कॉलोनाइजर पर मुकदमें की तैयारी,स्वायत शासन मंत्री से मिलेंगे कॉलोनीवासी
सूरतगढ़। शहर में एक सफ़ेदपॉश कॉलोनाइजर पिछले कई सालों से लोगों को छलने का काम कर रहा है। जोहड़ पायतन क्षेत्र में सपनों का घर बेचकर लोगों की नींद उड़ाने वाले इस कॉलोनाइजर का एक और काला कारनामा सामने आया है। मामला शहर की सबसे पॉश कहीं जाने वाली बसंत विहार कॉलोनी के यूटिलिटी के नाम पर आरक्षित प्लॉट से जुड़ा है।
बसंत विहार कॉलोनी के लोगों को प्लॉट पर भव्य मंदिर के निर्माण का सपना दिखाकर इस कॉलोनाइजर ने भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से कॉलोनी की यूटिलिटी को न केवल इनफॉरमल सेक्टर में बदल दिया बल्कि भूखंड को आगे सुखवंत चावला, संदीप डांग, रमनदीप चुघ और विपुल गुप्ता नामक व्यक्तियों को भी बेच दिया। मामला यहीं खत्म नहीं होता नगरपालिका नें इनफॉर्ममल सेक्टर की अनदेखी कर उक्त चारों व्यक्तियों के नाम एकल पट्टा भी जारी कर दिया है।
शहर में जमीनों और भूखंडों के भ्रष्टाचार के मामले नये नही है, लेकिन शहर के बीचो-बीच पॉश कॉलोनी में भ्रष्टाचार का यह सम्भवतः पहला मामला है। जिसमे समाज के काम आने वाले करोड़ों रुपए के इस भूखंड को शहर के सफेदपॉश माफिया दीमक की भांति चट कर गये हैं ? ज़ब हमने पालिका से मिले दस्तावेजों को खंगाला तो पूरा मामला ही भ्रष्टाचार की नींव पर खड़ा दिखाई दिया। इस पूरे मामले में ऐसे कई सवाल है। पेश है मामले में अनसुलझे सवालों का जबाब ढूंढती खबर पॉलिटिक्स की यह खास रिपोर्ट….
कॉलोनी का ब्लू प्रिंट नक्शा कह रहा भ्रष्टाचार की कहानी ?

यूटिलिटी को इनफॉरमल सेक्टर में बदलने और उसके बैंचान का यह फर्जीवाड़ा दोनों कॉलोनीयों के ब्लूप्रिंट नक्शे से बड़ी आसानी से समझा जा सकता है। मामले में पालिका की दलील है कि 2005 में बसंत विहार और 2007 में उससे चिपती आनंद विहार कॉलोनी का ब्लूप्रिंट अप्रूव्ड किया गया था। लेकिन 2007 में तात्कालिक STP (सीनियर टाउन प्लानर) ने मालिकों की सहमति से दोनों कॉलोनीयों को क्लब कर बसंत विहार के यूटिलिटी भूखंड को इनफॉरमल सेक्टर में परिवर्तित कर दिया। पालिका अधिकारीयों के मुताबिक इसके बदले में आनंद विहार कॉलोनी में पार्क और फेसिलिटी के लिए आरक्षित किये भूखंड को एकल कर बड़ा यूटिलिटी एरिया बना दिया था।
नगरपालिका अधिकारियों की इस थ्योरी पर विश्वास कर भी लिया जाये तो भी दोनों कॉलोनीयों के ब्लू प्रिंट नक्शे खुद ही इस भ्रष्टाचार की पोल खोल रहे हैं। बसंत विहार के ब्लूप्रिंट में साफ देखा जा सकता है कि नक्शे में दिखाए गए यूटिलिटी प्लॉट को सीधे पैन से काटकर उसके स्थान पर इनफॉरमल सेक्टर लिखा गया है ? इसके अलावा नक्शे के राइट साइड में विवरण में भी यूटिलिटी को काटकर इनफॉरमल सेक्टर लिख दिया गया है ?
