नामांतरण के लिए धरना देने को हुए मजबूर हुए कांग्रेसी नेता
क्या चैयरमेन ओमप्रकाश कालवा कर पाएंगे व्यवस्था सुधार ?

सूरतगढ़। नगरपालिका में भूखंडों के नामांतरण के लिए भूमि शाखा के बाबू किस तरह से चक्कर कटवाते हैं इसकी बानगी सोमवार सुबह देखने को मिली। जब कांग्रेस नेता गुरदर्शन सिंह सोढ़ी ने दर्जनों चक्कर काटने के बाद भी नामांतरण नहीं करने पर नगरपालिका में धरना लगा दिया। अपने खाली भूखंड के नामांतरण के लिए सोढ़ी पिछले लंबे समय से पालिका के चक्कर काट रहे थे। लेकिन भूमि शाखा में बैठे बाबू जो खुद को नगरपालिका का सर्वेसर्वा समझ बैठे हैं, आखिर किसी को कैसे न्याय देते ! सो उन्होंने कांग्रेस नेता को ही चक्करघिन्नी बना दिया। भूमि शाखा के इन बाबूओं के बहानों से आजिज कांग्रेस नेता ने आखिरकार धरना लगा दिया। हालांकि धरने की सूचना मिलने पर चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा व कई पार्षद मौके पर पहुंचे और समझाइश कर सोढी को धरने से उठाया। इस दौरान कांग्रेस नेता ने पूर्व विधायक गंगाजल मील को भी मामले की जानकारी देते हुए भूमि शाखा के बाबूओं की कारगुजारी की पोल खोल दी।
बताया जा रहा है कि बाद में पूर्व विधायक ने कांग्रेस नेता सोढ़ी, पालिकाध्यक्ष और भूमि शाखा के बाबूओं को घर पर बुलाया। जहां पर पूर्व विधायक मील ने बाबूओं की तगड़ी क्लास लगाई। पूर्व विधायक की डांट के असर से भूमि शाखा के निठल्ले बाबू हरकत में आए और कांग्रेस नेता के भूखंड नामांतरण की फाइल को पर लग गए। लेकिन सवाल ये पैदा होता है कि पूर्व विधायक ने कांग्रेस नेता की पीड़ा तो महसूस कर ली लेकिन उन्हें अब तक आम आदमी की पीड़ा क्यों नहीं महसूस हुई। जबकि पिछले कई सालों से शहर का हर आम आदमी भूमि शाखा के इन बाबुओं के शोषण का शिकार बन रहा था। सवाल ये भी है कि पूर्व विधायक ने इन बाबुओं को जो सबक दिया है वह केवल नेताओं के मामले में ही काम करेगा या फिर ये बाबू आम जनता को भी न्याय देंगे।
पूर्व ईओ लालचंद सांखला के समय बिगड़ी व्यवस्था
नगरपालिका की भूमि शाखा में लालचंद सांखला के ईओ के रूप में कार्यभार ग्रहण करने से पहले पालिका के पुराने व सीनियर कर्मचारी भूमि शाखा का काम देखते थे। ये सीनियर कर्मचारी ईमानदार होने के साथ- साथ शहर के हर आम और खास आदमी से परिचित भी थे । जिसके चलते भूमि शाखा में नामांतरण सहित दूसरे कामों के लिए आने वाले लोगों को संतुष्टि पूर्ण जवाब मिलता था। लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते तड़ीपार किए गए लालचंद सांखला की कांग्रेस नेताओं ने ना केवल नगरपालिका में वापसी करवाई, बल्कि ईओ का चार्ज दिलवाकर सर्वेसर्वा बना दिया। जिसके बाद पूर्व ईओ सांखला ने पालिका की सभी शाखाओं के पुराने व सीनियर कर्मचारियों को हटाकर कम महत्वपूर्ण सीटों पर लगा दिया और इनकी जगह सूबे की दूसरी नगरपालिकाओं में भ्रष्टाचार के लिए कुख्यात जूनियर कर्मचारियों को लगाकर सर्वे सर्वा बना दिया। जिससे कि जनता का खून चूसने की मुहिम को आराम से पूरा किया जा सके।
हालांकि ईओ सांखला रिटायर होकर घर जा चुके हैं लेकिन उनके लाये हुए चिंचड़ पालिका की विभिन्न शाखाओं में अभी भी चिपके हुए हैं और बेरहमी से आम आदमी का खून चूसे जा रहे हैं।
सफाई कर्मचारियों को भी बनाया बाबू
पूर्व ईओ लालचंद सांखला ने एक तरफ दूसरे जिलों से लाकर भ्रष्टाचारियों को भूमि शाखा सहित विभिन्न विभागों में पद स्थापित किया। वहीं उन्होंने पालिका की भूमि शाखा में अपने चहेते सफाई कर्मचारियों को अटैच कर दिया। जिन लोगों को झाड़ू पकड़ाकर शहर की सफाई करवानी थी उन लोगों को कलम पकड़ा दी। जैसा कि किसी शायर की पंक्तियां है कि ‘बरसात में अक्सर तालाब हो जाते हैं कमजर्फ, ठीक उसी तरह से इन सफाई कर्मियों पर कलम की ताकत का नशा चढ़ गया और इन्होंने अपने नशे को भूमि शाखा में आने वाले आम आदमी पर उतरना शुरू कर दिया। यही वजह है अब नगरपालिका की भूमि शाखा के चर्चे पूरे सूबे में है।
दिनभर भूमाफियों और दलालों के होते हैं काम, आम आदमी को नही मिलता न्याय !
