महिला प्रदर्शनकारियों के प्राइवेट पार्ट्स पर चोटें
जामिया कोर्डिनेशन कमेटी ने बुलाया था प्रोटेस्ट

नई दिल्ली। विरोध प्रदर्शनों के दौरान लाठीचार्ज होना कोई नई बात नहीं है। सत्ता किसी की भी रही हो विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए पुलिस शक्ति का इस्तेमाल करती हैं और कई बार पुलिस बर्बरता से भी पेश आती हैं। परंतु पुलिस टारगेट करके खासकर महिला प्रदर्शनकारियों के प्राइवेट पार्ट्स पर चोट पहुंचाए तो आप इसे क्या कहेंगे ? लेकिन केंद्रीय सत्ता के बदले निजाम में दिल्ली पुलिस का यह वीभत्स चेहरा भी अब सामने आया है। दिल्ली मे मंगलवार को सीएए के विरोध में निकाले गये प्रोटेस्ट मार्च में पुलिस ने जामिया विश्वविद्यालय की महिला प्रदर्शनकारियों की ब्रेस्ट ओर प्राइवेट पार्ट्स को टारगेट करते हुए लाठियां मारी। पुलिस की इस क्रूरता पूर्ण कार्रवाई में 10 महिला छात्रों को गहरी चोट आई। चोट की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि महिलाओं को पहले जामिया हेल्थ सेंटर में भर्ती कराया। फिर चोट की गंभीरता को देखते हुए इन छात्राओं को अल – शिफा हॉस्पिटल में रेफर किया गया है। पुलिस की क्रूरता की वैसे तो अनगिनत मिसाले हैं। लेकिन महिलाओं के प्राइवेट पार्ट्स को टारगेट कर चोट पहुंचाने का यह संभवत विश्व का पहला मामला है। इस तरह के हमले के पीछे दो तरह की वजह हो सकती है पहली यह कि सत्ता का हिंदूवादी चेहरा मुसलमानों के प्रदर्शन को खासकर महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है। जिसकी वजह से पुलिस को खासतौर से इस तरह के निर्देश जारी किए गए हो या फिर दूसरी वजह यह भी हो सकती है कि सत्ता द्वारा फैलाए गए हिंदू मुस्लिम का जहर अब इन पुलिस वालों की रगों में भी दौड़ने लगा है जो बुर्का पहनकर प्रदर्शन कर रही महिला प्रदर्शनकारियों को देखकर बदले की भावना से भर जाता है। जिसके बाद ये पुलिसकर्मी महिला प्रदर्शनकारियों को सबक सिखाने के नाम पर इस तरह के कुकृत्य से भी गुरेज नहीं करते।
बहरहाल केंद्रीय सत्ता और पुलिस की दरिंदगी की इंतहा ज्यों-ज्यों हदों को पार कर रही हैं। जामिया ,जेएनयू जैसे देश भर के विश्वविद्यालयों और शाहीन बागों में इकट्ठा हुए लोगों की बुलन्द आवाजों में फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की नज्म ‘हम देखेंगे – हम देखेंगे, लाजिम है कि हम देखेंगे’ की गूंज तेज होती जा रही है।
– राजेंद्र पटावरी।