गरीबों के राशन पर व्यवस्था का डाका !

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बाज़ार भाव से ज्यादा में खरीद लगाया लाखों का चूना

4600 राशन किट खरीद मामले में उठ रहे सवाल ?

लॉकडाउन के दौरान नगरपालिका द्वारा द्वारा गरीबों को बांटी गई राशन किट

सूरतगढ़प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भले ही लॉकडाउन के अंतिम चरण में आपदा में अवसर तलाश करने का आह्वान किया हो । परन्तु सूरतगढ़ नगरपालिका ने तो लॉकडाउन के प्रथम चरण में गरीबों को बांटे जाने वाले राशन किट के टेंडर में ही अवसर खोज लिया था ? आप यकीन न करें पर ये सच है! राशन किट के टेंडर से जुड़े दस्तावेजों से जो जानकारी निकलती है उससे तो यही लगता है कि गरीबों के राशन को भ्रष्टाचार की दीमक चट कर गयी। इस मामले में नगरपालिका प्रशासन पर चहेती फर्म को टेंडर देने, बाजार भावों से अधिक कीमत पर टेंडर करने, ठेकेदार फर्म द्वारा घटिया क्वालिटी का सामान देने और राशन कीट के वितरण में भी गड़बड़ी जैसे कई गम्भीर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस मामले में प्रशासन पूरी पारदर्शिता से टेंडर करने की बात जरूर कर रहा हैं। लेकिन मामले से जुड़े दस्तावेज प्रशासन के दावों की कलई खोल रहे हैं। राशन किट की आपूर्ति ओर वितरण में गड़बड़ी के सवालों का जवाब नगरपालिका के पास नहीं है।

चहेती फर्म को दिया टेंडर !

राशन किट खरीद के मामले में नगरपालिका पर पहला आरोप चहेती फर्म को टेंडर देने का है। टेंडर के दस्तावेजों के अनुसार 25 लाख रुपए में राशन किट की खरीद के लिए निकाली गई निविदा में दो ही फर्मों ने टेंडर डाले । आटा,दाल,तेल,चाय, चीनी सहित नौ आइटम की एक किट के लिए प्रताप किरयाना स्टोर ने 646 रुपये प्रति किट की दर से टेंडर भरा। जबकि दूसरी फर्म कमल किरयाना स्टोर द्वारा प्रति किट 655 रुपए की दर से टेंडर भरा गया। कम दरों के चलते प्रताप किरयाना स्टोर को टेंडर कर दिया गया । बाद में नगरपालिका ने राशन किट से चाय व चीनी को हटा दिया गया । शेष बची 7 वस्तुओं को शामिल करते हुए नगरपालिका ने नेगोशिएशन के बाद 536 रु में किट खरीदना तय किया। लेकिन 25 लाख रुपए मूल्य के टेंडर के लिए केवल दो आवेदन आना ही सवाल खड़े करता है !

ऑनलाइन टेंडर में दोनों फर्मों की राशन किट की दरें।

शहर में किराना व्यवसाय से जुड़ी कम से कम 10 अन्य ऐसी बड़ी फर्में है जो इन राशन किटों की आपूर्ति कर सकती थी। लेकिन इनमें से एक भी फर्म द्वारा टेंडर नहीं भरा गया। क्या इसका मतलब नहीं निकालता कि पालिका ने निविदा का प्रचार प्रसार ही नहीं किया। जिससे कि दूसरी फर्मे टेंडर में भाग ले सके। इसके अलावा हैरान करने वाली बात यह भी है कि कमल किरयाना स्टोर नामक जिस दूसरी फर्म ने टेंडर भरा , उस फर्म द्वारा राशन किट में शामिल आटा, दाल, तेल,चीनी, चाय, मिर्च,हल्दी ,नमक और साबुन में से किसी का भी व्यापार नहीं किया जा रहा है। साफ है कि कमल किरयाना स्टोर नामक फर्म का टेंडर महज औपचारिकता के लिए भरवाया गया था।

बाजार भाव से अधिक पर खरीदी 4600 राशन किट !

