पट्टा वितरण में विधायक कासनिया की अनदेखी : चप्पल फैक्ट्री से पालिका की सेटिंग

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लाभार्थीयों को गुलाब का फूल देकर की नौटंकी

सूरतगढ़। मास्टर ओमप्रकाश कालवा भले ही किस्मत से चेयरमैन जैसे ऊँचे पद पर पहुंच गए हो लेकिन दूसरों को नीचा दिखाने का कोई भी मौका वे कभी भी नहीं छोड़ते। अब बुधवार को हुए मेगा पट्टा वितरण कैंप की ही बात कर ले। समारोह में जिला कलेक्टर की मौजूदगी में विधायक रामप्रताप कासनिया की चेयरमैन कालवा द्वारा लगातार अनदेखी की गई। पहले तो मंच पर चेयरमैन कालवा जानबूझकर जिला कलेक्टर और मौजूदा विधायक रामप्रताप कासनिया के बीच में बैठ गये ताकि विधायक कलेक्टर से सीधा संवाद नहीं कर पाए। हालांकि चेयरमैन चाहते तो जिला कलेक्टर के एक और विधायक कासनिया और दूसरी और खुद बैठकर विधायक को सम्मान दे सकते थे लेकिन संकीर्ण मानसिकता के चलते उन्होंने बीच की कुर्सी पर कब्ज़ा कर लिया। वैसे कोई समझे या नहीं लेकिन हक़ीक़त ये है कि बीच की कुर्सी पर खुद बैठकर और विधायक व जिला कलेक्टर को आजू बाजू में बैठाकर चेयरमैन कालवा खुद के सुप्रीमो होने का संदेश दे रहे थे ।

पट्टे बांटने के दौरान भी लगातार की अनदेखी

अतिथियों के भाषण के बाद जब जिला कलेक्टर द्वारा पट्टे बांटने की शुरुआत की गई तब भी चेयरमैन कालवा ने पट्टे बांटने के लिए विधायक को आमंत्रित नहीं किया। जिला कलेक्टर के साथ चेयरमैन कालवा  पट्टे बांटते रहें और विधायक रामप्रताप कासनिया एक और बैठे रहे। लगातार हो रही अनदेखी के बाद विधायक रामप्रताप कासनिया खड़े होकर जाने लगे तो चेयरमैन कालवा ने एक तरह से नौटंकी करते हुए विधायक को कहा कि आप आए हमारी मर्जी से हो और हमारी मर्जी से जाओगे। इसके बाद औपचारिकता करते हुए चेयरमैन कालवा ने पट्टा वितरण में विधायक को साथ लेते हुए फोटो खिंचवाई। हालांकि विधायक जिस पोजीशन में खड़े थे और जिस तरह से फोटो खींचवाई गई यह बताने के लिए काफी है कि विधायक उस समय खुद को किस तरह से असहज महसूस कर रहे थे। कार्यक्रम के नीचे दिए गए वीडियो को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किस तरह से कार्यक्रम में विधायक को नज़रअंदाज़ किया गया।

कार्यालय में जलपान के समय भी नहीं दिया उचित सम्मान

कार्यक्रम के बाद जिला कलेक्टर को चेयरमैन कालवा ने कार्यालय में जलपान के लिए आमंत्रित किया उस समय भी चेयरमैन ने संकीर्णता का परिचय दिया। उन्होंने शिष्टाचार के नाते मंच सांझा कर रहे विधायक व कांग्रेस नेताओं सहित अन्य अतिथियों को जलपान के लिये आमंत्रित करना जरूरी नहीं समझा और कलेक्टर के साथ पालिका कार्यालय चल पड़े। यहां तक कि विधायक गंगाजल मील, जिनकी बदौलत मास्टर कालवा चेयरमैन की कुर्सी पर बैठे है को भी चेयरमैन ने जलपान के लिए साथ लेकर चलना मुनासिब नहीं समझा। क्योंकि जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि मास्टर कालवा नहीं चाहते थे कि कोई दूसरा कलेक्टर से बात भी कर लें। ये अलग बात है कि मंच पर पहले विधायक कासनिया ने इशारों में पट्टे बनाने में हो रहे भेदभाव की कलई खोल दी तो मंच की सीढ़ियों से उतरते समय कुछ आम नागरिकों में कालवा पर पट्टे बनाने में भेदभाव और मनमानी का आरोप लगाते हुए उनके सामने ही क्लक्टर को शिकायत कर दी। बहरहाल विधायक को शर्मिंदा करने के लिये पालिका ऑफिस में भी चेयरमैन कालवा अपनी कारगुजारीयों से नहीं चुके और ऑफिस में मौजूद 2 विशिष्ट चेयरों पर कलेक्टर के साथ खुद जमकर बैठ गए। उन्होंने विधायक के लिए पालिका कार्यालय के अन्य कमरों में मौजूद विशिष्ट कुर्सियां मंगाने की जरूरत नहीं समझी जिसके चलते विधायक को सामने पड़ी साधारण कुर्सियों पर बैठना पड़ा। बाद में जब कांग्रेस नेता हनुमान मील कार्यालय में पहुंचे तो चेयरमैन कालवा ने बड़े ही अनमने ढंग से स्टाफ को विशिष्ट कुर्सी लाने को कहा। लेकिन जब कुर्सी आई तो हनुमान मील ने बड़प्पन दिखाते हुए चेयरमैन के बगल में लगाई गई कुर्सी पर एडीएम अरविंद जाखड़ को बैठाया और स्वंय विधायक कासनिया के बराबर की कुर्सी पर बैठे।

