सीवरेज ,कोरोना में बने पट्टों ओर राशन किट में घोटाले का लगाया आरोप
सूरतगढ़। शहर की राजनीति में इन दिनों प्रेस कॉन्फ्रेंस का दौर चल रहा है। पिछले दिनों विधायक रामप्रताप कासनिया के बाद नगरपालिका चेयरमैनओमप्रकाश कालवा भी प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिये पहली बार मीडिया के सामने आए । जिसमे चैयरमेन कालवा ने एक 30 सूत्री योजना पत्र भी जारी किया । इसी कड़ी में बुधवार को पूर्व चेयरमैन बनवारीलाल मेघवाल भी मीडिया से रूबरू हुए । प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूर्व चेयरमैन मेघवाल ने योजना पत्र पर सवाल खड़े करते हुए चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा पर भ्रष्टाचार के कई संगीन आरोप जड़ डाले। पूर्व चेयरमैन ने योजना पत्र में किए गए दावों का बिंदुवार जवाब भी दिया है। इस दौरान मेघवाल ने मीडिया के तीखे सवालों के जवाब भी दिए।
सीवरेज कंपनी को भुगतान के बदले 25 लाख की रिश्वत लेने का आरोप
पूर्व चेयरमैन बनवारीलाल मेघवाल ने चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा पर आरोप लगाते हुए कहा कि चेयरमैन बनने के बाद ओम कालवा ने 28-11-2019 को सीवरेज कंपनी का भुगतान रोकने और उसके खिलाफ मामला दर्ज करवाने की बात कही थी। लेकिन 10 रोज बाद ही नगरपालिका ने सीवरेज कंपनी का करीब 2 करोड रुपए का भुगतान 25 लाख रुपए की रिश्वत लेकर कर दिया । पूर्व चैयरमेन ने तो यहां तक आरोप लगाया कि इसी दौरान चेयरमैन कालवा ने रामसरा जाखडान में नामी- बेनामी 40 लाख रुपये की करीब 10 बीघा जमीन खरीदी है। ऐसे समय में जब सीवरेज की समस्या के चलते पूरा शहर पिछले चार-पांच सालों से त्रस्त है और सत्ता बदलाव के बावजूद सीवरेज कंपनी के रवैये में बदलाव नही आना ऐसे आरोपों के बारे में सोचने को मजबूर करता है ।
15 से 20 लाख रुपये लेकर बनाये गए कोरोना पट्टे- पूर्व चैयरमेन
पूर्व चेयरमैन में प्रेस कॉन्फ्रेंस में नगरपालिका के चर्चित पट्टा घोटाले को लेकर भी नगरपालिका पर बड़ा आरोप जड़ा । उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान 15 से 20 लाख रुपये लेकर पट्टे बनाये गए । यही नहीं उन्होंने वर्तमान चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा की भूमिका को लेकर कहा कि जब मामला उजागर हुआ तो चेयरमैन कालवा ने पट्टों पर साइन करना बंद कर दीये । जिसके बाद तात्कालिक अधिशासी अधिकारी लालचंद सांखला ने 2 जगहों पर साईन और मोहर लगाकर पट्टे जारी कर दिए गए। पूर्व चेयरमैन के मुताबिक स्टेट ग्रांट और खांचा भूमि के पट्टों के अलावा कच्ची बस्तियों में पट्टे बनाने के लिए बोर्ड की बैठक में सहमति में लिया जाना जरूरी है। इसलिए लॉकडाउन में बनाए गए सभी पट्टेेे अवैध है।
लैंड बैंक के नाम पर जनता से किया जा रहा धोखा !