नगरपालिका पर दूसरा बड़ा और गंभीर आरोप बाजार भाव से अधिक मूल्य पर खरीद का है। यह सामान्य नियम है कि जब ज्यादा क्वांटिटी में कोई चीज खरीदी जाती है तो उसका मूल्य सामान्य भावों से कुछ कम ही रहता है। लेकिन राशन किट मामले में इसका उल्टा हुआ है। नीचे दी गयी तालिका से इस पूरे घोटाले को आप समझ सकते हैं । नगरपालिका ने जिन 7 आयटम की राशन किट को ₹536 प्रति किट के हिसाब से खरीदा। अगर किट के सभी आयटम का उनकी मात्रा और अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह में बाजार भाव से कुल टोटल किया जाए तो यह राशि 430 – 440 रुपये ही बैठती है । जिसका मतलब है कि प्रति किट 90 से 100 रुपये का भुगतान ज्यादा किया गया। अगर पालिका द्वारा खरीदी गई करीब 4600 किट के अनुसार हिसाब लगाएं तो जनता के टैक्स के 4 लाख से ज्यादा रुपए ठेकेदार फर्म को लुटा दिये गये। वह भी तब, जबकि हमने सभी वस्तुओं के रिटेल रेट को ही शामिल किया है। अगर थोक मूल्य लगाया जाए तो यह राशि और ज्यादा होती । ठेकेदार फर्म पर लुटाए गये इस पैसे से करीब 800 परिवारों को ओर राशन किट बाँटी जा सकती थी । लेकिन तात्कालिक अधिशासी अधिकारी लालचंद सांखला और मास्टर ओम कालवा की अगुवाई में गरीबों का निवाला कब छीन गया पता ही नही चला । अब इस बात का अंदाजा आप खुद लगाइये की इस लूट का हिस्सा किस-किस तक पहुंचा होगा ।

किट के आयटम खुदरा दर मूल्य

  • 1. आटा 10 kg 240 रु. /10 kg 240 रु.
  • 2. चना दाल 1 kg 62-65 रु./kg 65 रु.
  • 3. रिफाइएंड तेल 1/2 ली. 100 रु./लीटर 50 रु.
  • 4. मिर्च पावडर 200 grm 200 रु./kg 40 रु.
  • 5. हल्दी पाउडर 100 grm 150 रु./kg 15 रु.
  • 6. नमक 1 kg 15 रु./kg 15 रु.
  • 7. साबुन निरोल 250 grm 60 रु./kg 15 रु.
  • 440 रु.
लोकडाउन के दौरान एक पार्षद द्वारा खरीदे गए आटे की दरों को दर्शाता बिल

राशन की क्वालिटी भी सवालों के घेरे में !

राशन किट मामले में एक और नगरपालिका भावों को लेकर ठेकेदार फर्म पर मेहरबान दिखी तो दूसरी और अधिकारियों ने राशन किट की वस्तुओं की क्वॉलिटी को लेकर भी आंखें मूंद ली। किट में दी गई सभी वस्तुएं की क़्वालिटी तय मानकों से बेहद खराब थी। खास तौर पर किट में दिया गया आटा, तेल,मशाले और साबुन । यही नही आटे की जो थैलियां बाँटी गयी वे भी वितरण से काफी समय पूर्व तैयार की गई थी और थैलियों पर बेस्ट यूज 5 डे फ्रॉम डेट ऑफ पैकेजिंग लिखा हुआ था । बाद में ठेकेदार फर्म द्वारा पेन से आटा थैली पर पुरानी डेट की जगह 27/3/20 अंकित कर दी यानि कि एक्सपायरी डेट का आटा किटों में सप्लाई कर दिया गया । यदि किट की क्वालिटी को सही ढंग से चेक की जाती तो किट की कोई भी वस्तु तय स्टेंडर्ड के अनुरूप पास नही हो सकती थी । पर भ्रष्टाचार की भांग से मस्त पालिका अधिकारियों ने आंखे मूंद ली। वैसे भी राशन किट गरीबों में बांटी जानी थी तो क्वालिटी की फिक्र कौन करता ?

किट की संख्या को लेकर उठ रहे सवाल !

