
सूरतगढ़ नगरपालिका के चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा एक बार फिर से चर्चा में है । अफसोस की बात यह है कि शिक्षक पृष्ठभूमि से होने के बावजूद चेयरमैन कालवा इस बार कानून की धज्जियां उड़ाने को लेकर चर्चा में है । मामला नगरपालिका अध्यक्ष की मौजूदगी में ईओ लालचंद सांखला का विदाई समारोह आयोजित करने से जुड़ा है। इस मामले को लेकर हुई अज्ञात शिकायत के बाद नगरपालिका के पूर्व चेयरमैन बनवारीलाल मेघवाल ने भी चेयरमैन ओम कालवा के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर चेयरमैन ओम कालवा को सस्पेंड कर अपराधिक मुकदमा दर्ज करवाने की मांग की है । अपने पत्र में पूर्व चेयरमैन ने आरोप लगाया है कि लॉकडाउन के दौरान 31मार्च 2020 को नगरपालिका मे पूर्व ईओ लालचंद सांखला की सेवानिवृत्ति पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया । पूर्व चेयरमैन के अनुसार जब पूरा देश को कोरोना संक्रमण से जूझ रहा हैं ओर सरकार ने पूरे प्रदेश में धारा 144 लागू करने के साथ-साथ किसी भी तरह के समारोह पर रोक लगा रखी है इसके बावजूद चेयरमैन ओम कालवा ने समारोह आयोजित कर लोकडाउन की धज्जियां उड़ाई। ज्ञापन में पूर्व चेयरमैन ने लिखा है कि समारोह में करीब 150 से 200 की संख्या में नगरपालिका के कर्मचारी, पार्षद, ठेकेदार ओर कुछ पत्रकार मौजूद थे। उनके अनुसार पूरे समारोह के दौरान एक-दो व्यक्तियों को छोड़कर अधिकांश व्यक्ति बिना मास्क लगाए उपस्थित थे । चेयरमैन बनवारीलाल मेघवाल ने अपने ज्ञापन में समारोह आयोजित किए जाने की वजह को लेकर भी चेयरमैन ओम कालवा पर सनसनीखेज आरोप लगाया है। पूर्व चेयरमैन के मुताबिक लॉकडाउन की आड़ में चेयरमैन ओम कालवा व ईओ लालचंद सांखला ने भू माफियाओं से मिलकर अपनी सेवानिवृती से ठीक कुछ दिन पहले शहर में खाली पड़े बेशकीमती प्लाटों के फर्जी दस्तावेजों से पट्टे बनाकर 4 से 5 करोड़ रुपये वसूल लिए थे ओर इसी वजह से चेयरमैन द्वारा लॉकडाउन के बावजूद ईओ लालचंद सांखला के लिए भव्य विदाई समारोह आयोजन किया गया।
क्या सत्ता के नशे में मास्टरजी भूले नियम ?
नगरपालिका में आयोजित विदाई समारोह में डेढ़ सौ से 200 व्यक्तियों को इकट्ठा कर धारा 144 ऑफ लॉकडाउन को ठेंगा दिखाया ही गया। इससे भी बड़ी बात यह है कि खुद चेयरमैन जिन पर मास्क लगाने का संदेश देकर संक्रमण को रोकने की जिम्मेदारी है वे खुद भी बिना मास्क के कार्यक्रम में मौजूद रहे। वही उन्होंने समारोह मे ईओ को माला पहनाकर ओर गले लगकर सोशल डिस्टेंसिंग की भी जमकर मख़ौल उड़ाया। सवाल यह उठता है कि क्या मास्टर जी को सोशल डिस्टेंसिंग के जानकारी नियमो की जानकारी नहीं थी ?
पूर्व चेयरमैन के गंभीर आरोपों की होनी चाहिए जांच
इस मामले में पूर्व चेयरमैन बनवारी लाल मेघवाल द्वारा लगाये गए गये गम्भीर आरोपों की भी जांच होनी चाहिए। हालांकि लालचंद सांखला के पूरे कार्य पूरे कार्यकाल के दौरान नगरपालिका में जमकर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। लेकिन सेवानिवृत्ति से ठीक पहले लोकडाउन का फायदा उठा कर भू माफियाओं के साथ मिलकर पट्टे बनाने का आरोप बेहद गंभीर है। सरकार को इस मामले की उच्चस्तरीय जांच करवानी चाहिए। क्योंकि जब पूरी राज्य सरकार युद्ध स्तर पर कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए रात दिन जुटी हुई है। उसी दौरान अधिकारियों द्वारा लॉकडाउन का फायदा उठा कर करोड़ों का भ्रष्टाचार करना जनता के साथ-साथ सरकार से भी बहुत बड़ा धोखा है।

