खबर पॉलिटिक्स के चुनाव अनुमान हुए सही साबित
हज़ारीराम मील बनेंगे गांवो की सरकार के मुखिया

सूरतगढ़। सूरतगढ़ पंचायत समिति के चुनावों के मंगलवार को आये परिणामों ने खबर पॉलिटिक्स के अनुमानों पर मुहर लगा दी है। खबर पॉलिटिक्स के चुनावी अनुमानों में हमने कांग्रेस को बहुमत व हजारीराम मील को प्रधान बनानेे की बात कही थी। नतीजा सामने है पंचायत समिति में कांग्रेस का परचम लहराया है तो भाजपा को झटका लगा है। इतना ही नहीं चुनावों में खबर पॉलिटिक्स के सीटों की संख्या के संबंध में लगाए गए पूर्वानुमान भी एकदम सटीक रहे हैं।
कांग्रेस 10-14 व भाजपा को 6-9 सीट मिलने का अनुमान सही साबित
खबर पॉलिटिक्स के चुनाव अनुमानों में हमने कांग्रेस को 10 से 14 सीटें मिलने की बात कही थी। कांग्रेस ने 14 सीटें हासिल की हैं, जो की खबर पॉलिटिक्स के आंकड़े का उच्चतम स्तर हैं। इतना ही नही खबर पॉलिटिक्स ने भाजपा को इन चुनावों में 6 से 9 सीटें मिलने की बात कही थी। चुनावों में भाजपा को मिली 6 सीटें हमारे इस आंकड़े को मोहर लगा रही है, भाजपा की 6 सीटें हमारे आंकड़े का न्यूनतम स्तर है। इसके अलावा निर्दलीयों दो से तीन सीट मिलने का अनुमान भी बिल्कुल सही साबित हुआ है । चुनावों में निर्दलीयों को 3 सीटें मिली हैं। कुल मिलाकर पंचायत चुनावों में खबर पॉलिटिक्स द्वारा लगाए गए अनुमान पूरी तरह से साबित हुए हैं। ये परिणाम पंचायत समिति में कांग्रेस का परचम लहराने वाले व भाजपा को झटका देेनेे वाले साबित हुए हैं।
कांग्रेस के अंडर करंट की बा हुई सही साबित
खबर पॉलिटिक्स के डिटेल एनालिसिस में हमने पंचायत चुनाव में कांग्रेस के अंडर करंट की बात कही थी। चुनाव के नतीजों में कांग्रेस को मिला बहुमत इस बात को साबित करता है कि इन चुनावों में जनता में भाजपा के विरोध के चलते कांग्रेस के पक्ष में अंडर करंट प्रवाहित हो रहा था। जिसका असर चुनाव परिणामो में साफ नजर आया और पंचायत समिति में कांग्रेस का परचम लहराने सेे भाजपा को झटका लगा ।
NH के दोनों तरफ भाजपा के भारी विरोध की बात भी सही साबित
खबर पॉलिटिक्स में हमने बताया था कि श्रीगंगानगर की ओर जाने वाले नेशनल हाईवे के दोनों तरफ की पंचायतों में भाजपा को तगड़ा झटका लगेगा। क्योंकि इन पंचायतों में पंजाबी बहुल आबादी में रहती है जिसमे कृषि कानूनों को लेकर भाजपा का भारी विरोध है। कल घोषित हुए नतीजों में नेशनल हाईवे के दोनों तरफ की पंचायतों में भाजपा को बुरी तरह पराजय का सामना करना पड़ा है। हाईवे के दोनों तरफ एक भी पंचायत में भाजपा को विजय नहीं मिली है जो इस बात को साबित करती है कि खबर पॉलिटिक्स का दावा बिल्कुल सही था।
टिब्बा क्षेत्र में भी कांग्रेस ने दी कड़ी टक्कर
खबर पॉलिटिक्स के चुनाव एनेलाइसिस में हमने भाजपा को टिब्बा क्षेत्र में भी कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिलने की बात कही थी। हमने बताया था कि भाजपा नेताओं के आपसी समन्वय और गलत टिकट वितरण के चलते टिब्बा क्षेत्र में भाजपा के मजबूत होने के बावजूद कांग्रेस कड़ी चुनौती पेश करेगी। पंचायत चुनाव के परिणामों से साफ जाहिर है कि टिब्बा क्षेत्र में भी भाजपा अपना गढ़ बचा नहीं पाई है जिसका नतीजा इन चुनावों में भाजपा को क्षेत्र की कई सीटें गंवाकर भुगतना पड़ा है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि खबर पॉलिटिक्स के चुनाव अनुमानों पर परिणामों ने मोहर लगाई है।
कांग्रेस नेताओं पर जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने की जिम्मेदारी
पंचायत चुनाव में सूरतगढ़ की क्षेत्र की जनता ने कांग्रेस पर अपना पूरा प्यार लुटा दिया है। कांग्रेस को अपार समर्थन देते हुए जनता ने 14 सीटें देकर गांवों की सरकार का जिम्मा कांग्रेस को सौंप दिया है। अब प्रधान पद पर बैठने वाले व्यक्ति की यह जिम्मेदारी है कि वह जनता की उम्मीदों पर खरा उतरे। जहां तक कांग्रेस की बात है सन 2008 में इलाके की जनता ने गंगाजल मील को भारी मतों से जीता कर विधानसभा में भेजा था। ये अलग बात है कि सरल स्वभाव व तमाम तरह के विकास कार्य करवाने के बावजूद भ्रष्टाचार के बढ़ते ग्राफ, कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और अवसरवादी व चापलूस किस्म के लोगों से घिरे रहने के चलते गंगाजल मील ने आमजन में अपनी लोकप्रियता खो दी। जिसका खामियाजा मील परिवार को पिछले दो चुनावों में भुगतना पड़ा है । वर्ष 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में जहां खुद गंगाजल मील को वहीं वर्ष 2018 में परिवार के ही हनुमान मील को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। वर्तमान में सूबे में कांग्रेस की सरकार होने के चलते मील परिवार अभी भी इलाके में राजनीतिक रूप से मजबूत है। इसलिए अब जब नगरपालिका के बाद पंचायत समिति में भी मील परिवार यानी कांग्रेस का परचम फहरा रहा है । ऐसे में मील परिवार के लिए मौका है कि वह भाई भतीजावाद और भ्रष्टाचार मुक्त पारदर्शी प्रशासन देकर खुद को साबित करें। वरना राजनीति की खासियत है कि इसमें जनता ज्यादा मौके नहीं देती है।
हुए नामवर में बे निशां कैसे कैसे ।
जमीन खा गई आसमान कैसे कैसे ।।
भाजपा नेताओं के लिए आत्ममंथन का समय
केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के चलते भारी विरोध ने भले ही भाजपा की लुटिया डुबोने में सबसे प्रमुख भूमिका निभाई हो। लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि इलाके में भाजपा के दिग्गज नेता अपनी जमीन खो रहे हैं। यही वजह रही है चुनावों के दौरान भाजपा नेताओं की बॉडी लैंग्वेज जीत का इशारा नहीं कर रही थी। नेताओं के झुके हुए कंधे ये बता रहे थे कि चुनाव परिणाम क्या रहने वाला है। बहरहाल दोनो पार्टियों के नेता किसी कवि की इन पंक्तियों ‘बीति ताहि बिसार दे आगे की सुध लेय’ को याद रखते हुुुए आमजन के हित में काम करेंगेे यही उम्मीद की जानी चाहिए।
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