सूरतगढ़ । नगरपालिका चेयरमैन मास्टर कालवा इन दिनों काफी खुश हैं। क्योंकि पिछले दिनों हुई भूखंडों की बोली के बाद पालिका का खाली खजाना एकबारगी भर गया है। वहीं राज्य सरकार ने भी पालिका को विभिन्न योजनाओं के लिए एक बड़ी राशि आवंटित की हैं। इसके अलावा मास्टर जी के खुश होने की दूसरी वजह ईओ मिलखराज चुघ का एपीओ होना भी है। वैसे ईओ चुघ की छुट्टी के पीछे कमीशन के खेल की कहानी भी सामने आ रही है।
सूत्रों के मुताबिक मास्टरजी का ईओ चुघ के साथ काफी समय से 36 का आंकड़ा चल रहा था। जिसके चलते मास्टरजी ईओ को हटाना चाह रहे थे। लेकिन पिछले दिनों जब नगरपालिका को भूखंडों की नीलामी से करीब 4 करोड रुपए की आय हुई और राज्य सरकार ने भी करीब 3 करोड रुपए की राशि विभिन्न योजनाओं के लिए सूरतगढ़ नगरपालिका को आवंटित की तो मास्टर जी एक बार फिर सक्रिय हो गये। क्योंकि अगर सात-आठ करोड रुपए की इस राशि से ठेकेदारों को चेक काटे जाते तो कुल 17 परसेंट में से करीब 4% कमीशन ईओ चुघ को भी मिलता। यानी कि करीब 30 लाख रुपये । सो मास्टरजी ईओ को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए बड़े नेताजी को फीडबैक देना शुरू कर दिया । आखिरकार मास्टरजी नेताजी को कन्विंस करने में कामयाब हो गये। नतीजा ईओ चुघ को एपीओ करने के आदेश जारी हो गए। ईओ को रवानगी देने के बाद मास्टर जी ने सहायक अभियंता सुशील कुमार सियाग को अधिशासी अधिकारी का कार्यभार दिलवा दिया है। परन्तु नए नियमों के अनुसार आरएमएस यानी कि राजस्थान म्युनिसिपालिटी एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस के कर्मचारी को ही ईओ के पद पर लगाया जा सकता है। क्योंकि अभियंता सियाग आरएमएस सेवा के अंतर्गत नहीं आते , जिसका सीधा सा अर्थ है कि वे इस सीट पर कुछ ही दिनों के मेहमान हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या मास्टरजी नहीं चाहते थे कि ईओ चुघ नगरपालिका खजाने में पड़ी करीब सात से करोड रुपए की राशि के भुगतान के चैक काटते और उन्हें कमीशन की राशि मिलती ? ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पहले तो मास्टरजी ने नगरपालिका फंड में राशि होने के बावजूद करीब 1 माह से ठेकेदारों को भुगतान करने की सहमति नहीं दी और इसी बीच ईओ चुघ को एपीओ करवा दिया। ईओ के एपीओ होने के बाद यह माना जा रहा है कि अब अगले कुछ ही दिनों में कार्यवाहक ईओ द्वारा ठेकेदारों को भुगतान के लिए चेक काटे जाएंगे। लेकिन यहां पर एक सवाल यह भी पैदा होता है कि क्या कार्यवाहक वर्तमान ईओ तक 4% का कमीशन पहुँचेगा ? हमे लगता है कि ऐसा नहीं होनेे वाला है ! क्योंकि यह पूरा खेल ही कमीशन की 4 प्रतिशत राशि की बंदरबांट के लिए रचा गया है। वैसे 30 लाख रुपये कोई छोटी रकम नही है बड़ों बड़ों का ईमान डोल सकता है। अब इस बंदरबांट में कौन – कौन शामिल होगा, आप खुद इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं। वैसे इस बात की भी चर्चा है कि कमीशन का हिस्सा ऊपर तक पहुंचेगा । यूं मास्टरजी खुद को भले ही ईमानदारी की सर्फ से धुला हुआ बताते रहें हैं लेकिन पालिका में ठेकेदारों से चेयरमैन के नाम पर वसूले जाने वाले 4% कमीशन को लेकर पिछले डेढ़ साल से मास्टर जी ने एक भी बयान नहीं दिया है । ऐसे में क्या हम ये मान लें कि ईओ की तरह करीब 30 लाख रुपये का कमीशन मास्टरजी तक भी पहुंचेगा ? वैसे इसमें ईओ के हिस्से आने वाले 30 लाख के बंटवारे से मिलने वाली रकम शामिल नहीं है । कुल मिलाकर जब मास्टरजी की पांचो उंगलियां घी में और सिर कढ़ाई में हैं तो मास्टर जी खुश क्यों ना हो ! पर जाते-जातेे मास्टर जी के लिए किसी शायर की यह पंक्तियां याद आ रही है।
कागज का यह लिबास बदन से उतार दे।
बादल बरस गया तो किसे मुंह दिखाएगा ।। –