गत वर्ष अगस्त माह में पालिका ने हटाया था अतिक्रमण
सूरतगढ़। शहर में सफेदपोश नेताओं की संरक्षण में भूमाफिया फल फूल रहे है। हालत यह हैं कि भूमाफियों को प्रशासन का कोई खौफ नहीं रहा है। यही वजह है कि प्रशासन जिस किसी जगह से अतिक्रमण हटाता है, अगले कुछ दिनों में ही भूमाफिया वहीं पर फिर से अतिक्रमण कर लेते है। क्यूंकि दोबारा अतिक्रमण की हिम्मत कोई भी भूमाफिया तभी दिखाता है ज़ब उसे पर किसी सत्ताधारी नेता का हाथ हो। ऐसे मामलों मे नगरपालिका प्रशासन भी एक बार अतिक्रमण हटाने के बावजूद दोबारा अतिक्रमण होने पर अपनी आंखें मूँद लेता है।
शहर के वार्ड नंबर-11 में अतिक्रमण का एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जहाँ खाली पड़े एक सरकारी भूखंड पर एक बार फिर भूमाफियों ने अतिक्रमण कर लिया है। किशनपुरा अंडरपास के ठीक पहले बायीं दिशा में कार्नर पर स्थित इस भूखंड की कीमती लाखों में है। भूमाफियों ने इस भूखंड पर धड़ल्ले से अतिक्रमण कर एक बार फिर व्यावसायिक दुकानों का निर्माण कर लिया है। वैसे यह वहीं भूखंड है जिस पर पिछले साल अगस्त माह में भी अतिक्रमण का प्रयास हुआ था।
तब मीडिया में मामला उठने के बाद नगरपालिका प्रशासन ने कब्जा हटा दिया था। यहीं नहीं उस समय प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के बाद मलबा भी जप्त कर लिया था। प्रशासन द्वारा सख्त कार्रवाई के बावजूद कुछ ही महीनो मे एक बार फिर इस बेशकीमती भूखंड पर कब्जे से कई सवाल खड़े होते हैं ?
पालिका प्रशासन की लापरवाही या फिर मिलीभगत ?
शहर में जब कोई आम आदमी अपने मकान/ दुकान या फिर प्लॉट पर एक ईंट भी लगाता है तो पालिका जमादार या सफाई कर्मचारी तुरंत मालिक के पास पहुंच जाते हैं और एनओसी दिखाने की मांग करते हैं। लेकिन इस मामले में पालिका जमादार या सफाई कर्मचारी जाने कहां चले गए ? ऐसा भी नहीं है कि यह निर्माण कुछ घंटे या एक आध दिन में हो गया ? साफ है कि पालिका कर्मचारियों को इस निर्माण की जानकारी थी और उन्होंने ईओ या फिर दूसरे अधिकारियों को इसकी जानकारी भी दी होगी। ऐसे में सवाल यह पैदा होता है कि अधिकारीयों ने आखिर इस अवैध निर्माण चुप्पी क्यों साध रखी है ?
अतिकर्मियों को एक सत्ताधारी नेताओं के संरक्षण की चर्चा
भाजपा का राज आने के बाद ये उम्मीद की जा रही थी कि कांग्रेस राज में पैदा हुए भूमाफिया के संगठित गिरोह पर लगाम लगेगी। लेकिन हक़ीक़त इससे इतर है। दरअसल शहर में अतिक्रमणों की रफ्तार कम होने की बजाय बढ़ गई है। सच तो ये है कि सत्ताधारी भाजपा से जुड़े नेता भी पूर्व कांग्रेसी नेताओं के नक्शे कदम पर चल पड़े हैं। ऐसे में शहर में खाली पड़े प्लॉट और जमीन सत्ता समर्थित भूमाफियाओं की नई गैंग की रडार पर है।
वार्ड नंबर-11 में हुए अवैध अतिक्रमण के मामले में भी कहीं ना कहीं सत्ताधारी पार्टी के किसी नेता का आशीर्वाद जरूर है। यह आशीर्वाद किन शर्तों पर मिला है यह तो कहा नहीं जा सकता है, लेकिन जिस तरह से इस मामले में नगरपालिका ईओ पूजा शर्मा चुप्पी साधे हुए है, उससे कहीं कोई शक की गुंजाईश नज़र नहीं आती। वैसे भी राजनितिक आकाओं की सरपरस्ती के बिना यह सम्भव नहीं है कि कोई यूँ धड़ल्ले से सरकारी सम्पति पर अतिक्रमण कर ले !
खैर उम्मीद की जानी चाहिए कि नगरपालिका ईओ पूजा शर्मा और प्रशासक एसडीएम संदीप काकड़ सरकारी संपत्ति को बचाने की अपनी जिम्मेदारी समझेंगे और जल्द ही इस अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई होगी।