तलवारे चलेंगी,ना खंजर उठेंगे..प्रैस के शुभचिंतकों को एक संदेश

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बहुत चर्चा था पहलू में दिल का ।
जो चीरा तो कतरा-ए-खूँ भी ना निकला ।।

गालिब का ये शेर तो आपने जरूर सुना होगा। जूपी के एक भैया इस शेर की तरह कुछ समय से यूट्यूबर्स मीडियाकर्मियों को फांसी चढ़ाने का ऐलान किए हुए है । डिजिटल को मीडिया नहीं मानने वाले भैया व्हाट्सप्प/फेसबुक (डिजिटल मीडिया) पर विष्ठा फैलाकर ऐसे खुश हुए जा रहे हैं कि मानो को बहुत बड़ा तीर मार दिया हो। वैसे गंदगी फैलाने के लिए कई बार भैया लतिया दिए गये है पर क्या है कि भैया को लताड़ खाने की आदत है। हम पहले ही बोले है कि भैया कुछ कम अक्ले हैं, इसलिए हम उनकी बातों का ज्यादा बुरा नहीं मानते।

पर एक बात तो कहनी पड़ेगी की भैया पर पिछली बार लगाई गई लताड़ का कुछ तो असर पड़ा है वरना हम तो भैया को चिकना घड़ा ही समझे थे। भैया ने कम से कम यूटूबर्स को मीडियाकर्मी तो मान लिया है साथ ही हमने भैया को नाशुकरा कहा था तो अब भैया ने ये भी मान ही लिया की हमहीं उनकी मदद किये थे। लेकिन नाशुकरा कहने से भैया बहुते ही ज्यादा आहत हो गये हैं तो अब भैया ठान लिये है कि नेताजी की जूठन का क़र्ज़ उतार के ही रहेंगे। इसलिए भैया खूब मेहनत भी कर रहे है। पूरा शहर भले ही नेताजी की लानत मलानत कर रहा हो लेकिन भईया नेताजी से मानहानि का मुक़दमा करवाकर डिजिटल वालों को फांसी पर चढ़ा कर रहेंगे।

यही नही भैया को हमारा अंडर मेट्रिक बताना तो और भी नागवार गुजरा है। भैया अब बतिया रहे है कि उनके पास कलम घिसने का कोई डिप्लोमा भी है। तो भैया आपने हमारी डिग्री तो लोगों को सार्वजनिक कर दी उसके लिये आपका बहुत धन्यवाद पर तनिक जरा अपना डिप्लोमा भी दिखा देते। अंडर मेट्रिक के बाद कलम घसाई को कोनो डिप्लोमा होता है लोगन को पता चल जाता। बाकि अब हमें भी समझ में आ गया कि भैया के खुद को ‘अल्जजीरा की आवाज़’ का सीईओ समझने की असली वजह यही डिप्लोमा है। भैया को हमारे मूर्ख शब्द के प्रयोग पर भी आपत्ति है पर जरा आप ही बताइए कि पॉलीटिशियन को मीडियाकर्मियों पर मुकदमा करवाने की सलाह देने वाले को क्या कहा जाएगा।

वैसे आपको बताता चलूं कि अंडर मैट्रिक बताने के बाद भैया की हालत कुछ ठीक नहीं है इसलिए आजकल भैया किराये के घसीयारों के सहारे छाती पीट रहे है। वैसे बुराई भी नही है जब कोई बाँझ औरत बच्चा नही जन पाती है तो किराये की कोख का ही सहारा लेना पड़ता है। अब इन घसियारों के मार्फत भैया हमें IBR के नियमों का ज्ञान बाँट रहे है पर क्या है कि हमने एक कहावत सुनी है कि ‘भैंस के आगे बीन बजाने से कोई फायदा नहीं है’ तो अब हम भैया को इतना ही कहेंगे कि भईया जब धारा 43 तक पढ़ लिये तो तनिक आगे की धाराऐं भी पढ़ लेते।

खैर भैया को क्यूंकि हमसे ही नही हर किसी से शिकायत है इसलिए शिकायत करते रहते है तो शिकायत करके खुश हो सकते है। वैसे भी भैया सरकारी ऊंट गाड़ी के नीचे चलने वाले कुत्ते की तरह गलतफहमी का शिकार हैं इसीलिये भैया आजकल हर किसी पर भौंकें जा रहे है। मालिक की वफादारी तो अच्छी बात है लेकिन समझना चाहिए कि वातावरण में प्रदूषण फैलाना ठीक नही है।

हालांकि हमारे तमाम आख्यानों के बाद भी सर्वज्ञानी भैया के ज्ञान चक्षु शायद खुलें नही है या फिर गुलामी का नमक भैया के खून में अब भी हिलोरे मार रहा है। इसीलिये मीडिया के स्वंभू झंडाबरदार मीडिया के ही दुश्मनो के सिपहसालार बने बैठे है। भैया की ऐसी हरकतों को देखकर रामदरथ मिश्र की एक कविता की कुछ पंक्तियां याद आ रही है

फिरते हो गरजते से हवाओं से डर के तुम।
लगते नहीं हो कहीं से हमारे शहर के तुम।।
सपनों से भरी आंख तुम्हारी, थी तुम्हारी।
आकर यहां गुलाम हुए किस नजर के तुम।।
मिलती गई मंजिले तुमको मगर ऐ दोस्त।
एहसानमंद ना हो सके, रहगुजर के तुम।। 

कुल मिलाकर भैया की हालत इन दिनों वीर सावरकर जैसी है,उनकी तरह ही सत्ताधारियों के वजीफे पर पलने वाले ‘वीर’ अपने ही लोगों के खिलाफ खड़े हैं उस पर तुर्रा ये कि गाना गाएंगे ‘सरफरोसी की तमन्ना अब हमारे दिल में है’। तो भैया जैसे आज वीर सावरकर को याद किया जाता है आप का इतिहास भी कुछ ऐसा ही होगा। बाकि भैया के लिये हम एक पुरानी फ़िल्म का गाना गुनगुनाना चाहेंगे। जिसके बोल कुछ यूँ है कि

छुरी बन,कांटा बन ओ माय सन,
सब कुछ बन मगर किसी का चमचा नहीं बन।।
आलू बन शोरा बन …..

गाना बहुत पुराना है मगर रिलेवेंट है तो लिंक भी दे रहा हूं ताकि आप और भैया भी सुन लें।   

खैर भैया इस लायक नही है कि उनके बारे में कुछ ज्यादा बात की जाये। इसलिए बात को विराम देते हुए भाखला पाड देने के वहम पाल रहे भैया को बस इतना ही कहना चाहेंगे कि भइया दलाली के नमक में इतनी ताकत नहीं होती और हम तो आपको वैसे भी बहुते ही अच्छी तरह जानते है। तो आप ये जान लें कि…

तलवारे चलेंगी,ना खंजर उठेंगे।
ये बाजू मेरे आजमाये हुए है ।।

 

1 thought on “तलवारे चलेंगी,ना खंजर उठेंगे..प्रैस के शुभचिंतकों को एक संदेश

  1. Tamaam Umar gujar gyi fikr karte huye Aaj Tak mere naam ka charcha na hua ….. Aapke sath bhaiya ji ne kuch aisa hi Kiya chalo koi na km se km nazr Mila kr to tum log hi miloge….

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