चुनाव में भाजपा के पिछड़ने का अनुमान
निर्दलीयों के जीतने से रोचक होगा प्रधान का मुकाबला

सूरतगढ़। सूरतगढ़ पंचायत समिति में लम्बे समय के बाद एक बार फिर कांग्रेस का प्रधान बनेगा ? इन चुनावों में कांग्रेस कितनी सीट हासिल करेगी, भाजपा व निर्दलीयों का प्रदर्शन कैसा रहेगा यह ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब हर कोई जानना चाहता है। मतदान के बाद लगाए जा रहे अनुमानों आधार पर हमने इन सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश की है साथ ही इस सम्भावना को आंकने का प्रयास किया कि क्या पंचायत समिति में अबकी बार कांग्रेस सरकार बनेगी ? लेकिन सबसे पहले बात कांग्रेस के प्रदर्शन की।
विकास के वादों से इतर भाजपा विरोध का कांग्रेस को फायदा
कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के चलते भाजपा के विरोध का फायदा इन चुनावों में कांग्रेस को मिलता साफ दिख रहा है। खासकर श्रीगंगानगर की ओर जाने वाले नेशनल हाईवे के दोनों तरफ की पंचायतों में । इन पंचायतों में सिख समुदाय के लोग बड़ी संख्या में निवास करते हैं जो कृषि कानूनों के चलते भाजपा से नाराज हैं। इसलिए यहां बीजेपी के भारी विरोध के चलते कांग्रेस सीधे तौर पर जीतती दिखाई दे रही हैं । इसके अलावा एक दूसरा कारण जो कांग्रेस के पक्ष में दिखाई दे रहा है वह है इस समय राज्य में कांग्रेस की सत्ता होना। वर्तमान में वोटर इतना समझदार हो चुका है कि वह जानता है की जिस पार्टी की सत्ता है उसी को वोट देने से ही गांव में या उनके इलाके का विकास संभव है। हालांकि यह धारणा पूरी तरह सच नहीं है लेकिन पूरी तरह गलत भी नहीं है। वहीं टिब्बा क्षेत्र से जुड़ी पंचायतों की भी बात करें तो इन इलाकों में भाजपा नेताओं की पकड़ मजबूत है। लेकिन आपसी तारतम्य के अभाव और टिकट वितरण सही नही होने के चलते यहां भी कांग्रेस भाजपा का मुकाबला करती दिख रही है।
कुल मिलाकर कांग्रेस नेताओं के विकास के दावों पर यकीन करने के बजाय जनता फिलहाल मोदी सरकार के किसान विरोधी कानूनों ओर नीतियों के लिए भाजपा को सबक सिखाने के मूड मे है। जिसका फायदा निश्चित तौर पर कांग्रेस को मिल रहा है।
चुनावी नतीजों में कांग्रेस को मिल सकती है 10 से 14 सीटें
चुनावों के बाद दोनों पार्टियों के अपनी-अपनी जीत के दावे हैं । लेकिन मतदान के दौरान अंडर करंट कांग्रेस के पक्ष में चलता दिख रहा है। अगर सीटों की संख्या की बात की जाए तो एक अनुमान के मुताबिक कांग्रेस को 10 से 14 सीटें मिलती दिखाई दे रहे हैं। वहीं अगर भाजपा की बात की जाए तो भाजपा 6 से 9 सीटों के बीच सिमटती दिख रही है । निर्दलीय वह अन्य पार्टियों के प्रत्याशियों की बात की जाए तो 2 से 3 सीटों पर इन्हें जीत मिलती दिख रही है। कुल मिलाकर कहा जाए तो पंचायत समिति में कांग्रेस का प्रधान बनेगा इस बात की संभावना अधिक है
हज़ारीराम मील की प्रधान पद पर ताजपोशी की तैयारी ?

चुनावी पूर्वानुमानों की माने तो पंचायत अबकी बार कांग्रेेेस सरकार की पूरी संभावना है ? ऐसे में जहां तक कांग्रेस की बात है हजारीराम मील ही प्रधान के दावेदार होंगे। हालांकि मील परिवार के ही एक अन्य सदस्य हेतराम मील भी चुनाव मैदान में है और वह खुद भी चुनावों में जीत हासिल करते दिख रहे हैं । लेकिन इस बात की उम्मीद कम है कि हजारीराम मील के जितने की स्थिति में मील परिवार हेतराम मील को प्रधान के लिए आगे करेगा। वैसे इन चुनावों पर गौर किया जाए तो चुनाव प्रचार के दौरान किसी भी दूसरी सीट के मुकाबले हजारीराम मील को जिताने में सबसे ज्यादा ताकत लगाई है। खुद गंगाजल मील, हनुमान मील ओर उनकी टीम के लोगों ने जीत के लिए दिन रात एक कर दिये। ये इस बात का संकेत है कि मील परिवार हजारीराम मील को ही प्रधान का दावेदार बना चुका है। फिर भी अगर परिणामों में कोई अनिश्चितता आती है तो मील परिवार हेतराम मील का नाम प्रधान पद के लिए आगे कर सकता है।
पूर्व प्रधान पूनियां के लिए बहुत कठिन है डगर पनघट की !
कांग्रेस में मील परिवार को छोड़ दे तो प्रधान पद के दूसरे सबसे बड़े दावेदार पूर्व प्रधान साहब राम पूनियां है । यह अलग बात है कि मील परिवार से राजनीतिक विरोध के चलते उन्हें टिकट के लिए आलाकमान तक अपनी बात पहुंचानी पड़ी थी। हालांकि पूनियां की टिकट के लिए मील परिवार का राजी होना भी एक सोची समझी रणनीति की हिस्सा माना जा रहा है। क्यूंकि पूनियां के रूप में मील परिवार को भाजपा के प्रधान पद के सबसे बड़े दावेदार पूर्व प्रधान चंदूराम लेघा के पौत्र राहुल लेघा को शिकस्त देने का अचूक हथियार मिल गया था। यही वजह थी कि उन्होंने पूनियां की टिकट की हां कर दी । ये अलग बात ही कि एक तरफा दिख रहे इस मुकाबले को राहुल लेघा ने रोमांचक स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है।
पूनियां की प्रधान पद की दावेदारी की बात करें तो हाल फिलहाल उनके प्रधान बनने की बात दूर की कोड़ी है । क्योंकि एक और कांग्रेस जहां आराम से बहुमत तक पहुंचती दिख रही है । वहीं दूसरी और टिकटों के वितरण में मील परिवार की प्रभावी भूमिका रही है । ऐसे में जीते हुए प्रत्याशी मील परिवार को छोड़कर पुनियां का साथ देंगे, इस बात की संभावना ना के बराबर है। पूनियां का प्रधान बनना केवल और केवल इस बात पर निर्भर है कि कांग्रेस और भाजपा दोनो बहुमत से दूर रहे और ज्यादा निर्दलीय जीते जिसकी उम्मीद बहुत कम है।
अब है चुनाव परिणामों का इंतजार
बहरहाल चुनावी अनुमानों को छोड़कर हमें 21 तारीख को घोषित होने वाले परिणामों का इंतजार करना चाहिए । जिसके बाद ही यह साफ हो पाएगा कि पंचायत समिति में अबकी बार कांग्रेस सरकार या फिर कोई और …।