नगरपालिका की भूमि शाखा में दिन भर भू-माफिया और दलाल किस्म के लोग डेरा डाले रहते हैं। इन दो नंबरी लोगों से मिलने वाले कमीशन के चक्कर में भूमि शाखा के बाबू दिन भर इन लोगों की जी हुजूरी में लगे रहते हैं। क्योंकि इन सफेदपोश लोगों को अपने काले कारनामों को कागजों में सफेद करवाना होता है इसलिए वे इन बाबुओं को मुंह मांगा कमीशन देते हैं। जब काम करने के पैसे मिल रहे हो तो फिर इन बाबुओं को फ्री में काम करने का मन क्यों करेगा। नतीजा आम आदमी अपने सही काम के लिए भटकता रहता है । भले ही उसकी चप्पल घिस जाए पर उसका काम नहीं होता।
इसकी एक वजह ओर भी है क्योंकि सत्ता का स्वाद ले रहे जिम्मेदार लोग इन बेलगाम घोड़ों की लगाम सही ढंग से नहीं कस पा रहे है जिसकी वजह से इन बेलगाम घोड़ों ने घास की जगह अमीरों के चने खाना शुरू कर दिए है। ऐसे में ये बदमस्त घोड़े आम आदमी को लात ही तो मारेंगे।
पूर्व विधायक राजेन्द्र भादू से सबक लेने की जरूरत
सत्ता पक्ष के कांग्रेस नेताओं को यूं तो राजनीति का लंबा अनुभव है फिर भी जब बात नगरपालिका की करें तो पूर्व विधायक राजेंद्र भादू से कांग्रेस नेता सबक ले सकते हैं। विधायक बनते ही राजेंद्र भादू ने दूरगामी निर्णय लेते हुए नगरपालिका में जमे हुए भ्रष्टाचार के लिए कुख्यात बाबूओं को भी एक के बाद एक बाहर का रास्ता दिखा दिया। जिनमे से वर्तमान कांग्रेस सत्ता द्वारा बाबू से ईओ बनाये गए लालचंद सांखला भी एक थे। भादू ने इन भृष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों को नगरपालिका के आस पास 5 साल तक फटकने भी नही दिया।
राजेंद्र भादू के इस दूरगामी निर्णय का प्रभाव यह रहा कि उनके कार्यकाल में भूमि शाखा में कम से कम भ्रष्टाचार का ऐसा नँगा नाच नही हुआ। हालांकि भ्रष्टाचार पूरी तरह से खत्म हो गया यह भी नहीं कहा जा सकता। लेकिन फिर भी इस बात के लिए राजेंद्र भादू को शहर के जनता शुक्रिया कर सकती है की उन्होंने महाभ्रष्ट कर्मचारियों को तड़ीपार करने का साहस दिखाया।
कैसे होगा व्यवस्था में सुधार


इस पूरे प्रकरण के बाद पूर्व विधायक गंगाजल मील और चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा ने व्यवस्था में सुधार की बात कही है। चेयरमैन कालवा ने कहा है कि भविष्य में नामांतरण के लिए फाइल जमा होने के समय रसीद देने की व्यवस्था की जाएगी। जिससे कि नामांतरण संबंधी काम समय पर पूरा नही होने पर बाबू की जिम्मेदारी तय की जा सके। लेकिन ये व्यवस्था कारगर हो पाएगी इसमें संदेह है क्योंकि जब तक इन विभागों में लगी दीमक को साफ नहीं किया जाएगा तब तक सुधार की गुंजाइश कम है।
पूर्व विधायक गंगाजल मील, युवा हनुमान मील और चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा वास्तव में जनता के हमदर्द है तो उन्हें तत्काल इन शाखाओं में बैठे भ्रष्ट और नाकारा बाबूओं को हटाकर पालिका के सीनियर व ईमानदार कर्मचारियों को बिठाना चाहिए। वरना जनता वोट के समय चोट कर आपकी गलतियों को याद कराने से नही चुकेगी। मर्जी आपकी है क्योंकि भविष्य भी आपका है। खैर छोड़िए ऊपर हमने किसी शायर की जो पंक्तियां लिखी हैं वे अधूरी है आप बस इस पूरे शेर का मजा लीजिये।
बरसात में अक्सर तालाब हो जाते हैं कमजर्फ।
मगर आपे से बाहर कभी समंदर नहीं होता।।
-राजेन्द्र पटावरी, उपाध्यक्ष-प्रेस क्लब सूरतगढ़।