सबसे पहली बात हे कि सरकारी दस्तावेजों में सामान्यत इस तरह की कांट छांट नहीं की जाती है ? दूसरी बात है कि इस कांट छांट पर संबंधित अधिकारी (STP- सीनियर टाउन प्लानर ) के इनिशियल भी नहीं है? बिना एसटीपी के इनिशियल के कटिंग वाले ब्लू प्रिंट नक्शे की वैधता स्वत ही सवालों के घेरे में आ जाती है! ब्लूप्रिंट नक्शे की कटिंग पर STP के इनिशियल का नहीं होना भ्रष्ट अधिकारीयों के अपने ही स्तर पर नक्शे में कटिंग की और संकेत करता है।
यूटिलिटी के इनफॉरमल सेक्टर में बदलाव से जुड़े दस्तावेज है गायब ?
बसंत विहार की यूटिलिटी को इनफॉरमल सेक्टर में बदलने में फ़र्ज़ीवाड़े की तस्दीक इस तथ्य से भी होती है कि नगरपालिका में यूटिलिटी को इनफॉरमल सेक्टर में बदलने की कार्रवाई के लिए नगरपालिका और STP के बीच किसी भी तरह के पत्र व्यवहार का कोई दस्तावेज फ़ाइल में उपलब्ध नहीं है ? सवाल उठता है 2005 में कॉलोनी का नक्शा अप्रूव्ड करने के बाद 2007 में सीनियर टाउन प्लानर को क्या सपना आया था जो उसने खुद ही ब्लूप्रिंट में दिखाए गए यूटिलिटी प्लॉट को इनफॉरमल सेक्टर में बदल दिया ?
बिना इनिशियल और रिवाइज्ड नक्शा नहीं जारी होने से उठ रहा सवाल ?
इस पूरे मामले में एक सवाल यह भी है कि ज़ब 2007 में आनंद विहार के ब्लू प्रिंट को अनुमोदन के समय बसंत विहार के नक्शे में यूटिलिटी को इनफॉरमल सेक्टर में बदला गया तो आखिर टाउन प्लानर ने वसंत विहार के नक्शे में बदलाव का रिवाइज नया नक्शा क्यों नहीं जारी किया ? क्यों ब्लूप्रिंट में सीधे पेन से कटिंग कर दी और इनिशियल तक नहीं किये ? क्या सीनियर टाउन प्लानर का दायित्व नहीं था कि पहले से बिक चुकी कॉलोनी का एक रिवाइस नक्शा जारी करते जिससे कि कॉलोनीवासियों को भी यूटिलिटी का वास्तविक स्टेटस पता रहता ?
दोनों कॉलोनी के नक्शे में कटिंग में अलग अलग मापदंड ?

बसंत विहार में जहां नक्शे में कटिंग कर यूटिलिटी को इनफॉरमल सेक्टर बनाना दर्शित किया गया है। वहीं आनंद विहार कॉलोनी के नक्शे में फेसिलिटी के भूखंड को कटिंग कर फैसिलिटी और पार्क में बांट दिया गया है। लेकिन यहां पर बाद में की गई कटिंग की जगह पर पहले से तय फैसिलिटी (100×176.5 मीटर) को सही माना है।
ऐसे में सवाल यह पैदा होता है कि जब कॉलोनी में फैसिलिटी का भूखंड पहले से ही इसी साइज का था तो बसंत विहार के यूटिलिटी भूखंड के बदले कौनसा फैसिलिटी का एरिया बढ़ाया गया ? दूसरे अगर मान ले की बसंत बिहार के यूटिलिटी भूखंड के बदले आनंद विहार में शुरू में ही फैसिलिटी का एरिया बढ़ा दिया गया है तो फिर सवाल यह आता है कि टाउन प्लानर के द्वारा निर्धारित आनंद विहार के फैसिलिटी भूखंड में कांट छांट क्यों और किसके द्वारा की गई है ?
इनफॉरमल सेक्टर में बननें थे कियोस्क और दुकाने ? आखिर कैसे जारी हो गया एकल पट्टा ?

