आत्मनिर्भर भारत संकल्प अभियान बना खानापूर्ति ! टंकी के उद्घाटन समारोह में सम्मेलन के बैनर लगा बचाई लाज !

POLIITICS

सूरतगढ़। सूरतगढ़ में भाजपा की अंदरूनी कलह का असर अब पार्टी कार्यक्रमों में दिखने लगा है। सत्ताधारी नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोपों से हो रही बदनामी के चलते पार्टी का एक बड़ा धड़ा दूरी बना चुका है। यही वजह है कि सत्ताधारी नेता पार्टी कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए तरह-तरह की हठकंडे अपना रहे हैं। शुक्रवार को भाजपा के महत्वपूर्ण आत्मनिर्भर भारत संकल्प अभियान का कार्यक्रम ऐसे ही हथकंडो के चलते खानापूर्ति बनकर रह गया।

आत्मनिर्भर भारत संकल्प अभियान के तहत सूरतगढ़ कार्यक्रम का टाइम टेबल

दरअसल पार्टी द्वारा आत्मनिर्भर भारत संकल्प अभियान के तहत प्रत्याशीयों को विधानसभा सम्मेलन का आयोजित करने की जिम्मेदारी दी गई थी। इसी क्रम में पार्टी द्वारा पहले अग्रसेन भवन में शुक्रवार को सुबह 10:30 बजे आत्मनिर्भर संकल्प अभियान का कार्यक्रम तय किया गया था। लेकिन पार्टी के स्थानीय नेताओं ने सम्भवतः भीड़ नहीं जुटने के डर से इस कार्यक्रम की गरिमा को ही ताक पर रख दिया और शुक्रवार को आरसीपी कॉलोनी में पानी की टंकी के उद्घाटन समारोह को ही आत्मनिर्भर संकल्प अभियान का कार्यक्रम बना दिया। टंकी उद्घाटन समारोह को आत्मनिर्भर संकल्प अभियान का कार्यक्रम दिखाने के लिए नेताजी ने स्टेज़ के अगल-बगल में अभियान के दो बैनर लगाकर रस्म अदायगी कर दी। इतना ही नहीं नेताजी को चूंकि यह उम्मीद थी कि कार्यक्रम में वार्ड के लोगों की पर्याप्त भीड़ हो ही जानी है तो उन्होंने पार्टी के अनेक वरिष्ठ नेताओं को कार्यक्रम की सूचना तक नहीं दी। जिसकी वजह से पार्टी के कई नेता कार्यक्रम में नदारद दिखे।

टंकी के उद्घाटन समारोह में एक साइड में लगाया गया विधानसभा सम्मेलन का पोस्टर

टंकी के उद्घाटन समारोह को आत्मनिर्भर संकल्प अभियान का कार्यक्रम बताकर स्थानीय नेताजी भले ही अपनी पीठ थपथपा रहे हो। लेकिन यह भी सच है कि ज़ब नेताजी और अभियान के तहत बुलाये गए नेता आत्मनिर्भर भारत के नाम पर गला साफ कर रहे थे उसी वक़्त स्टेज पर लगा की टंकी के उद्घाटन समारोह का पोस्टर जिम्मेदारों की चुगली कर रहा था। बहरहाल यह कार्यक्रम अनुशासन और सुचिता की बात करने वाले नेताओं की पोल खोलने के साथ साथ इस बात का भी इशारा है कि पार्टी के सिंबल से सत्ता का सुख भोगने वाले नेताओं के पैरों के नीचे जमीन नहीं बची है।

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