पार्षद की सदस्यता पर लटक सकती है तलवार









सूरतगढ। सूरतगढ़ नगरपालिका और इसके पार्षदों के दिन आजकल कुछ ठीक नहीं चल रहे हैं। वाइस चेयरमैन सलीम कुरैशी के बाद चेयरमैन कालवा के खास माने जाने वाले एक और पार्षद रोहिताश होटला भी अब विवादों में घिर गए हैं। कमलेश मीणा नामक व्यक्ति ने वार्ड-45 से पार्षद रोहिताश पर फर्जी दस्तावेजों से अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र बनाकर चुनाव लड़ने का आरोप लगाया है। परिवादी कमलेश मीणा के परिवाद पर न्यायालय ने 16 अक्टूबर को सिटी थाना को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था। जिस पर सिटी पुलिस ने बुधवार को पार्षद रोहिताश के विरुद्ध मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
क्या है पूरा मामला







परिवादी कमलेश मीणा के अनुसार नगरपालिका चुनावों में वार्ड नंबर 45 की सीट एसटी ( अनुसूचित जनजाति ) के लिए आरक्षित थी। पार्षद रोहताश होटला ने एससी (अनुसूचित जाति) का होते हुए फर्जी दस्तावेजों से एसटी का प्रमाण पत्र बनवाकर नामांकन दाखिल करते हुए चुनाव लड़ा। परिवादी के अनुसार वह स्वंय भी चुनाव लड़ना चाहता था। जब उसने पता किया तो सामने आया कि वास्तव में रोहिताश होटला अनुसूचित जाति से संबंध रखता था। लेकिन चुनाव लड़ने के लिए रोहिताश ने एसटी का फर्जी प्रमाण पत्र तैयार करवाया। परिवादी मीणा के अनुसार आरोपी रोहिताश ने अनुसूचित जाति के सदस्य के रूप में 1994-94 में पूर्व मैट्रिक छात्रवृत्ति भी ली थी। जिसके स्कूल रिकॉर्ड की प्रति भी परिवादी ने प्रस्तुत की है।
तहसीलदार कार्यालय में गायब है ST प्रमाण पत्र के दस्तावेज



पार्षद रोहिताश द्वारा चुनाव के समय अनुसूचित जनजाति का होने का जो प्रमाण पत्र पेश किया गया है वह 31 जुलाई 2014 को जारी किया गया था। इस प्रमाण पत्र पर सादुलशहर तहसीलदार के डिजिटल साइन अंकित है। पार्षद रोहताश ने अनुसूचित जनजाति श्रेणी में आने वाले ‘धानका’ जाति के तहत दिए गए आवेदन पर यह प्रमाण पत्र जारी किया गया है। परिवादी कमलेश मीणा ने इस मामले को लेकर सादुलशहर तहसीलदार कार्यालय में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन कर एसटी प्रमाण पत्र के लिए जमा किए गए दस्तावेजों की प्रतिलिपि की मांग की तो तहसीलदार कार्यालय ने किसी भी तरह का दस्तावेज होने से इनकार कर दिया। जिसका सीधा सा मतलब है कि उक्त प्रमाण पत्र या तो फर्जी है या फिर बाबुओं की मिलीभगत कर बनवाया गया है।
यहां गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा निर्धारित जातियों की श्रेणी में धानक जाति को अनुसूचित जाति व धानका को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया है।
पार्षद की सदस्यता पर लटक सकती है तलवार
इस मामले के तथ्यों पर गौर किया जाए तो यह मामला पार्षद रोहिताश के गले की फांस बन सकता है। क्योंकि सूचना के अधिकार के तहत तहसीलदार द्वारा दिए गए जवाब से यह तो साफ है कि पार्षद द्वारा अपने एसटी होने के संबंध में आवश्यक दस्तावेज नहीं दिए गए । दूसरा अनुसूचित जाति की छात्रवृत्ति लेने से ही यह साफ है कि पार्षद रोहिताश पहले अनुसूचित जाति का सदस्य होने का लाभ ले लेते रहे और जब चुनाव लड़ने का टाइम आया तो अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र ले लिया। ऐसे मे यदि पार्षद रोहिताश के खिलाफ पुलिस चालान पेश करती है तो पार्षद की सदस्यता जाना लगभग तय है।
चेयरमैन कालवा की लगातार बढ़ रही मुसीबतें
सूरतगढ़ नगरपालिका के वर्तमान बोर्ड के चेयरमैन मास्टर ओमप्रकाश कालवा और उनके सहयोगी आजकल विरोधियों के रडार पर हैं। अपने निरंकुश कार्यशैली से चेयरमैन कालवा ने विरोधियों की एक बड़ी फौज तैयार कर ली है जिसके निशाने पर आजकल चेयरमैन कालवा और उनके सहयोगी हैं। चेयरमैन कालवा से नाराज पार्षद और दूसरे व्यक्ति लगातार सोशल मीडिया और दूसरे मंचों पर चेयरमैन कालवा की खिंचाई कर रहे हैं जिससे कांग्रेस के वर्तमान बोर्ड के लगातार किरकिरी हो रही है। आने वाले समय में चेयरमैन कालवा की ढाल बनने वाले जाने वाले कुछ और पार्षदों पर भी विवादों की बिजली गिर सकती हैं। अगर ऐसा होता है तो चेयरमैन कालवा और विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे नेताओं को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
Good job 👏 👍 👌 carry on