जैलर,हरिराम नाई और पार्षद-उपाध्यक्ष विवाद

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मामूली तकरार मारपीट में बदली

दोनो पक्षों की तरफ से दर्ज़ हुए मामले

सूरतगढ़। 24 अगस्त को नगरपालिका में भाजपा के विरोध प्रदर्शन के दौरान विधायक रामप्रताप कासनिया ने मीडिया को दिए बयान में जब कहा था कि नगरपालिका पार्षदों को लड़ाने का काम किया जा रहा हैं। तब किसने सोचा था कि विधायक की बात इतनी जल्दी सिद्ध होगी। हालांकि विधायक रामप्रताप कासनिया ने इसका आरोप सीधे सीधे नगरपालिका चैयरमेन ओमप्रकाश कालवा पर मंढा था।

बहरहाल मंगलवार का दिन पालिका के इतिहास में काले दिवस के रूप में जरूर जुड़ गया है। जब एकल खिड़की में बैठे पार्षद राजीव चौहान और  उपाध्यक्ष सलीम कुरैशी में विवाद हो गया। मामला इतना बढ़ गया कि उपाध्यक्ष सलीम कुरैशी ने अपने समर्थकों को मौके पर बुला लिया और बात मारपीट तक पहुंच गई। हालांकि मौके पर मौजूद पार्षदों ने बीच बचाव कर पार्षद राजीव चौहान को छुड़वाया। बाद में सिटी थाना पुलिस मौके पर पहुंची और पार्षद राजीव चौहान को लेकर सिटी थाने पहुंची। इस दौरान घटना की सूचना मिलने पर विधायक रामप्रताप कासनिया, पूर्व विधायक अशोक नागपाल, नगर मंडल अध्यक्ष सुरेश मिश्रा, जिला उपाध्यक्ष शरण पाल सिंह मान, भाजपा नेता नरेंद्र घिंटाला, सुभाष गुप्ता,  महेश सेखसरिया, गौरव बलाना, प्रेम राठौड सहित बड़ी संख्या भाजपा और आरएसएस से जुड़े लोग सिटी थाने पहुंचे। पार्षद राजीव चौहान के परिवाद पर सिटी पुलिस ने उपाध्यक्ष सलीम कुरैशी सहित 5 नामजद लोगों सहित करीब एक दर्जन लोगों के विरुद्ध मारपीट व झगड़े के लिए उकसाने के आरोप में मामला दर्ज कर लिया।

पार्षद राजीव चौहान का आरोप

जिसके बाद नगरपालिका की एकल खिड़की की महिला कर्मचारीयों द्वारा भी पार्षद राजीव चौहान के विरुद्ध परेशान करने और राजकार्य में बाधा का परिवाद दिया गया जिस पर पुलिस ने सम्भवतः मामला दर्ज़ कर लिया है।

बेमन से मौजूद थे कई भाजपा नेता

पार्षद राजीव चौहान के साथ मारपीट के बाद कहने को तो बड़ी संख्या में भाजपा नेता सिटी पुलिस थाने पहुंचे थे। लेकिन भाजपा के जिन बड़े नेताओं से पार्षद राजीव चौहान और संघ व पार्टी से जुड़े कार्यकर्ता कुछ करने की उम्मीद लगा रहें थे वें वहां पर औपचारिकता मात्र के लिए मौजूद है। उनकी बॉडी लैंग्वेज और हाव भाव ये बता रहा था कि उनका शरीर भले ही सिटी पुलिस थाने में था पर उनका मन कहीं और था। शायद वे एक पार्षद के साथ मारपीट को साधारण मारपीट की घटना से ज्यादा कुछ नहीं मान रहें थे। ऐसी घटना के लिए सीरियस होने की जरूरत उन्हें महसूस नहीं हो रही थी। इस बीच हालांकि भाजपा नेता नरेन्द्र घिंटाला ने एफआईआर करने की बजाय धरने पर बैठने की बात कही तो वहीं देरी से पहुंचे पूर्व विधायक राजेंद्र भादू ने जरूर मामले में तुरन्त कारवाई की मांग उठाई, लेकिन उन्हें बाकी नेताओं का समर्थन नहीं मिला। हालांकि पूर्व विधायक द्वारा यह मांग रखना पुलिस प्रशासन को अखर गया। जिसके बाद पूर्व विधायक को पुलिस की नाराजगी का सामना भी करना पड़ा।

