आटा लेने के लिए घर से बाहर निकला था युवक,होमगार्ड जवानों ने युवक का तोड़ा हाथ
सूरतगढ़ । लॉकडाउन के नाम पर आम लोगों के साथ पुलिसिया बर्बरता की तस्वीरें देशभर से सामने आई हैं। ऐसा ही एक मामला श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ में भी सामने आया है। जहां पर 2 होमगार्ड के जवानों को आटा बांट रहे वाहन के इंतजार में एक युवक का सड़क पर खड़ा रहना इतना नागवार गुजरा कि दोनों जवानों ने युवक को पीट-पीटकर उसका हाथ तोड़ दिया। दोनों जवानों ने युवक को मार- मार कर बुरी तरह से घायल कर दिया। इरशाद नाम का यह युवक कस्बे के वार्ड नंबर 30 का रहने वाला है। यह युवक मूंगफली की रैहड़ी लगाकर अपने परिवार का गुजारा करता है। युवक के अनुसार मंगलवार शाम को उसे सूचना मिली थी कि एक धार्मिक संस्था के वाहन द्वारा राधास्वामी सत्संग भवन के पास आटे का वितरण किया जा रहा है। गरीब इरशाद भी आटा लेने के लिए सड़क पर पहुंच गया । तभी बाइक पर सवार होकर दो होमगार्ड के जवान जिनमें से एक का नाम दीपेंद्र बताया जा रहा है मौके पर पहुंच गए। खाकी वर्दी में होमगार्ड जवानों को देखकर इरशाद अपनी गली की ओर भागा लिया ? होमगार्ड के जवानों को युवक का भागना इतना नागवार गुजरा कि उन्होंने पीछा कर युवक को दबोच लिया और बाइक पर बैठाकर फार्म की ओर जाने वाली सड़क पर एक सुनसान जगह पर ले गए। जहां पर होमगार्ड जवानों ने अपने डंडो हाथों और लातों से युवक के साथ जमकर मारपीट की। युवक के रोते हुए छोड़ देने की गुहार भी लगाई। लेकिन वर्दी के नशे और लोकडाउन के नाम पर आम लोगों के साथ कुछ भी करने के लाइसेंस की खुमारी में दोनों जवानों ने इरशाद का पीट-पीटकर हाथ तोड़ दिया। जब दोनों जवानों का पीट-पीटकर मन भर गया तो बाद में उनमें से एक जवान ने इरशाद को अपनी बाइक पर बिठा कर उसके घर छोड़ दिया। फिलहाल युवक राजकीय चिकित्सालय में उपचार करवा रहा है। अस्पताल में इलाज करवा रहे इरशाद का टूटा हाथ और शरीर पर चोटों के निशान होमगार्ड जवानों की बर्बरता की गवाही दे रहे हैं। लेकिन इस पूरी घटना से सवाल यह उठता है कि जब युवक अपने घर की ओर भाग कर जा रहा था तो पुलिस के जवानों को उसका पीछा कर पकड़ने की क्या जरूरत है ? जब दोनों जवानों ने युवक को पकड़ लिया ही था तो उसी समय उसे समझाकर या एक आध डंडा मारकर नही भेजा जा सकता था ? क्या लॉकडाउन को सख्ती से निपटने के सरकारी आदेश का यह मतलब है कि आप लोगों के हाथ पैर भी तोड़ देंगे ?
बहरहाल मामला चूंकि पुलिस से ही जुड़े होमगार्ड के जवानों का है तो स्थानीय पुलिस मामला दर्ज कर कार्रवाई करेंगी इस बात की गुंजाइश कम ही नज़र आती है। लेकिन ऐसी घटनाओं की पुनरावृति न हो इसके लिए जिले के पुलिस व प्रशासन के आला अधिकारियों को दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई कर पुलिस की छवि खराब कर रहे इन जवानों को भी सबक सिखाना चाहिए।
लॉकडाउन के नाम पर आम और गरीब लोगों के साथ पुलिस और होमगार्ड जवानों की इस तरह की कार्रवाई कहां तक जायज है? कमेंट बॉक्स में अपने विचार रखें ।