पूर्व चेयरमैन ने कहा है कि जनता को लैंड बैंक बनाने का सपना दिखाया है। जबकि हकीकत यह है कि नगरपालिका का लैंड बैंक पहले से ही बना हुआ है। उन्होंने कहा कि मेरे कार्यकाल में ही पैराफेरी क्षेत्र की करीब 37 हैक्टर भूमि को राजस्व विभाग से नगर पालिका को हस्तांतरित करवा ली गई थी। उनके अनुसार नए हाउसिंग बोर्ड के उत्तर दिशा और वाटर वर्क्स के पश्चिम दिशा में रिलायंस पेट्रोल पंप, जीएसएस , आईटीआई , और सैनी रेस्टोरेंट के पास की इस 37 हेक्टेयर भूमि में ही नगर नियोजन विभाग से राजीव आवास योजना को स्वीकृत करवाकर भूखंडों का जरिये नीलामी आवंटन भी किया जा चुका है।
पूर्व चैयरमेन के मुताबिक करीब 134 हेक्टेयर भूमि जोकि खेजड़ी मंदिर से शुरू होकर उपकारागृह के पीछे कैनाल के साथ-साथ स्थित है और खेजड़ी मंदिर से बाबा रामदेव मंदिर के मध्य स्थित है को 17/10/2011 को राजस्व विभाग को राशि जमा करवाकर नगरपालिका को हस्तांतरित करवाया जा चुका है।
यही नही वे कहते हैं कि पैराफेरी क्षेत्र की करीब 466 हेक्टेयर भूमि 7/9/2006 को राजस्व विभाग द्वारा नगरपालिका को हस्तांतरित किया जा चुका है। पूर्व चैयरमेन के अनुसार पैराफेरी क्षेत्र की इस भूमि के भौतिक सत्यापन के लिए उन्होंने अपने कार्यकाल में 2012-13 में जिला कलेक्टर महोदय को पत्र भी लिखा था। पूर्व चेयरमैन ने दावा किया कि कालवा ने लैंड बैंक बनाकर रियायती दर पर गरीब व कमजोर लोगों को जो भूखंड देने का वादा किया है वह भी पूर्णतया झूठा है। क्योंकि रियायती दर पर भूखंड देने में नगरपालिका सक्षम ही नहीं है। ऐसा निर्णय सरकार द्वारा प्रस्तावित योजनाओं में ही और सरकार के स्तर पर ही लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि चेयरमैन कालवा द्वारा अपने काले कारनामों से ध्यान हटाने के लिए लैंड बैंक का लॉलीपॉप जनता को दिया जा रहा है। जो कि किसी छलावे से कम नहीं है।
अपने कार्यकाल में बनाये गए 62 पट्टों पर दी सफाई
प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूर्व चैयरमेन से पूर्व विधायक और चैयरमेन कालवा द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस में 62 फ़र्ज़ी पट्टे बनाने और बाद में उन्हें रदद् करवाने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह मामला 2010 का है । वे तब नए नए चैयरमेन बने थे ।उस समय तात्कालिक ईओ मदन सिंह बुडानिया ने नियमो का हवाला देकर ये पट्टे बनाए थे। ईओ के विश्वास पर ही उन्होंने पट्टों पर साइन किए थे। बाद में जब नये ईओ भंवरलाल सोनी ने उन्हें जानकारी दी कि ये पट्टे नियमो के विरुद्ध है तो उन्होंने खुद ही इन्हें रदद् करने की मांग करते हुए सीएम को पत्र लिखा था ।
अन्तत…
राजनीति में ईमेज़ का बड़ा महत्त्व है। इसलिए जो समझदार नेता होते हैं वे अपनी इमेज के प्रति बहुत गंभीर होते हैं । जो इसकी और ध्यान नही देते हैं उन्हें इनकी कीमत भी चुकानी पड़ती है । उदाहरण के तौर पर आप सूरतगढ़ के बड़े नेताओं को भी देख सकते हैं । भ्रष्टाचार के आरोपों में और अपने कामों से जनता की नजरों से गिरने वाले नेताओं को जनता ने दूसरा मौका नही दिया है। इसलिए राजनीति में लम्बी पारी का सपना देख रहे चैयरमेन कालवा को इन आरोपों का जवाब देना चाहिए । वरना खामोशी को मौन स्वीकृति ही माना जाता है । बहरहाल अब तक मास्टरजी वाली छवि वाले चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा पर छोटे से कार्यकाल में लग रहे संगीन आरोपों के बीच एक बहुत ही रोमांटिक गीत की ये पंक्तियाँ याद आ रही है ।
सरकती जाए है सर से नकाब ! आहिस्ता आहिस्ता……….




-राजेन्द्र जैन
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