दोहरे कमीशन का लालच विकास कार्यों पर पड़ रहा भारी, सिंडिकेट सदस्य की चांदी

CURRUPTION

निरीक्षण के अभाव में धड़ल्ले से चल रहा घटिया निर्माण

सूरतगढ़। दीमक के बारे में कहा जाता है कि जिस लकड़ी पर यह लग जाती है उसे अंदर ही अंदर खोखला कर देती है। आम तौर पर ऊपर से देखने पर दीमक दिखाई नहीं देती लेकिन वह अपना काम यानि की लकड़ी को खोखला करना जारी रखती है। सूरतगढ़ नगरपालिका की विभिन्न शाखाओं में ऐसी कई दीमकें लगी हुई है जिन्होंने पालिका की व्यवस्था को पूरी तरह से खोखला कर दिया है। पालिका में भारी भ्रष्टाचार की वजह ऐसी ही कुछ दीमकें है।

                            नगरपालिका की निर्माण शाखा को ही लें। परसराम भाटिया के कार्यवाहक चेयरमैन बनने के बाद से शहर में करोड़ों रुपए के निर्माण कार्य चल रहे हैं। लेकिन निर्माण कार्यों की गुणवत्ता जाँचने वाला कोई नहीं है। इसकी वजह है पालिका के एक प्रभावशाली तकनीकी अधिकारी का लालच।

हम बात कर रहे हैं पालिका के जेईएन सुशील सिहाग की। नगरपालिका के एईएन का अतिरिक्त चार्ज संभाल रहे जेईएन साब की टेढ़ी नज़र शहर में चल रहे करोड़ों रुपयों के निर्माण कार्यों से मिलनें वाले कमीशन पर है तो इसके लिए साहब नें अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर कमीशन की राह में रोड़ा बन रहे जेईएन चरणजीत मीणा को पट्टों की रिपोर्ट करने के काम में लगवा दिया।

इन आदेशों के चलते साहब अब शहर में हो रहे अधिकांश निर्माण कार्यों की गुणवत्ता जांचने के अकेले इंचार्ज बन बैठे है। परन्तु तल्ख़ हकीकत यह है कि साहेब का ध्यान कमीशन पर ज्यादा और निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर कम है। यहीं वजह है कि शहर में दर्जनों स्थानों पर धड़ल्ले से घटिया निर्माण कार्य चल रहा है लेकिन कोई रोकने वाला नहीं है।

साइट इंस्पेक्शन की बजाय ऑफिस में बैठकर एमबी भर रहे है साहब

खास बात यह है कि ठेकेदारों से मिलने वाले कमीशन के बौझ से दबे साहब मौके पर जाने की बजाय कार्यालय में बैठकर ठेकेदारों की एमबी भर रहे है। वह भी तब जबकि नगरपालिका प्रशासन नें जनता के धन से चलने वाली एक AC कार भी साहब को दे रखी है। परन्तु सच्चाई ये है कि यह गाड़ी साइट इंस्पेक्शन की बजाय साहब की तफरी में ज्यादा काम आ रही है।

वैसे जब ऑफिस में बैठकर ही साहब का काम चल रहा हो तो कोई फील्ड में आखिर क्यों जाये ? दूसरी और जब अधिकारी को गुणवत्ता की फ़िक्र नहीं हो तो फिर ठेकेदार से गुणवत्ता की उम्मीद करना वैसे भी बेमानी हो जाता है !

सिण्डिकेट के मेंबर रहे है साहब

नगरपालिका में पूर्व ईओ शैलेन्द्र गोदारा के कार्यकाल में एक सिंडीकेट चर्चा का विषय बना रहा था। बताया जा रहा है जेईएन साहब भी सिंडिकेट के खासमखास सदस्य रहे है। सत्ताधारी कांग्रेस नेताओं की आंखों में धूल झोंककर सिंडिकेट के सदस्यों नें महिनों घरों में बैठकर ऑफिस चलाया। इस दौर में एक और जहाँ जहाँ फ़र्ज़ी नियमों का हवाला देकर आम लोगों को पट्टे नहीं दिए, वहीं दूसरी और मोटी रकम लेकर खास लोगों को नगरपालिका सीमा से बाहर और खाली प्लॉटों के नियम विरुद्ध पट्टे बनाकर खूब लूट मचाई गई। यह वह दौर था जब नगरपालिका का पूरा तंत्र दिन रात कुछ एक निजी लोगों के लिए काम करता रहा।

               मजे की बात यह है कि सत्ताधारी नेताओं नें सिंडीकेट के खतरे को जानकर ही जेईएन सिहाग को सूरतगढ़ बाहर का रास्ता दिखाया था। लेकिन चेयरमैन कालवा को सबक सिखाने के चापलूसों के बहकावे में आकर इन्ही नेताओं नें पालिका में जेईएन सियाग की फिर से एंट्री करवा दी। नतीजा सिंडिकेट और मजबूत होता गया और जनता हलकान होती रही। कांग्रेस के युवा नेता सिंडिकेट के इरादों को भाँप नहीं पाए बहुत देर बाद पूर्व विधायक गंगाजल मील नें सिंडिकेट के बिछाये तिलिस्म को तोड़ा जरूर लेकिन तब तक सिंडिकेट इस शहर, नगरपालिका और खुद कांग्रेस नेताओं की राजनीति को भारी नुकसान पहुंचा चुका था। जिसकी भरपाई शायद अब सम्भव नहीं।

हालांकि ईओ शैलेंद्र गोदारा के स्थानांतरण के बाद यह सिंडिकेट कमजोर पड़ चुका है। लेकिन जेईएन सियाग की मौजूदगी यह बताने के लिए काफ़ी है कि अभी सिंडीकेट की जड़े खत्म नहीं हुई है। चेयरमैन परसराम भाटिया नें सिंडिकेट के प्रभाव वाले कार्यकाल में हुए घोटालों की जांच की बात कही है। अगर ऐसा होता है तो जाँच की आंच जेईएन साहब तक भी पहुंचेगी।

सिंडिकेट तोड़ने के लिए दिवाली से पहले सफाई की जरूरत

बहरहाल जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते जेईएन साहब और ठेकेदारों की तो मौज बनी हुई है। लेकिन करोड़ों रुपए विकास कार्यों पर खर्च करने के बावजूद घटिया निर्माण के चलते जनता को इसका फायदा नहीं मिलने वाला है। इसलिये चेयरमैन परसराम भाटिया को चाहिए कि निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर ध्यान देते हुए दोहरे कमीशन के लालच में फंसे जेईएन साहब की लगाम कसे।

वैसे सिंडिकेट से धोखा खाने वाले कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक भी आचार संहिता लगने या फिर दिवाली से पहले सफाई अभियान चलाकर सिंडिकेट की कमर तोड़ सकते है। वरना नगरपालिका में गंदगी से लगातार बढ रहे संक्रमण का असर कांग्रेस नेताओं की राजनीति पर पड़ना तय है।

  • – राजेन्द्र पटावरी, उपाध्यक्ष-प्रैस क्लब, सूरतगढ़।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.