घिंटाला ने 1989 में राजनीति में सक्रियता दिखाने शुरू की। उस समय उन्होंने भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी ओम आचार्य के समर्थन में चुनाव प्रचार में बढ़-चढ़कर भाग लिया। इसके बाद 1994 से 97 के बीच में भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला महामंत्री रहे। उस समय ओम बिरला जो वर्तमान में लोकसभा अध्यक्ष है, युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष थे। इसके बाद 1997 से 2000 तक  घिंटाला ने युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष के रूप में काम किया। इस दौरान वें सतीश पूनिया ( वर्तमान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष) से संपर्क में आए जो उस समय युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष थे। सन 2000 से 2004 के बीच घिंटाला युवा मोर्चा में प्रदेश मंत्री रहे। वहीं 2005 से 2009 के बीच वे भाजपा के जिला महामंत्री रहे। इसी दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता और तात्कालिक प्रदेश अध्यक्ष ओम माथुर से भी घिंटाला के संपर्क बने, जो अब तक निरंतर प्रगाढ़ हुए हैं। सन 2005 में  घिंटाला ने जिला परिषद सदस्य के रूप में जीत हासिल की। 2010 से 2016 के बीच घिंटाला भाजपा के देहात मंडल के अध्यक्ष के रूप में सक्रिय रहे। इस दौरान उन्होंने पार्टी निर्देशों पर स्थानीय व देशव्यापी मुद्दों को लेकर धरना प्रदर्शन व आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाई। इसी बीच 2013 में विधानसभा चुनावों में राजेंद्र भादू को चुनाव जिताने में घिन्टाला ने अहम योगदान दिया। वहीं 2018 के विधानसभा चुनाव में घिंटाला ने रामप्रताप कासनिया को टिकट दिलाने में भमिका निभाई। बाद में कासनिया को चुनाव जिताने में भी घिंटाला ने दिन रात एक कर दिए।

        वर्तमान में नरेंद्र घिंटाला एटा सिंगरासर नहर आंदोलन सहित मजदूरों, किसानों की विभिन्न समस्याओं को लेकर चल रहे आंदोलनों में सक्रिय है। वहीं रेल विकास संघर्ष समिति के साथ मिलकर इलाके की रेल समस्याओं के समाधान के लिए भी प्रयासरत है।

              नरेंद्र घिंटाला गत दिनों अपने पुत्र के विवाह के उपलक्ष हेलीकॉप्टर पर बारात ले जाने और बिना शगुन का लिफाफा लेकर विशाल प्रतिभोज का आयोजन कर भी चर्चा में रहे थे।

राजेंद्र पटावरी, उपाध्यक्ष, प्रेस क्लब सूरतगढ़।

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