शाहीन बाग इस समय देश की सबसे बड़ी जरूरत PART-2

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एनआरसी को लागु नहीं करेगी सरकार ?

शाहीन बाग़ पर  चल रहे आंदोलन के बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा  कि देश में एनआरसी लागु नहीं किया जायेगा । फिर भी पिछले 50 दिनों से शाहीन बाग़ पर आंदोलन जारी है । मेरा मानना है कि CAA  हर हाल में वापस होना चाहिए । क्यूंकि अकेला एनआरसी  इतना खतरनाक नहीं है पर वर्तमान  CAA के साथ ये सत्ता को ऐसा हथियार दे सकता जिसका इस्तेमाल भविष्य में वह मुसलमानों के विरुद्ध संघ के एजेंडे को लागु करने में कर सकती है । इसीलिए किसी भी सविंधान पसंद नागरिक का शाहीन बाग़ को समर्थन देना बहुत जरूरी है।लेकिन यह बात भी सही है कि सरकार फ़िलहाल एनआरसी को लागु नहीं करने जा रही है । इस बात के पीछे जो सबसे बड़ा कारण  लगता है, वो है आसाम में एनआरसी लागू होने के बाद बनी परिस्थितियां। आसाम में एनआरसी लागू करने के बाद भाजपा के लिए एक तरफ कुआँ और दूसरी तरफ खाई की सिचुएशन बन गई है । क्योंकि CAA लागू करने के बाद भी आसाम में स्थानीय लोगों के विरोध के चलते एनआरसी से बाहर हुए हिंदुओं को मुख्यधारा में शामिल करना सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती है । आसाम के साथ-साथ नॉर्थ ईस्ट के कई राज्यों ने भी सीएए को घुसपैठियों को बैक डोर एंट्री देने का प्रयास मानते हुए आंदोलन छेड़ रखा है। मुख्यधारा का मीडिया इन प्रदर्शनों की कवरेज से बच रहा है । लेकिन यह तय है कि आसाम के लोग किसी भी कीमत पर पीछे हटने को तैयार नही हैै । दूसरी ओर सरकार भी अब समझ चुकी है कि देशभर में एनआरसी लागू होने पर भी आसाम जैसे की परिणाम आ सकते हैं । आसाम में तो केवल 19 लाख लोग ही एनआरसी से बाहर हुए है । यदि भारत में एनआरसी को लागू किया जाता है तो कम से कम 2 करोड रू लोग अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाएंगे और इनमें मुसलमानों की अनुमानित संख्या करीब 50 लाख होगी। ऐसे में सवाल उठेगा कि सरकार इन 50 लाख लोगों का क्या करेगी । यह संख्या इतनी बड़ी है कि सरकार अगर चाहे भी तो इन लोगों को न तो  डिपोर्ट कर सकती हैं और ना ही डिटेंशन कैंपों में इतनी बड़ी आबादी को रखा जा सकता है। डिटेंशन सेंटर की लागत और क्षमता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि आसाम के ही गोपाल पाड़ा में 45 करोड़ की लागत से बने  डिटेंशन सेंटर की क्षमता  महज 3000 लोगों को रखने की है । साफ है कि 50 लाख लोगों को रखने लायक डिटेंशन सेंटर बना पाना सरकार के बूते से बाहर की बात है । तो फिर वही सवाल उठता है कि सरकार इन लोगों का क्या करेगी । हमें लगता है कि सरकार  ज्यादा से ज्यादा वोट बैंक की राजनीति आर एसएस के हिंदू राष्ट्र के एजेंडे के तहत इन लोगों से वोट करने और अन्य सामान्य नागरिक के सिविल अधिकार वापस ले लेगी। लेकिन ऐसा करने पर भी देश के हालात इतने बुरे हो सकते हैं कि सरकार के लिए संभालना मुश्किल हो जाएगा। इसके अलावा  इस समय देश के आर्थिक हालात भी ऐसे नहीं हैं कि एनआरसी को पूरे देश मेंं लागू करने के लिए आवश्यक व अनुमानित 54 हजार करोड रुपए खर्च करना भी सरकार के बूते से बाहर है। क्योंकि इस वक्त देश रिकॉर्ड आर्थिक मंदी से गुजर रहा है । उन हालातों में जब सरकार अपने रोजमर्रा के खर्चों के लिए सरकारी संस्थानों को बेचने पर मजबूर हो रही है। इस बात की  सम्भावना कम ही है कि पिछले 5 सालों से हद दर्जे के बेवकूफी भरे कारनामे करने के बाद भी मोदी सरकार आसाम एनआरसी से सबक नहीं लेगी और पूरे देश में एनआरसी लागू करने का आत्मघाती कदम उठाएगी ।

                                                                                                                  -राजेन्द्र पटावरी 

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