शहर में सियासी जमीन तलाशते पूनियां,भादू और कासनिया

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आंदोलन के सहारे राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा पूरी होने की उम्मीद

पूर्व प्रधान साहबराम पूनियां की सक्रियता ने बढ़ाई सियासी गर्मी

राजनीति का यूं तो कोई मौसम नहीं होता। वैसे माना जाता है कि चुनाव से पहले राजनीति अपने चरम पर होती है।  लेकिन सूरतगढ़ की बात करें तो कोरोना महामारी के बीच भी राजनीति अपने परवान पर है। पंचायत समिति के पूर्व प्रधान साहबराम पूनियां ने इसकी शुरुआत पिछले दिनों शहर में रेलवे से जुड़े मामलों में ज्ञापन देकर की । इसके बाद से वे किसानों के मुआवजे सहित कई मामलों में प्रशासन को घेरते नज़र आये। वही उन्होंने उपखण्ड कार्यालय पर पूर्व विधायक के खिलाफ चल रहे सूरतगढ़ बचाओ संघर्ष समिति के धरने पर बैठकर आंदोलन को भी समर्थन दिया। पूर्व प्रधान की शहर की राजनीति में एकाएक सक्रियता ने राजनीतिक हलकों में कई तरह की अफवाहों को जन्म दे दिया है। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि पूनियां एक दबंग कद्दावर नेता तो है ही , साथ ही साथ विधानसभा क्षेत्र के कई इलाकों में उनका बड़ा प्रभाव है। पिछले चुनावों में कांग्रेस और भाजपा के कई नेताओं को सत्ता से दूर रखने में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई है। यही वजह है कि पूनियां के सक्रिय होने के बाद दोनों पार्टियों के कई अन्य नेता भी सक्रिय हो गए हैं। उदाहरण के तौर पर विधानसभा चुनाव के बाद लगातार निष्क्रिय रहे राजेन्द्र भादू ने फसल बीमा के क्लेम को लेकर किसानों के साथ उपखण्ड कार्यालय पर पड़ाव डाल दिया। कई दिन चले धरने की कामयाबी से उत्साहित भादू ने इसके बाद कँवरसेन लिफ्ट नहर पर किसानों को पानी की मांग को लेकर धरना देकर मामले को सुर्खियों में ला दिया। पूर्व प्रधान और पूर्व विधायक की इस  सक्रियता से वोट बैंक के संभावित नुकसान ने आखिरकार वर्तमान विधायक को भी मैदान में आने के लिए मजबूर कर दिया। विधायक कासनिया जो अब तक नगरपालिका में हो रहे भ्रष्टाचार के मामलों चुप्पी साधे हुए थे, शुक्रवार को कच्ची बस्ती के लोगों को साथ लेकर एडीएम कार्यालय पर पहुंच गये। कासनिया ने अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए कच्ची बस्तियोंं के मकानों पर क्रॉस का निशान लगानेे का विरोध किया । इस दौरान वर्तमान विधायक और एडीएम अशोक मीणा के  बीच तीखी नोकझोंक भी हुई । जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर खासा वायरल हो रहा है। साहबराम पुनिया,राजेंद्र भादू और वर्तमान विधायक रामप्रताप कासनिया के अलावा दूसरी पंक्ति के कुछ और नेता भी इन दिनों अपनी राजनीति चमकाने के लिए पूरा दमखम लगाये हुए है।

कुल मिलाकर इस वक़्त जब नगरपालिका में लगातार उठ रहे भ्रष्टाचार के मामलों, अतिक्रमण के गंभीर आरोपों और प्रशासनिक कार्यालयों में बद से बदतर होते हालात के चलते शहर की जनता निराश है। ऐसे में इस मौके का फायदा उठाने के लिए विधायक बनने का सपना देख रहे सभी नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए जुटे गए हैं । ये और बात है कि विधायक पद के अधिकांश दावेदारों ने विधायक पद पर रहते हुए अपने समर्थकों ओर जनता दोनों निराश ही किया हैं। ऐसे में साहबराम पूनियां या कोई दूसरा नेता विकल्प बन पाते हैं या नही , इसका फैसला तो भविष्य के गर्भ में छुपा है। परंतु इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि फिलहाल इन नेताओं ने सूरतगढ़ की राजनीति के ठहरे हुए पानी में हलचल जरूर पैदा कर दी है ।

-राजेन्द्र पटावरी

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