सूरतगढ़। नगरपालिका में बहुचर्चित सीवरेज घोटाले में दर्ज़ मामले में पुलिस ने एफआर लगा दी है। भ्रष्टाचार जब राजनीतिज्ञों और पैसे वाले लोगों से जुड़ा हो पुलिस या सिस्टम कैसे काम करता है यह सभी जानते है। कालवा का मामला भी ऐसा ही है। पुलिस जांच में कालवा को क्लीन चिट मिलने की पहले से ही चर्चा थी। परन्तु यह बात हर कोई जानता है कि शहर में कहीं भी सेप्टिक टैंक/ सोक पिट खाली करवाकर तोड़े नहीं गए। ऐसे में इनका मलबा शहर से दूर फेंकने और सेप्टिक टेंक/सोक पीट के गड्डों को मिट्टी से भरने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। यानि कि 4663 सेप्टिक टेंक/सोक पीट तोड़ने के भुगतान में घोटाला हुआ है।
पुलिस जांच में किन तथ्यों के आधार पर एफआर लग़ाई गई है यह तो जाँच रिपोर्ट सामने आने पर साफ होगा लेकिन ऐसे कई दस्तावेज है जो ये साफ करते है कि 13वें रनिंग बिल के विथहोल्ड किये गए 1.60 करोड़ रू. के भुगतान के लिए जो षडयंत्र रचा गया उसमे कालवा से लेकर जाँच एजेंसी रुडिस्को के अधिकारी भी शामिल थे।
रुडिस्को के आदेश से भुगतान का कालवा का दावा झूठा, फर्ज़ी था आदेश !

सीवरेज मामले में कालवा हमेशा इस बात की दुहाई देते रहे हैं कि उन्होंने जाँच एजेंसी रूडिस्को के आदेश पर ही सीवरेज की विथहोल्ड राशि का भुगतान किया था जो 7 जनवरी 2022 को रुडिस्को के सुप्रीटेंडेंट इंजीनियर (एसई) ने जारी किया था। इस आदेश की फोटो हमने ऊपर दी है। लेकिन आप जानकर हैरान होगें कि कालवा जिस आदेश को अपनी बेगुनाही का सबूत बताते हैं असल में वहीं आदेश कालवा के गुनाह का सबसे बड़ा सबूत है। दरअसल 7 जनवरी 2022 को रूडिस्को के एसई द्वारा जारी यह पत्र ही फ़र्ज़ी था। क्यूंकि यह आदेश रुडिस्को के एसई के नाम से जारी जरूर हुआ था लेकिन उस पर हस्ताक्षर रुडिस्को के अधिशाषी अभियंता (XEN) पंकज अग्रवाल ने किये थे।
जब इस बात की जानकारी रूडिस्को के तात्कालिक एसई जगन्नाथ बैरवा को मिली तो उन्होंने 27 मई 2022 को कारण बताओं नोटिस भी जारी किया था। जिसकी फोटो नीचे दी गई है। इस नोटिस में बैरवा ने XEN पंकज अग्रवाल से पूछा है कि 7 जनवरी 2022 को ज़ब वे (जगन्नाथ बैरवा) कार्यालय में मौजूद थे तो उन्होंने एसई की हैसियत से भुगतान के लिए पत्र क्यों लिखा ?

मतलब साफ है कि कालवा और सीवरेज कंपनी की भुगतान करने के लिए XEN पंकज अग्रवाल से सैटिंग हो चुकी थी। पर क्योंकि भुगतान की राशि एसई के द्वारा विथहोल्ड करने का आदेश दिया गया था तो भुगतान का आदेश एसई स्तर पर ही किया जा सकता था। इसलिये XEN अग्रवाल ने मिलीभगत के चलते खुद ही एसई के रूप में साइन कर आदेश जारी कर दिया।
हालांकि इस कारण बताओ नोटिस पर XEN पंकज अग्रवाल के खिलाफ विभाग ने क्या एक्शन लिया इसकी जानकारी नहीं मिल पायी है। लेकिन विथहोल्ड राशि को रिलीज करने के लिए किये गया ये फ़र्ज़ीवाड़ा साबित करता है कि सीवरेज की गंदगी में कालवा ने भी डुबकी लगाई थी। इसलिये उनके किरदार पर सीवरेज की गंदगी का दाग पुलिस एफआर से नहीं धुल सकते ?
पूर्व अध्यक्ष काजल छाबड़ा की भूमिका पर उठ रहे सवाल कितने जायज ?
सीवरेज मामले में यह बात बार-बार दोहराई जा रही है कि सीवरेज का घोटाला पूर्व चेयरमैन काजल छाबड़ा के कार्यकाल में हुआ और सज़ा कालवा को मिल रही है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि सेप्टिक टेंक तोड़ने और मलबा दूर गिराने के फर्ज़ी बिल छाबड़ा के कार्यकाल में तैयार हुए थे। परन्तु छाबड़ा को मामले में इस बात के लिए संदेह का लाभ दिया जा सकता है कि सम्भवत निचले स्तर के कर्मचारियों के इस फर्जीवाड़े की उन्हें तब जानकारी नहीं रही हो।
दूसरा यह भी है कि छाबड़ा का अपराध तब गठित होता ज़ब छाबड़ा इस फ़र्ज़ीवाड़े के भुगतान के चैक पर साइन करती जो कि उन्होंने नहीं किये। बिल तैयार करने तो निचले कर्मचारियों का रोल मुख्य होता है। लेकिन कालवा इस बात से बच नहीं सकतें क्यूंकि कि उन्हें बिलो के फ़र्ज़ीवाड़े का पता था। लेकिन वे तो इसके बाद भी विथहोल्ड राशि के भुगतान के षड्यंत्र में शामिल हुए। इसलिये कालवा इस मामले में बरी नहीं किये जा सकते।
-राजेन्द्र पटावरी, अध्यक्ष-प्रेस क्लब, सूरतगढ़।