                     पूरे प्रकरण में चेयरमैन कालवा ने संकीर्ण मानसिकता का परिचय दिया वहीं खुद को  मिल रहे विशिष्ट ट्रीटमेंट में जिला कलेक्टर भी मर्यादा को भूलते नजर आए। वे यह भी भूल गए कि राज्य सरकार के निर्देश हैं कि विधायक सहित जनप्रतिनिधियों के सम्मान का ख्याल रखना प्रशासनिक अधिकारियों का दायित्व है। निर्देश तो यहां तक है कि जब विधायक जिला कलेक्टर से  मिलें कलेक्टर को खुद उठकर विधायक को सम्मान देना चाहिए। लेकिन कलेक्टर सौरभ स्वामी भी अपनी मौजूदगी में विधायक का अपमान होता देखते रहे।

बैठकों में विधायक को करते रहे हैं अपमानित

ऐसा नहीं है कि पट्टा वितरण कार्यक्रम पहला मौका था जब विधायक कासनिया का मान मर्दन करने का प्रयास किया हो। विधायक को दोयम दर्जे के व्यक्ति की तरह ट्रीट करते हुए वर्तमान बोर्ड की प्रत्येक बैठक में वाइस चेयरमैन के बाद की कुर्सी पर जगह दी गई है । विधायक पालिका बोर्ड का एक तरह से पदेन अध्यक्ष होता है ऐसे में विधायक की कुर्सी सेंटर में या फिर कम से कम चेयरमैन के साथ होनी चाहिए। लेकिन चेयरमैन कालवा के अंतर्मन में बैठा जीव अपनी कुंठित इच्छाओं को पूरा करने के लिए सामाजिक मर्यादा को ताक पर रख देता है। सम्भवतः इसी वजह से बोर्ड बैठकों में लगातार विधायक कासनिया व अन्य सम्मानित पार्षदों को नीचा दिखा कर चेयरमैन कालवा खुद को बहुत बड़ा मान लेते है।

ईओ विजय प्रताप सिंह को भी नहीं मिला सम्मान

कार्यक्रम के दौरान ईओ विजय प्रताप सिंह को तो मंच पर स्थान तक नहीं दिया गया। वे पूरे कार्यक्रम के दौरान खड़े होकर अटेंडेंट की तरह अतिथियों को प्रमाण पत्र और अन्य सामान देते तो दिखे। लेकिन न तो चेयरमैन कालवा और ना ही किसी अन्य ने ईओ को मंच पर बैठाकर सम्मान देने की जहमत नहीं की। जबकि पालिका द्वारा 512 पट्टे देने का सबसे बड़ा श्रेय अगर किसी को है तो वह है ईओ विजय प्रताप राठौड़। लेकिन झूठी वाहवाही लूटने में लगे चेयरमैन कालवा ने एक बार भी ईओ को मंच पर स्थान देने की कोशिश नहीं की।

चप्पल फैक्ट्री से पालिका की सेटिंग : गुलाब का फूल देकर नौटंकी

नगरपालिका द्वारा महीनों चक्कर कटवाने के बाद बुधवार को जब पट्टा वितरण कार्यक्रम रखा गया उस दौरान पालिका के रवैये से त्रस्त एक पट्टा आवेदक ने रोचक टिप्पणी की। पट्टा आवेदक का कहना था कि नगरपालिका की चप्पल फैक्ट्री मालिकों के साथ सेटिंग है यही वजह है कि वे पट्टा बनाने व दूसरे कामों के लिए नगरपालिका आने वाले लोगों को हज़ारों चक्कर कटाते हैं ताकि उनकी चप्पल जल्दी से जल्दी घिस जाये। कई लोग ऐसे भी मिले जिनको पट्टे के लिए 1 साल से अधिक से चक्कर कटाये जा रहे हैं। पालिका 512 पट्टे बांटने के लिए खुद की पीठ थपथपा तो रही है लेकिन इस बात का कोई जवाब है कि 512 पट्टे कोई 1 दिन या महीने में तैयार तो हुए नहीं हैं। जब पट्टे लंबे समय से तैयार पड़े थे तो फिर उन्हें बांटा क्यों नहीं गया ! क्या यह मान लिया जाये की समारोह कर श्रेय लूटने के लिए चेयरमैन कालवा ने पट्टे बनने के बाद भी लोगों को चक्कर कटवाए ?

वैसे अभी भी पट्टा लेने के लिए काटने पड़ेंगे चक्कर

बुधवार को मेगा पट्टा वितरण कैंप में 512 लोगों को पट्टे बांटने का आयोजन जरूर किया गया। लेकिन कार्यक्रम के दौरान ही लाभार्थियों को रजिस्ट्री करवाने के लिए रजिस्टर में एंट्री दर्ज कराने के नाम पर पट्टे वापस जमा करवाने की बात कही गई। इसका सीधा सा मतलब यह है कि अभी लोगों को पट्टा लेने के लिए और भी चक्कर काटने होंगे। आने वाले कई दिनों तक और इन पट्टा आवेदकों की और परीक्षा होगी। भले ही गुलाब देकर पट्टे के लिए महीनो चक्कर काटने वाले लोगों के जख्मों पर मरहम लगाने की नौटंकी की गई है। लेकिन पालिका प्रशासन ये भूल जाता है कि ये जख्म काफी गहरे हो चुके हैं जो इस नौटंकी से भरने वाले नहीं हैं।

                बहरहाल चेयरमैन कालवा के इस रवैये को देखकर बचपन में पढ़ी एक कवि की यह पंक्तियां याद आ रही है

बड़ा भया तो क्या भया जैसे पेड़ खजूर।

पंछी को छाया नहीं फल लागे अति दूर।।  

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