बहरहाल नेताओं के इस रवइये को लेकर कुछ युवा नेताओं में गुस्सा था। कुल मिलाकर कह सकते है कि पूरे घटनाक्रम के दौरान पुलिस थाने में रात होने के चलते अंधेरा जरूर था लेकिन कम रौशनी में भी कई नेताओं के चेहरों पर लगे नकाब नहीं छुप सके।

पालिका के कांग्रेस बोर्ड की हो रही किरकिरी

इस पूरे घटनाक्रम के बाद नगरपालिका बोर्ड की जबरदस्त किरकिरी हो रही है। पालिका चैयरमेन ओमप्रकाश कालवा के नेतृत्व में कांग्रेस का बोर्ड भ्रष्टाचार और अव्यवस्थाओं को लेकर चर्चा में रहा है। अब इस घटना ने बोर्ड के इतिहास में पार्षद से मारपीट का एक और काला अध्याय जोड़ दिया है। यह सम्भवतः पहली घटना है जब किसी पार्षद के साथ बाहर से लोगों को बुलाकर मारपीट की गई है। इस मामले आमतौर पर शांत रहने वाले उपाध्यक्ष सलीम कुरेशी ने न जाने क्यों आपा खो दिया। यह एक बड़ा सवाल है ? इसका मंथन करने की उन्हें जरूरत है। पालिका की राजनीति में लम्बा वक़्त बिताने के बाद भी इस तरह की हरकत ने उनका कद कम ही किया है। वहीं इस घटना से कांग्रेस बोर्ड की जबरदस्त आलोचना हो रही है।

क्या पार्षद का एकल खिड़की ऑफिस में बैठना गुनाह है ?

इस मामले में विवाद एकल खिड़की में बैठने की बात पर हुआ। सबसे पहला सवाल यही है कि क्या एकल खिड़की में बैठना अपराध है ? क्यूंकि कोई आम आदमी भी एकल खिड़की ऑफिस में अपने काम के लिए जाकर बैठ सकता है। फिर एक चुना हुआ पार्षद तो पालिका के किसी भी कार्यालय मे बैठ सकता है इसमें शायद ही किसी को शक हो। दूसरी बात ये कि किसी कार्यालय में बैठी महिला या दूसरे कर्मचारियों को पार्षद के बैठने से कोई परेशानी थी या फिर पार्षद इन कर्मचारियों से किसी तरह का अभद्र व्यवहार कर रहे थे तो कर्मचारियों ने पार्षद की  लिखित में शिकायत अब तक क्यों नहीं की ? जो महिला कर्मचारी इस घटना के बाद सिटी पुलिस थाने में शिकायत देने पहुंच गई वह इस मामले को पहले किसी दूसरे मंच पर भी उठा सकती थी ? ऐसे में इन परिस्थितियों महिला द्वारा दिया गया परिवाद राजनीति से प्रेरित प्रतीत होता है।

तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या उपाध्यक्ष को यह अधिकार है कि वह किसी चुने हुए पार्षद को पालिका कार्यालय में बैठने से रोक सके ? शायद नहीं ! और उस हालत में तो बिल्कुल भी नहीं इसी एकल खिड़की की महिला कर्मचारी जब पूर्व में खुद वाइस चेयरमैन सलीम कुरेशी के खिलाफ इसी तरह की शिकायत कर चुकी हो। ऐसे में वाइस चेयरमैन सलीम कुरेशी क्या किसी चुने हुए पार्षद को कहीं पर भी बैठने से रोकने का नैतिक अधिकार रखते है ? इस बात का मंथन उन्हें खुले दिमाग से करना चाहिए। साथ ही उन्हें यह भी सोचना चाहिए कि कंही वे भी पालिका में चल रही राजनीति की पिच पर किसी की फेंकी गई गूगली का शिकार तो नहीं हो गये ?

