कविता : राजा का ऐलान..दस और दस का जोड़ इक्कीस होता है

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राजा ने एलान किया
दस और दस का जोड़ इक्कीस होता है

कुछ लोग तुरंत सड़कों पर आ गए
राजा के समर्थन में प्रदर्शन करने लगे
राजा ने हमे सच बताया
अब तक हमे झूठ पढ़ाया जा रहा था
बहुत से लोग सड़कों पर नहीं थे
लेकिन टीवी पर इन्हें देख ताली बजा रहे थे
आपस मे बातें कर रहे थे कि देश बदल रहा है

कुछ का कहना था कि यह विवाद का विषय है
इस पर अभी और तर्क-वितर्क होना चाहिए
ऐसी जल्दी भी क्या है
आखिर सबका अपना अपना सच होता है

कुछ का कहना था कि
राजा की बातों पर क्यों जाना
आखिर वह सड़क तो बनवा ही रहा है

कुछ का कहना था कि
राजा गलत तो बोल रहा है
लेकिन अभी परिस्थियां परिपक्व नहीं है
इसलिए अभी इंतजार करना है……
तब तक दूसरे देश के राजाओं पर बात करनी है

लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे
जिन्होंने राजा को चुनौती देते हुए कहा कि
दस और दस का जोड़ हमेशा बीस ही होता है
दस और दस का जोड़ इक्कीस बोलने के पीछे राजा का निहित स्वार्थ है

राजा ने इन्हें खत्म करने का आदेश दे दिया
इन विद्रोहियों ने भी राजा के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया
नदियां लाल हो गयी
विद्रोहियों का खून और पसीना
खेतों में, जंगलों में जज़्ब होने लगा
लेकिन युद्ध नहीं रुका

उस खून सनी मिट्टी से नए विद्रोही पैदा होने लगे

कुछ लोगों ने राजा की तरफ पीठ करके चिल्लाना शुरू कर दिया
युद्ध बन्द करो, आओ तर्क-वितर्क करो
सभा-सेमिनार में राजा के तर्कों को काटो

कुछ ने कहा
तुम्हारी बात सही है, लेकिन रास्ता गलत है
हमारे रास्ते पर आओ
परिस्थितियों के परिपक्व होने का इंतजार करो

जंगलों, खेतों से आवाज आयी,
सच कभी इंतज़ार नहीं करता
क्योकि वह सच होता है

जब सच को जलाया गया था, तब भी परिस्थितियां परिपक्व नहीं थी
लेकिन सच को जलाने से सच खत्म नहीं हुआ
वह और भी मजबूती से स्थापित हो गया
तब उस सच के लिए परिस्थितियां भी परिपक्व हो गयी
ऐसा तब भी हुआ था, ऐसा अब भी होगा

क्योंकि दस और दस का जोड़ बीस
तब भी सच था
आज भी सच है और
भविष्य में भी सच रहेगा…..

मनीषआज़ाद

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