राजस्थान सरकार की टाउनशिप पॉलिसी -2010 के अनुसार निजी कॉलोनी में 2 प्रतिशत तक इनफॉरमल सेक्टर (एरिया) आरक्षित करने का प्रावधान है। पॉलिसी के मुताबिक इनफॉर्मल एरिया में कॉलोनाइजर कियोस्क या छोटी दुकानें काटकर बेच सकता है। ये कियोस्क या दुकाने 2×2 मीटर से लेकर अधिकतम 3×3 मीटर की हो सकती है। इसके अलावा इन दुकानों के आगे पर्याप्त पार्किंग की व्यवस्था होनी चाहिए। लेकिन बसंत विहार कॉलोनी की बात करें तो यहां पर कॉलोनाइजर नें इनफॉरमल सेक्टर में नक्शा अप्रूव्ड करवाकर कियोस्क या दुकानें काटने की बजाय एकल पट्टा ही बेच डाला है, जो कि साफ तौर पर टाउनशिप पॉलिसी के प्रावधानों का खुला उल्लंघन है।
नगरपालिका ईओ पवन चौधरी पर खड़े हो रहे सवाल
इस मामले में नगरपालिका प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल खड़े होते हैं। क्यूं कि कॉलोनाइजर नें इनफॉरमल सेक्टर को अगर बेच भी दिया तो भी नगरपालिका नें आखिर भूखंड का एकल पट्टा कैसे जारी कर दिया ?
बताया जा रहा है पूर्व ईओ पवन चौधरी के कार्यकाल में यह पट्टा जारी हुआ था। आपको बता दें कि यह वही पवन चौधरी है जो खसरा नंबर 320 में काटी जा रही विवादित कॉलोनी को अनुमति देने सहित कई प्रकरणो में भ्रष्टाचार को लेकर चर्चा में रहे थे। क्योंकि बसंत विहार कॉलोनी में स्थित इस प्लॉट की कीमत भी करोड़ों में है। ऐसे में ईओ पवन चौधरी द्वारा इनफॉरमल सेक्टर का एकल पट्टा जारी करना बहुत बड़े भ्रष्टाचार का इशारा कर रहा है।
मंदिर निर्माण के नाम पर वर्षों छलता रहा कॉलोनाइजर, अब कानूनी लड़ाई की तैयारी
इस पूरे मामले की एक पहलु यह भी है कि सफेदपोश कॉलोनाइजर के बहकावे में यूटिलिटी के प्लॉट पर पिछले कई वर्षों से कॉलोनीवासियों मंदिर बनवाने सपना देखते रहे। कॉलोनाइजर के अंदरखाने यूटिलिटी को इनफॉरमल सेक्टर में बदलकर बेच देने के बावजूद बेखबर कॉलोनीवासियों मंदिर निर्माण की योजना बनाते रहे। पिछले रविवार को ज़ब कॉलोनाइजर को मंदिर निर्माण के लिए कॉलोनीवासियों की चंदा उगाही की मुहिम की भनक लगी तो उसने गिरगिट की तरह अपना असली रंग दिखा दिया और प्लॉट में दबंगों को बैठाकर रातों रात भूखंड पर निर्माण शुरू कर दिया। यह और बात है कि दबंगों के भय से ज़ब कॉलोनी के सैकड़ो पुरुषों को सांप सूंघ गया तब कॉलोनी की ही एक जागरूक महिला ने दबंगों से लोहा लेते हुए पुलिस की मदद से काम रुकवा दिया।
बहरहाल शहर के कुछ जागरूक लोग और बसंत विहार कॉलोनीवासी कमेटी बनाकर फ़र्ज़ी नक्शा दिखाकर कॉलोनी में भूखंड बेचने और फर्जीवाड़ा कर यूटिलिटी के भूखंड को बेचने के मामले में FIR दर्ज करवाने की तैयारी कर रहे हैं। इस मामले में ईओ पूजा शर्मा नें बड़े स्तर का मामला बात कर कार्रवाई करने से पल्ला झाड़ लिया है। जिसके बाद एडवोकेट पूनम शर्मा के नेतृत्व में कॉलोनी के लोगों नें जल्द ही स्वायत शासन मंत्री से मिलकर मामले की जांच की मांग करने का निर्णय लिया है।
– राजेंद्र कुमार पटावरी अध्यक्ष- प्रेस क्लब सूरतगढ़।