कलर प्रमाण पत्र जारी करने के नाम पर वसूले जा रहे 200 रुपये

सूरतगढ़ । नगरपालिका में कर्मचारियों का भ्रष्टाचार किसी से छिपा हुआ नहीं है। लेकिन अब इस लूट के खेल में नगरपालिका के सरकारी कर्मचारियों के साथ-साथ संविदा कर्मचारी भी शामिल हो गए हैं। सूरतगढ़ नगरपालिका द्वारा विवाह प्रमाण पत्र जारी करने की फीस के रूप में 1000 रुपए तो पहले ही वसूले जा रहे थे। लेकिन अब यह सामने आया है कि विवाह प्रमाण पत्र जारी करने के बाद प्रमाण पत्र का रंगीन प्रिंट ग्लेज्ड सीट पर निकालने के नाम पर 200 रुपये की अतिरिक्त अवैध वसूली की जा रही है। विवाह प्रमाण पत्र जारी करने वाली शाखा में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाली एक महिला कर्मचारी द्वारा इस तरह की वसूली का मामला तब सामने आया जब पिछले दिनों एक मीडियाकर्मी ने अपने भतीजे के विवाह का प्रमाण पत्र जारी करने का आवेदन किया। प्रमाण पत्र जारी करने के दौरान महिला संविदा कर्मचारी ने रंगीन प्रिंट जारी करने के नाम पर मीडियाकर्मी से भी 200 रुपये वसूल कर लिए। उसके बाद यह मामला नगरपालिका अध्यक्ष ,अधिशासी अधिकारी और शहर में सरकार के नुमाइंदे पूर्व विधायक गंगाजल मील तक भी पहुँचा । लेकिन संविदा कर्मचारी पर आज तक कोई कार्रवाई तक नहीं की गई। यही नहीं बेशर्मी की हद यह है कि अवैध वसूली की राशि तक वापस नही लौटाई गयी । इस घटना से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सूरतगढ़ नगरपालिका में भ्रष्टाचार का अजगर किस तरह से आम आदमी को निगलने के लिए तैयार है? किस तरह से रेगुलर कर्मचारी तो छोड़िए संविदा पर काम करने वाले कर्मचारी भी बेखौफ होकर आम आदमी का खून तक निचोड़ लेने को तैयार बैठे हैं ? क्या 20 से 30 रुपये के काम के लिए किसी को भी 200 रुपये तक वसूलने की छूट दी जा सकती है ? इससे भी बड़ा सवाल यह है कि ऐसे भ्रष्ट संविदा कर्मचारी को किसका वरदहस्त प्राप्त है ? जो नगरपालिका चेयरमैन और अधिशासी अधिकारी मामला सामने आने के बाद भी करवाई तक नहीं कर पा रहे हैं ? कुल मिलाकर अफसोस की बात ये है कि पिछले बोर्डों की तरह नगरपालिका का नवनिर्वाचित बोर्ड भी भ्रष्टाचार को शिष्टाचार मान लेने की राह पर चल पड़ा है।