चेयरमैन कालवा भी भूमिका भी सवालों के घेरे में




सूरतगढ़ नगरपालिका में मास्टर ओमप्रकाश कालवा के चैयरमेन बनने के बाद लगातार विवादों का सिलसिला जारी है। पालिका का वर्तमान बोर्ड , पार्षदों की आपसी खींचतान, पार्षदों-कर्मचारियों के बीच विवाद और पट्टों में भ्रष्टाचार और सरकारी भूमि पर कब्जो को लेकर लगातार चर्चा में बना हुआ है। शहर में पालिका भूमि पर अवैध अतिक्रमणो के चलते हालत यह हो गई कि सत्ता पक्ष के नेता और पूर्व विधायक गंगाजल मील को आगे आकर सफाई देनी पड़ी कि उनका और उनके परिवार का शहर की एक इंच जमीन पर भी कब्ज़ा नही है। शहर में अवैध अतिक्रमनों से हो रहे राजनीतिक नुकसान का अंदाजा अब मील परिवार को हो चुका है। इसी का नतीजा है गत दिनों वार्ड नंबर -2 और 45 में चर्चित अतिक्रमनों पर प्रशासन की सख्त कार्रवाई।
अपनी ही पार्टी के पार्षदों की संभावित नाराजगी की अनदेखी कर की गई इस कार्रवाई से मील परिवार ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण बर्दाश्त नही किया जायेगा। हालांकि यह कार्रवाई बहुत पहले होनी चाहिए थी,परन्तु मील परिवार ने अब जाकर संज्ञान लिया है जबकि राजनीतिक तौर पर इस देरी से उनकी छवि का काफ़ी नुकसान हो चुका है। खैर देर आये दुरुस्त आये।
‘खेत को खा रही है बाड़’



वार्ड नंबर 45 में आईडीएसएमटी योजना के प्लाटों को बेचने के मामले में सिटी थाने में परिवाद दर्ज होने के साथ ही यह साफ हो गया है कि ‘बाड़ ही खेत को खा रही है’। नगरपालिका में जिन लोगों को आपने अपने वोट की ताकत से जनता के हक की बात करने के लिए भेजा था उनमे से कई अब लुटेरों के गिरोह में शामिल हो चुके हैं। इस मामले में वाइस चेयरमैन सलीम कुरेशी का नाम पीड़ित आशीष सोनी ने भले ही पुलिस रिपोर्ट में दर्ज कराया हो। लेकिन हकीकत यह है कि मामले में संबंधित वार्ड के पार्षद रोहिताश और मास्टर चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।
क्योंकि जब यह निर्माण किया जा रहा था उस समय ना तो पार्षद रोहिताश ने इसके खिलाफ आवाज उठाई और ना ही चेयरमैन मास्टर ओमप्रकाश कालवा ने। चेयरमैन कालवा के चहेते पार्षद के वार्ड में वाइस चेयरमैन खेल खेलता रहे और संबंधित पार्षद व चेयरमैन को इसकी जानकारी ना हो क्या यह संभव है? इसके अलावा जैसा की चर्चाएं हैं मास्टर ओमप्रकाश कालवा लगातार इस अवैध निर्माण को बचाने की कोशिश कर रहे थे, यह बताने के लिए काफ़ी है कि मास्टरजी ने जानबूझकर पालिका प्रशासन की आलोचना के बाद भी अतिक्रमण के मामले को लटकाये रखा ।
आखिर आशीष को हुए नुकसान का जिम्मेदार कौन ?




पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह कि इस मामले में पीड़ित आशीष सोनी को हुए नुकसान का जिम्मेदार कौन है ? इसमें कोई दो राय नही है कि आशीष ने भी कब्जे के भूखंडों को खरीद कर गलती की। लेकिन जब आशीष ने इस भूखंड पर निर्माण शुरू करवाया तब अगर नगरपालिका तुरंत कार्रवाई कर निर्माण को रुकवा देती तो शायद आशीष को इतना बड़ा नुकसान नहीं होता। उसको अपनी गलती की इतनी बड़ी सजा नहीं मिलती। लेकिन तब मास्टर ओमप्रकाश कालवा चुप्पी साधे रहे और जब आशीष ने प्लॉट पर निर्माण में लाखों रुपए खर्च कर दिया तब पालिका की जेसीबी ने निर्माण को ध्वस्त कर दिया। मामला दर्ज होने के बाद भले ही पुलिस के दबाव में दोनों पक्षों में देर सवेर भले ही समझौता हो जाए लेकिन आशीष को हुए नुकसान की भरपाई होने की उम्मीद कम ही है।


– राजेंद्र पटावरी, उपाध्यक्ष- प्रेस क्लब, सूरतगढ़