दिखावे से दूर शांत रहकर काम करने में विश्वास रखते है लेघा
महाराणा प्रताप विश्वविद्यालय,उदयपुर के लेघा रह चुके है छात्र संघ अध्यक्ष

सूरतगढ़। सूरतगढ़ विधानसभा से आगामी चुनावों में भाजपा की टिकट की दावेदारी जता रहे उम्मीदवारों की संख्या यूं तो बहुत ज्यादा है। परन्तु राजनीतिक धरातल पर ज्यादातर उम्मीदवारों के लिए टिकट दूर की कौड़ी है। भाजपा में टिकट के गंभीर उम्मीदवारों की बात करें तो उनकी संख्या उंगलियों पर गिनने लायक हैं।भाजपा में टिकट के चंद गंभीर और मज़बूत उम्मीदवारों में एक नाम है भाजपा के युवा नेता और पंचायत समिति सदस्य राहुल लेघा का। टिकट का सपना देख रहे ज्यादातर नेता जहाँ सोशल मीडिया पर महापुरुषों की जयंति और विभिन्न दिवसों की बधाइयां के पोस्टर शेयर कर खुद को विधायक मान बैठे हैं। वहीं राहुल लेघा गंभीरता से टिकट के प्रयास में जुटे हुए हैं।
राहुल लेघा के दावे को मजबूत मानने की एक वजह सार्वजनिक जीवन में उनकी धमाकेदार एंट्री भी है तो दूसरी वजह है उनकी परिवार की मजबूत राजनितिक पृष्ठभूमि। सार्वजनिक जीवन के अपने पहले ही चुनाव में युवा राहुल लेघा ने पंचायत समिति के पूर्व प्रधान और कांग्रेस के दिग्गज नेता कहे जाने वाले साहब राम पूनियां को पटखनी दे डाली। छात्र राजनीति के बाद सार्वजनिक जीवन में धमाकेदार एंट्री राहुल के चमकदार राजनीतिक भविष्य की और इशारा करती है। पूर्व प्रधान साहबराम पूनियां के खिलाफ जब राहुल लेघा ने उम्मीदवारी का ऐलान किया तब शायद ही किसी को यह उम्मीद रहेगी कि राजनीतिक का ककहरा सीख रहा यह नौजवान राजनीति के दिग्गज को कभी ना भूल पाने वाला सबक सिखा देगा। खैर राजनीति के बारे में कहा जाता है कि यह संभावनाओं की कला है। ऐसे में राहुल लेघा भी नई संभावनाओं के साथ राजनीति के मैदान में है। लेघा परिवार की राजनीतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करने को बेचैन ये युवा फिलहाल गंभीरता से मिशन-2023 में जुटा है।
70 की दहलीज पर खड़े नेताओं से निराश जनता को नए चेहरे का इंतज़ार

सूरतगढ़ विधानसभा की बात करें तो पिछले डेढ़ दशक से दो-तीन चेहरों के इर्द-गिर्द ही भाजपा की राजनीति ठहरी हुई है। लेकिन 70 की दहलीज पर पहुंच चुके यह नेता आम जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाए। यहां तक की पार्टी का भी एक बड़ा तबका भी इन नेताओं की कार्यप्रणाली से खुश नहीं है। जीत के बावजूद भाजपा के ये नेता पार्टी कार्यकर्ता और जनता दोनो में से किसी को भी साध नहीं पाए। ऐसे में पुराने नेताओं की उम्मीदवारी का पार्टी और आम जनता में भी अंदरखाने विरोध है।
इसके अलावा कर्नाटका में जिस तरह से भाजपा को पुराने चेहरों पर दांव लगाना महंगा पड़ गया है, उससे लगता नहीं है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी कर्नाटका की गलती को दोहराएगी। ऐसे में यह करीब-करीब तय माना जा रहा है कि पार्टी किसी नए चेहरे को उम्मीदवार बनाएगी। अगर ऐसा होता है तो राहुल लेघा अपनी राजनीतिक विरासत और चुनाव लड़ने के लिए आवश्यक संसाधनों की दृष्टि से दूसरे सभी उम्मीदवारों पर भारी नज़र आते है।
राहुल लेघा के दादा चंदू राम लेघा पिछले 50 वर्षों से राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय हैं। सन 1995 से 2000 के बीच वे पंचायत समिति के पूर्व प्रधान रह चुके हैं। वहीं राहुल के चाचा राजेंद्र प्रसाद लेघा वर्तमान में विजयनगर नगरपालिका के चेयरमैन है तो खुद राहुल लेघा पंचायत समिति के डायरेक्टर हैं। ऐसे में कहा जा सकता है राहुल लेघा की दावेदारी काफ़ी मजबूत है।
लेघा की दावेदारी को मजबूत करती जाट सीट की धारणा

भाजपा में टिकट बदलाव की सूरत में राहुल लेघा की मजबूत दावेदारी का एक पक्ष यह भी है कि वे भी जाट बिरादरी से संबंध रखते हैं और सूरतगढ़ सीट को राजनीतिक समीकरणों की दृष्टि से जाट सीट के रूप में दर्ज़ है। ऐसे में बुजुर्ग नेताओं को छोड़ दिया जाए तो अगली पंक्ति में राहुल लेघा की उम्मीदवारी दूसरे सभी जाट उम्मीदवारों पर भारी दिखती हैं। साथ ही परिवार की राजनीतिक विरासत और रिश्तेदारियां भी जाट उम्मीदवार के रूप में उनके दावे को मजबूत करती है।
राहुल लेघा का संक्षिप्त जीवन परिचय
राहुल लेघा के जीवन परिचय की बात करें तो 2 अक्टूबर 1995 को रघुनाथपुरा में जन्मे राहुल लेघा महाराणा प्रताप विश्वविद्यालय उदयपुर से इंजीनियरिंग स्नातक है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य के रूप में राजनीतिक करते हुए सन 2014-15 में विश्वविद्यालय के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ते हुए जीत हासिल की। 2018 से 20 के बीच वे भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य रहे। पूर्व पंचायत समिति प्रधान चंदू राम लेघा के पौत्र और महावीर लेघा के पुत्र राहुल लेघा वर्ष 2021 में पंचायत चुनाव में दिग्गज नेता साहब राम पूनिया को हराकर पंचायत समिति डायरेक्टर चुने गए। वर्तमान में वे पूरे जोर-शोर से आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे है।
अच्छे प्रशासन की उम्मीद जगाते है राहुल लेघा
नेताओं से ना उम्मीद हो चुकी सूरतगढ़ शहर की जनता को अब नये चेहरों से उम्मीद है। ऐसे में अपने सरल स्वभाव और इंजीनियरिंग में स्नातक डिग्री रखने वाले युवा राहुल लेघा एक बेहतर विकल्प की उम्मीद जगाते हैं। पिछले करीब 2 साल से शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में राजनीति के साथ-साथ सामाजिक व अन्य गतिविधियों में भी राहुल लेघा लगातार सक्रिय नजर आ रहे हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी राहुल के समर्थकों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
पिछले दिनों अपने जन्मदिन के उपलक्ष में विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन कर राहुल अपनी राजनीतिक हैसियत का परिचय भी दे चुके हैं। विशाल रक्तदान शिविर में उमड़ी हजारों की संख्या में भीड़ को राहुल की शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा गया। कुल मिलाकर राहुल लेघा कम समय में युवा पीढ़ी के उन नेताओं में से एक बनकर उभरे हैं जो बेहतर राजनीतिक भविष्य की उम्मीद जगाते हैं।