चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा ने गुरु आत्म वल्लभ द्वार की घोषणा










सूरतगढ़। पंजाब केसरी जैन आचार्य श्रीमद् विजय वल्लभ सूरी जी महाराज साहब का 153 वां जन्म दिन में पारंपरिक श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया गया। पुराना बाजार स्थित श्रीआत्म वल्लभ आराधना भवन में जैन आचार्य श्रीजयानंद सुरीश्वर जी महाराज की पावन निश्रा में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ आचार्यश्री के मंगलाचरण से हुआ। मालेरकोटला से पधारे हरीश जैन ने गुरु वल्लभ प्रार्थना के साथ गुरु वल्लभ भजन भी प्रस्तुत किया। धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री जयानंद सुरीश्वर जी महाराज ने कहा कि आज तेरापंथ धर्म संघ के आचार्य तुलसी और मूर्तिपूजक समुदाय के आचार्य विजय वल्लभ दोनों की जयंती है। इन दोनों ने ही समाज को आगे बढ़ाया और शिक्षा के क्षेत्र में दोनों ने अथक प्रयास किए। श्रावक समाज के अनुरोध को स्वीकार करते हुए आचार्य श्री ने 16 नवंबर की सक्रांति सूरतगढ़ में करने की घोषणा की।
समारोह में बोलते हुए मुनि दिव्यांश विजय जी महाराज ने कहा कि समाज से अज्ञानता का अंधकार दूर करने के लिए जिस गुरु ने हमें सन्मार्ग बताया वह गुरु वल्लभ ही थे। हमने गुणानुवाद तो किया किंतु उनके गुणों का अनुसरण नहीं किया।
संस्कार वाटिका के बच्चों ने दी लघुनाटिका की प्रस्तुति

इस अवसर पर श्रीआत्म वल्लभ जैन संस्कार वाटिका के बच्चों ने श्रीमती ज्योति डागा के नेतृत्व में विजय वल्लभ के जीवन चरित्र को इंगित करती लघु नाटिका प्रस्तुत की। लघुनाटिका की सभी लोगों सराहना की। गणी जय कीर्ति विजय जी महाराज ने चातुर्मास के बाद भी संस्कार वाटिका को नियमित जारी रखने का आह्वान किया।
शहर में स्थापित होगा गुरु आत्म वल्लभ द्वार







इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में बोलते हुए नगरपालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा ने जैन समाज के अनुरोध पर गुरु आत्म वल्लभ द्वार के लिए जगह निर्धारित करने का विश्वास दिलाया। श्री संघ अध्यक्ष सुरेन्द्र चोपड़ा, उपाध्यक्ष पवन गोलछा, सचिव सुशील सेठिया ने इस घोषणा के लिए पालिका अध्यक्ष का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर मुनि चारित्र वल्लभ जी, बाल मुनि चैत्य वल्लभ जी सहित संपूर्ण जैन समाज और श्री शिव नंदी गौशाला के सदस्य उपस्थित थे। श्री संघ द्वारा लाभार्थी परिवार के श्री टेकचंद हेमंत कुमार डागा परिवार द्वारा सभी अतिथियों का बहुमान किया गया।