लेघा ने दिखाया दम, टिकट की टकटकी लगाए नेताओं की उड़ी नींद

POLIITICS

प्रतिद्वंदी नेता दिनभर पूछते रहे भीड़ का आंकड़ा

सूरतगढ़। भाजपा नेता राहुल लेघा द्वारा आयोजित सैनिक सम्मान समारोह राजनितिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है। कार्यक्रम में हजारों की भीड़ इकट्ठा कर अपना दम दिखाकर साबित कर दिया है कि भीड़ जुटाने के मामले में वे स्थानीय दिग्गज नेताओं से कम नहीं है। टिकट की मांग कर रहे भाजपा के दिग्गज जहाँ अपनी पूरी ताकत लगा कर दो ढाई हजार में सिमट कर रह गए। वही राजनीति का ककहरा सीख रहे लेघा ने दिग्गजों से कई गुना भीड़ जुटा कर दिग्गजो की नींद उड़ा दी है। कार्यक्रम में भीड़ इकट्ठा कर लेघा ने टिकट के दावेदारों को यह इशारा कर दिया वे उन्हें हल्के में न लें।

दोनों पार्टीयों के नेता फोन कर पूछते रहे भीड़ का आंकड़ा

कार्यक्रम में मौजूद हज़ारों की भीड़

लेघा द्वारा सैनिक सम्मान समारोह को लेकर किये गए जमकर प्रचार और दावों ने कार्यक्रम को लेकर ऐसा भौकाल खड़ा कर दिया कि कुछ दिनों से दोनों पार्टियों के नेताओं की नींद उड़ी हुई थी। हालात यह रहे कि कार्यक्रम के दौरान भीड़ का आंकड़ा जानने को लेकर खुफिया एजेंसियों के कार्मिकों और मीडिया कर्मियों के पास फोन आते रहे। भीड़ को लेकर नेताओं की उत्सुकता यह बताने के लिए काफी है कि चुनाव लड़ने के इच्छुक इन नेताओं में सैनिक सम्मान समारोह की दहशत किस तरह हावी थी।

कार्यक्रम में भीड़ के अलग अलग दावे

हालाकि सैनिक समारोह में भीड़ को लेकर अलग-अलग कयास लगाए जा रहे हैं। लेकिन भीड़ का जो सर्वमान्य आंकड़ा निकल कर आ रहा है वह 8 से 12 हजार लोगों का है। इस आंकड़े के न्यूनतम फिगर को भी अगर सही माना जाए तो भी यह आंकड़ा भाजपा के दिग्गजों द्वारा परिवर्तन यात्रा में जुटाई गई भीड़ का लगभग 3 गुना है। जो किसी भी दृष्टि से कम नहीं कहा जा सकता। हालांकि यह आंकड़ा लेघा के दावे (25000) का लगभग आधा या उससे कम ही है। फिर भी राजनीति में सिर गिनाना जरूरी होता है जिसमें राहुल लेघा काफी हद तक कामयाब हो चुके हैं।

राहुल के डर से नेताओं ने बनाई कार्यक्रम से दूरी ?

राहुल लेकर द्वारा आयोजित सैनिक सम्मान समारोह में भाजपा नेताओं की अनुपस्थिति भी चर्चा का विषय बनी रही। कार्यक्रम में भाजपा जिलाध्यक्ष, विधायक रामप्रताप कासनिया, राजेंद्र भादू, अशोक नागपाल सहित स्थानीय राजनीति के तमाम बड़े चेहरे गायब दिखे। हालांकि बताया जा रहा है कि इस कार्यक्रम के दौरान ही आगामी चुनाव को लेकर पार्टी की बैठक थी और तमाम नेता बैठक में उपस्थित रहने के चलते सैनिक सम्मान कार्यक्रम में नहीं आ पाए।

दिखने में तो यह तर्क ठीक प्रतीत होता है। लेकिन शायद हकीकत में ऐसा नहीं था। क्योंकि राहुल लेघा का कार्यक्रम पूर्व निर्धारित था ऐसे में पार्टी के स्थानीय नेता चाहते तो बैठक का समय एडजस्ट किया जा सकता था। लेकिन कार्यक्रम में पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के जाने से भीड़ बढ़ने के खतरे का देखकर शायद जानबूझकर ही बैठक कार्यक्रम के समय में ही रखी गई।

टिकट की रेस में शामिल हुए लेघा ?

सैनिक समारोह के बहाने शक्ति प्रदर्शन कर राहुल लेघा भाजपा में टिकट की दौड़ में अब विधिवत रूप से शामिल हो गए हैं। विधायक रामप्रताप कासनिया और पूर्व विधायक राजेंद्र भादू, अशोक नागपाल और नरेंद्र घिन्टाला जैसे टिकट के दावेदारों के बीच लेघा की उम्मीदवारी को काफी कमजोर आंका जा रहा था। लेकिन सैनिक सम्मान समारोह में जुटी भीड़ ने लेघा को टिकट दौड़ की पंक्ति में काफी आगे लाकर खड़ा कर दिया है। कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और राजस्थान के चुनाव सहप्रभारी कुलदीप बिश्नोई का शामिल होना इस बात का संकेत है कि टिकट की शतरंज में लेघा अपनी बिसात बिछा चूके है।

       लेघा की दावेदारी मजबूत होने की एक वजह यह भी है कि वर्तमान भाजपा का दूरदर्शी नेतृत्व यह भाँप चुका है कि अगर भविष्य में पार्टी को मज़बूत रखना है तो बुजुर्ग नेताओं का विकल्प अभी से तैयार करना होगा। इसी वजह से भाजपा में 70 वर्ष से अधिक आयु के टिकट के दावेदारों को टिकट नहीं देने की जाने की चर्चा जोरों पर है। सूरतगढ़ की अगर बात करें तो 70 वर्ष की दहलीज को पार कर चुके विधायक रामप्रताप कासनिया और पूर्व विधायक राजेंद्र भादू की अगली पीढ़ी राजनीति के मैदान में आने के लिए परिपक्व नहीं है। ऐसे में यह लगभग तय माना जा रहा है कि पार्टी की टिकट परिवारवाद से इतर किसी नए चेहरे को टिकट मिलेगी।

क्यूंकि भाजपा से टिकट की दावेदारी जता रहे शेष नेताओं में भीड़ जुटाने के मामले में राहुल फिलहाल सबसे आगे है इसलिये यह कहना गलत नहीं होगा कि वे सैनिक समारोह के बाद लेघा भाजपा टिकट के मजबूत दावेदार बन चुके हैं।

           

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