उपखंड कार्यालय के बंद दरवाजे के खुलने का इंतजार

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उपखंड कार्यालय का बन्द दरवाजा

 ‘ ये खिड़की जो बन्द रहती है मेरी दुश्मन है वो मेरी उलझन है वो ‘क्या कमाल का गाना है ? सुना होगा आपने ? इस गाने में शायद प्रेमिका के घर की हमेशा बन्द रहने वाली खिड़की को देखकर प्रेमिका की झलक की नही मिलने से निराश प्रेमी का दर्द बयां किया गया है। नई पीढ़ी को तो शायद याद ना हो पर पुरानी पीढ़ी के लोग इस गाने को शायद नहीं भूले होंगे। खैर छोड़िए हम आपको बताना चाहते हैं कि बन्द खिड़कियां ही नहीं कभी कभी बन्द दरवाजे भी तकलीफ का सबब बन जाते है । पिछले करीब ढाई महिनो से सूरतगढ़ की जनता भी ऐसे ही बन्द दरवाजे के दर्द से दो चार हो रही है। हम बात कर रहे हैंं सूरतगढ़ के उपखंड कार्यालय की। कोविड-19 के प्रकोप के बाद सरकार द्वारा लागू किए गए लॉकडाउन के तहत उपखंड कार्यालय का मुख्य द्वार बन्द कर दिया गया था, जो अनलॉक -1 शुरू होने के बाद भी खुलने का नाम नहींं ले रहा है। अनलॉक-1 के चलते सामान्य हो रही परिस्थितियों के कारण सामान्य कार्यों के लिए शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रो के लोग भी रोजाना बड़ी संख्या में उपखंड कार्यालय पहुंच रहे हैं। लेकिन सामान्य जन को  उपखंड कार्यालय का दरवाजा बंद ही मिलता है। अधिकांश लोग तो कार्यालय के बंद दरवाजे को देखकर दरवाजे को खटखटाने की हिम्मत ही नहींं जुटा पाते। वहीं कुछ लोग हिम्मत करके अगर दरवाजा खटखटा भी लेते हैं तो अधिकांश मामलों में दरवाजा खोलने वाला चपरासी या बाबू फरियादी को बाहर से ही टरका देता है। ऐसे में उपखंड कार्यालय में अपनी किसी समस्या के समाधान या मदद की उम्मीद में पहुंचे लोगों को दर्द और निराशा को लेकर वापस लौटना पड़ता है। उपखंड कार्यालय से जुड़े सूत्रों की माने तो एसडीएम मनोज मीणा के सख्त निर्देशों के चलते कार्यालय का दरवाजा बन्द रखा जा रहा है।

क्या कोरोना वॉरियर्स ही है कोरोना की दहशत में ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉक्टर्स के साथ – साथ पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को भी कोरोना वॉरियर्स माना था । परन्तु सूरतगढ़ में उपखंड  कार्यालय में लोक डाउन के दौरान व अनलॉक-1 में भी अधिकारियों ने जिस तरह का रवैया अपनाया है। वह हमारे  कोरोना वारियर्स के भरम को तोड़ देने के लिए काफी है। खुद एसडीएम मनोज मीना की बात करें तो कोविड-19 के तहत लोक डाउन की शुरुआत के साथ ही एसडीएम साहब ने उपखंड कार्यालय में पास बनाने या फिर अन्य किसी कार्य के लिए आने वाले लोगों से दूरी बना ली थी। संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान एसडीएम साहब कार्यालय के बाहर बनी खिड़की से ही कार्य संपादन करते रहे । कई मौकों पर इमरजेंसी हालात में भी लोगों का एसडीएम मनोज मीना से संपर्क नहीं हो पाने के चलते पास व अन्य कामों के लिए घंटों और दिनों तक इंतजार करना पड़ा । प्रशासनिक अधिकारी के रूप में एसडीएम मीना  पर विभिन्न प्रशासनिक व्यवस्थाओं को सम्भालने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी थी । लेकिन उस दौरान भी एसडीएम मीणा अधिकांश समय कोविद-19 से बचने के लिए घर में समय बिताने की जुगत करते रहे । आप मे से ज्यादातर लोग मेरी बात से इत्तेफाक भी रखते होंगे, क्योंकि अधिकांश लोगों ने एसडीएम साहब को शहर के बाजारों ,वार्डों या फिर उपखण्ड के ग्रामीण इलाकों में व्यवस्थाओं का जायजा लेते हुए शायद ही कभी देखा होगा । एसडीएम साहब अगर कभी दिखे भी है तो किसी उच्चाधिकारी की विजिट या फिर किसी तरह के किट या सामग्री वितरण जैसे किसी कार्यक्रम पर ही उन्हें देखा गया ? कोविड-19 के संक्रमण के भय के चलते एसडीएम मीणा उपखंड कार्यालय मेंं बने अपने ऑफिस में आने जाने के लिए केे खुद भी पिछले दरवाजे का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सावधानी बरतना कोई बुरी बात नहीं है। लेकिन आपकी सावधानी दूसरों के लिए परेशानी का सबब नही बननी चाहिए ।फिलहाल उपखंड कार्यालय का दरवाजा बंद रहने से आमजन को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है । 

सरकारी कार्यालयों में 100% उपस्थिति के निर्देश का नही मिल रहा फायदा

वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा सरकारी कार्यालयों में 100% उपस्थिति का आदेश जारी किया जा चुका है । जिसका मतलब है कि सरकारी कार्यालयों में सभी कर्मचारी उपस्थित रहेंगे और सभी कार्य सुचारू रूप से होंगे। लेकिन सूरतगढ़ में उपखंड कार्यालय का दरवाजा सामान्य तौर पर बंद रहने के चलते 100% उपस्थिति का फायदा आमजन को नहीं मिल पा रहा। क्योंकि उपखंड कार्यालय में आने वाले लोगों को संबंधित बाबू से मिलने तक नहीं दिया जा रहा है। दरवाजे पर खड़ा चपरासी इन लोगों को बाहर से ही टरका देता है। ऐसे में शहरी क्षेत्र ही नहीं वरन दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों से अपने साधनों से या फिर किसी तरह से एसडीएम कार्यालय से संबंधित कार्यों के लिए  आने वाले लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में प्रशासन को चाहिए कि वह कोविद-19 के भय  से परे संवेदनशीलता का परिचय देते हुए सैनिटाइजेशन के सभी संभव उपाय अपनाते हुए इस बंद दरवाजे को खोलकर आमजन को राहत दे । 

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