याद आ रही जेलर और हरिराम नाई की कहानी !

सन 1975 में आई ब्लॉकबस्टर फ़िल्म ‘शोले’ आपको याद ही होगी । इस फिल्म में जेल के दृश्यों में दो किरदार काफी मशहूर हुए थे एक जेलर और दूसरा हरिराम नाई का। फ़िल्म में मशहूर हास्य अभिनेता असरानी जेलर के कैरेक्टर में थे। फिल्म में उनका तकिया कलाम ”हम भी अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं, हा-हा” काफी लोकप्रिय हुआ था । सूरतगढ़ नगरपालिका की हालत इन दिनों फिल्म शोले की जेल की तरह ही है। जहां कार्यालय की हर शाखा में हरिराम नाई बिठा दिया गए हैं। जो इन शाखाओं में आने वालों की हजामत तो करते ही हैं साथ ही साथ जेलर के लिए मुखबिरी का काम भी करते हैं। जेल में सजा काट रहे हर एक जय और वीरू के साथ जैल तोड़कर भागने की मंशा पाले हर एक कैदी की मुखबिरी कर रिपोर्ट जेलर को दी जा रही है। वैसे फिल्म शोले का हरिराम नाई भले ही मसखरा कैरेक्टर था लेकिन पालिका की शाखाओं में बैठे हरिराम जासूस बेहद शातिर हैं। शाखाओं में बैठे इन हरिराम नामक जासूसों की मदद से जेलर ने सभी कैदियों की कब कुंडली तैयार करवा ली है उन्हें पता ही नहीं चल सका । वैसे जैलर साहब के लिए यह कुंडली तैयार करवाना जरूरी भी है ताकि बहुमत के खेल में वक्त जरूरत काम लिया जा सके।

इसलिए कहने को भले ही यह मामला पालिका उपाध्यक्ष सलीम कुरेशी और पार्षद राजीव चौहान के बीच मामूली कहासुनी के बाद हुआ झगड़ा कहा जाए, लेकिन हकीकत यह है कि इस घटना के तार पार्षद राजीव चौहान के पालिका की नीतियों के खिलाफ लगातार आवाज उठाने से जुड़े हुए है । चूँकि मंगलवार को चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा घटना के समय कार्यालय में मौजूद नहीं थे तो यह सूचना वाइस चेयरमैन सलीम कुरैशी को दी गई। जिसके बाद उपाध्यक्ष और पार्षद के बीच विवाद ने तूल पकड़ लिया और मारपीट की घटना हो गई।

पिछले लंबे समय से किरकिरी बने हुए थे पार्षद राजीव चौहान

पिछले लंबे समय से भाजपा पार्षद हरीश शर्मा में व राजीव चौहान लगातार सोशल मीडिया सहित दूसरे मंच पर नपा चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा के लिए परेशानी का सबब बने हुए थे । इसके अलावा गत दिनों नंदी शाला की बैठक में भी पार्षद राजीव चौहान ने सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में पालिका चेयरमैन के खिलाफ बयानबाजी की थी। जिसके बाद से राजीव चौहान विरोधियों के राडार पर थे। कहीं ना कहीं मंगलवार की घटना इसी विरोध की परिणति थी।

           – राजेंद्र पटावरी, उपाध्यक्ष-प्रेस क्लब, सूरतगढ़

3 thoughts on “जैलर,हरिराम नाई और पार्षद-उपाध्यक्ष विवाद

  1. पत्रकार महोदय श्रीमान राजेंद्र जैन साहब की ईमानदार व समाज के लिए महत्वपूर्ण कार्यशैली को सलाम ,

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