भाजपा नेता बाबू सिंह खींची ने सीएम को पत्र लिखकर की शिकायत
सूरतगढ़। ‘समरथ क़ो नहीं दोस गोसांई’। शहर में अवैध निर्माण को लेकर नगरपालिका प्रशासन का दोहरा रवैया यही साबित करता है। जहां आम आदमी अपने भूखंड पर कोई भी निर्माण भी करता है तो पालिका कर्मचारी आ धमकते हैं और निर्माण स्वीकृति, नक्शे के मुताबिक निर्माण नहीं होने का बहाना कर काम रोक देते हैं। लेकिन जब कोई धन्ना सेठ या प्रभावशाली नक्शे और नियमों की धज्जियां उड़ाकर निर्माण करता है तो पालिका प्रशासन को सांप सूंघ जाता है। यही नहीं शिकायत करने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी अपनी आंख, नाक और कान बंद कर लेते है।
शहर के वार्ड नंबर-26 में नियमों क़ो ताक में रखकर ऐसे ही एक व्यावसायिक काम्प्लेक्स का निर्माण धड़ल्ले से किया है। नेशनल हाईवे-62 निरंकारी भवन से ठीक पहले बनाई जा रहे इस कटले के निर्माण में भूखंड मालिकों द्वारा भूखंडों का एकीकरण किये बगैर ही निर्माण नहीं किया जा रहा बल्कि नियमों और नक्शे की धज्जियां भी उड़ाई जा रही है। आम आदमी को निर्माण स्वीकृति नहीं होने पर धमकाने और निर्माण रुकवाने वाले पालिका अधिकारीयों और कर्मचारियों की इस अवैध निर्माण पर आँख तक नहीं खुल रही है। जबकि इस मामले में नियम विरुद्ध निर्माण से पालिका को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान भी हो रहा है।
बिना एकीकरण 3 भूखंडो पर हो रहा एकल निर्माण, विभाग कों लगाया लाखों का चूना



इस कटले के निर्माण में नियमों का जिस तरह से मखौल उड़ाया गया है शहर में उसकी दूसरी मिसाल मिलना मुश्किल है। दरअसल ये कटला जिस भूखंड पर बनाया जा रहा है वह एकल भूखंड नहीं है, बल्कि तीन अलग-अलग भूखंड है। इनमें से एक भूखंड नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष ओम कालवा के पुत्र कमल कालवा, दूसरा अंबिका अरोड़ा व तीसरा भूखंड राहुल तनेजा नामक व्यक्तियों का है। प्रत्येक भूखंड का साइज करीब 20.5 × 70 फ़ीट का है। भवन निर्माण विनिमय के अनुसार अलग-अलग भूखंडों का एकीकरण कराये बगैर एकल निर्माण नहीं हो सकता था। लेकिन भूखंड मालिक अगर स्वंय चेयरमैन पुत्र शामिल हो तो इसकी जरूरत क्या है ? इस मामले में भी ऐसा ही कुछ है ! प्रभावशाली लोगों के दबाव में नगरपालिका ने तीनों भूखंडों का अलग नक्शा अप्रूव कर निर्माण स्वीकृति जारी कर दी है। इसी निर्माण स्वीकृति की आड़ तीनों भूखंडो पर एकल निर्माण 61.5×70 फ़ीट एरिया पर निर्माण किया जा रहा है। यदि भूखंडो का एकीकरण करवाया जाता तो विभाग को लाखों रुपए की आय होती। पर जैसा कि हमने पहले ही लिखा है ‘समरथ को नहीं दोस गोसाई’।
सेट बैक छोड़े बगैर और स्वीकृत नक्शे की धज्जियाँ उड़ा किया जा रहा निर्माण

इस अवैध कटले के निर्माण में एकीकरण के नियमों का ही मजाक नहीं उड़ाया गया है बल्कि सैट बैक नियमों को भी ताक पर रख दिया है। यदि भूखंडो का एकीकरण कर एकल नक्शा से कटले का निर्माण किया जाता तो क्षेत्रफल ज्यादा होने के चलते बड़ा सैट छोड़ना पड़ता। इसलिये भूखंड मालिकों ने तीनों भूखंड़ों के अलग-अलग नक्शे अप्रूव्ड कराकर निर्माण स्वीकृति ले ली ताकि ज्यादा सेटबैक नहीं छोड़ना पड़े।
लेकिन बात यही पर खत्म नहीं होती। इन प्रभावशाली लोगों ने नगरपालिका द्वारा अप्रूव्ड नक्शे में बताये अनुसार भी सेटबैक नहीं छोड़ा है। पालिका से मिले नक्शे के अनुसार तीनों भूखंडो के आगे करीब 9 मीटर (30 फ़ीट ) का सेट बैक छोड़ा गया है। जबकि पीछे की तरफ 2 मीटर (करीब साढ़े 6 फ़ीट ) का सेट में छोड़ा गया है। लेकिन हकीकत यह है कि सेटबैक सिर्फ कागजों में यानी की नक्शे में ही छोड़ गया है। धरातल पर कटले के आगे और पीछे की दिशा में 1 इंच भी जगह सेटबैक के लिए नहीं छोड़ी गई है। साफ है कि नियमविरुद्ध निर्माण कर रहे इन प्रभावशाली लोगों को नगरपालिका और प्रशासन का जरा भी भय नहीं है।
मामला सेटबैक पर ही खत्म नहीं होता है नए भवन निर्माण नियमों के मुताबिक प्रत्येक व्यावसायिक बिल्डिंग पर रेन हार्वेस्टर स्ट्रक्चर का निर्माण भी किया जाना जरूरी है। लेकिन कटले के निर्माण में रैन हार्वेस्टिंग के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
भाजपा कार्यकर्ता बाबू सिंह खींची ने की शिकायत

इस अवैध निर्माण को लेकर भाजपा कार्यकर्ता बाबू सिंह खींची ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। बाबू सिंह खींची ने भूखंडो के एकीकरण और सेट बैक छोड़े बिना बनाए जा रहे कटले के निर्माण को अवैध बताते हुए निर्माण रोकने और कटले को तुरंत सीज करने की मांग की है।