नगरपालिका के अनुसार लॉकडाउन के दौरान दो चरणों में करीब 4600 से ज्यादा राशन किट का वितरण किया गया। कच्ची बस्ती के वार्डों में 150 तो अन्य वार्डों में 50 से 100 किट का वितरण की बात प्रशासन कर रहा है। परन्तु नगरपालिका के कई वर्तमान पार्षदों ने भी उस दौरान राशन किट का सही वितरण नहीं होने का आरोप लगाया था । इसके अलावा पार्षदों पर वास्तविक जरूरतमंद को किट देने की बजाय अपने नजदीकी लोगों को ही किट देने के आरोप भी लगे थे। यही नही कई माननीय जनप्रतिनिधी किटों को बेचने की कोशिश करते भी दिखे । इसके अलावा नगरपालिका द्वारा बाँटी गयी किट की संख्या को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि किट लेने वालों के फ़र्ज़ी नामो की सूची बनाकर रिकॉर्ड तैयार कर लिया गया है । लेकिन अगर नगरपालिका लाभर्थियों की सूची जारी करे तो अधिकारियों के साथ-साथ कई जनप्रतिनिधियों के चहरों से भी नकाब उठ सकता है !

राशन किट खरीद कमेटी की भूमिका सवालों के घेरे में !

राशन किट के टेंडर से पहले नगरपालिका स्तर पर एक कमेटी का गठन किया गया था । इस कमेटी में वाईस चैयरमेन सलीम कुरेशी, परसराम भाटिया, जगदीश मेघवाल, हरीश शर्मा, रोहिताश ओर महेंद्र गोदारा सहित 9 पार्षद शामिल थे । कमेटी सदस्यों की माने तो किट की जल्दी आपूर्ति के लिए ही ज्यादा मूल्य के बावजूद प्रताप किरयाना स्टोर को टेंडर किया गया । लेकिन यह तर्क इसलिए बेमानी है कि उक्त फर्म किट के किसी भी सामान का उत्पादन नही करती है इसलिए उसे भी बाजार से खरीदकर ही सामान की आपूर्ति करानी थी। ऐसे में अगर किसी ओर फर्म को टेंडर होता तो वह भी आपूर्ति कर सकती थी। टेंडर कमेटी में इतने अनुभवी पार्षदों के होते हुए राशन किटों की खरीद बाजार मूल्य से अधिक पर होना इन पार्षदों की योग्यता पर सवाल खड़े करता है । इससे भी बड़ा सवाल ये है कि जनता की गाढ़ी कमाई की बर्बादी में तमाशबीन बने इन अनुभवी पार्षदों का ये हाल है तो आप अंदाजा लगाइये नगरपालिका में चल रहा जनता के धन की लूट का खेल कैसे रुकेगा ?

अन्ततः….

राशन किट की खरीद में गड़बड़ी ने ये साफ कर दिया है कि 10 माह पहले जनता ने नगरपालिका में बोर्ड भले ही बदल दिया है पर व्यवस्था में जरा भी बदलाव नही आया है। कोरोना काल मे जब लोग अपने पैसों से गरीबों की मदद के लिए आगे आ रहे थे उसी दौर में नगरपालिका के भृष्ट सिस्टम ने गरीबों को बांटी जाने वाली राशन किट में ही खेल कर दिया गया तो आप खुद ही अंदाज़ा लगा सकते हैं कि नगरपालिका के अफसर और बाबू किस स्तर पर भ्रष्टाचार की सीमाएं लाँघ चुके हैं । काजल की कोठरी को साफ करने की उम्मीद हमने जिन मास्टर जी से लगाई थी उनका हाल भी आप जान ले । उनसे जब इस मामले में जब पूछा गया तो मास्टर जी मीटिंग का बहाना बनाते नज़र आये। ऐसे में क्या ये मान लेना चाहिए काजल की कोठरी में उतरे मास्टरजी भी कलंक का टीका लगा चुके हैं । लॉकडाउन के दौर में सरकारी दीमकों के गरीबों के निवाले पर पड़े ऐसे डाके को देखकर ही शायद किसी कवि ने ये पंक्तियां लिखी होगी….
में बचाता रहा दीमकों से घर अपना ।
चन्द कीड़े कुर्सियों के सारा देश खा गए ।।
राजेन्द्र पटावरी

राशन किट आपूर्ति के लिए नगरपालिका द्वारा निकाली गई निविदा।

1 thought on “गरीबों के राशन पर व्यवस्था का डाका !

  1. Bhai koi kesa bhi ho tensan mat le me kisi k bare me kuch nhi bolunga par Bhai enko khus hone de bus time aane vala h uper Vale ki lathi chlne vaali h jo rong h use saja melegi or ese melegi ki uski aane vali nusale bhi yad kregi ager hogi to

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