सूरतगढ़। होली के रंगों भरे त्यौंहार ने एक बार फिर दस्तक दी है। हाथों में पिचकारी लिए छोटे छोटे बच्चे, गुलाल और रंगों से भरे चेहरे ,चँगों पर नाचते-गाते युवा- बुजुर्ग ! होली की ये वो पहचान है जो सदियों से हमारे जीवन मे इस तरह से रस बस गयी है कि इनके बिना हम हिंदुस्तानी अपने जीवन की कल्पना तक नही कर सकते। यह त्योहार अबीर -गुलाल के रंगों की तरह ही हमारे जीवन को भी इंद्रधनुष की भांति भिन्न भिन्न रंगों से भरता हैं। जीवन मे उमंग भरने के साथ ही यह त्योंहार दूसरे किसी भी त्योंहार से कई मायने में खास है।


होली की सबसे बड़ी खासियत है कि यह शायद अकेला ऐसा त्योंहार है जो आपसी प्रेम और सौहार्द को बढ़ाता है । क्यों होली खेलते वक़्त हम हिन्दू या सामने वाला मुसलमान-सिख या फिर ईसाई नही रहता सब बस दोस्त बन जाते हैं। रंगों में घुली हुई मोहब्बत और अबीर गुलाल में लिपटा स्नेह हर एक चेहरे को जो शक्ल देता है उसमें हमारी हिन्दू – मुस्लिम या कोई और पहचान खत्म हो जाती हैं। हर एक चेहरा सिर्फ और सिर्फ भाई चारे का पैगाम देता दिखाई देता हैं। इस त्योंहार की दूसरी जो खास बात है वो ये है कि तमाम तरह की जीवन की परेशानियों के बावजूद होली खेलते वक़्त हर एक इंसान कुछ घण्टों के लिए ही सही अपने सभी गम और परेशानियों को भुला देता है। सभी चिंताओं से दूर होकर जीवन की खुशियों के आनन्द में डूब जाता है।




इस त्योंहार का आर्थिक पक्ष भी बेहद महत्वपूर्ण हैं । दूसरे त्योंहारों का आर्थिक पक्ष जहां किसी आम इंसान को कमतरी का एहसास कराता हैं साथ ही हीन भावना को भी बढ़ाता है। वहीं होली के त्योंहार में खुशियां हासिल करने में आर्थिक पक्ष अधिक मायने नही रखता है। बहुत ही कम खर्चे में रंग और गुलाल की व्यवस्था हो जाती है। वैसे भी होली में हम एक दूसरे के रंग का उपयोग करते हैं। मतलब तो बस रँगने से होता है रंग से नही।
कुल मिलाकर होली का धार्मिक पक्ष भले ही इसे हिंदुओं का त्योंहार बनाता हो। पर सच्चाई ये है कि यह वास्तव में धर्म की सीमाओं से परे मोहब्बत का वह सुरीला नगमा है जिसे गुनगुना कर हर कोई मस्ती और उमंग से सरोबार हो जाता है। जो किसी भी इंसान को नफरत से बहुत दूर प्रेम की नगरी की और खींचता है । अब जब कि देश और समाज मे धर्म के प्रति कट्टरता बढाने वाली घटनाएं लगातार सामने आ रही है और धर्म के आधार पर विभाजन की रेखा गहरी होने लगी है। हमे लगता है कि इन हालातों में होली का महत्व और ज्यादा हो जाता है। इसलिए ये समय होली को फिर अपनी बुलन्दी पर पहुंचाने का हैं। होली के रंगों से विभाजन की गहरी रेखा को मिटा कर मोहब्बत और भाईचारे की मिसाल पेश करने का ये वक़्त है। इसलिये इस बार होली जरूर खेलें ।