कासनिया के स्कूल को भूमि आवंटन के विरोध में कांग्रेस का ‘बेशर्म’ प्रदर्शन, विधायक गेदर और भाटिया की भूमिका पर उठ रहे सवाल ?

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सूरतगढ़। पूर्व भाजपा विधायक रामप्रताप कासनिया के पुत्र के विवेकानंद स्कूल को शहर की बेशकीमती भूमि के आवंटन के विरोध में मंगलवार को कांग्रेस ने विरोध प्रदर्शन किया, जिसकी चर्चा शहर भर में है। कांग्रेस के इस प्रदर्शन को विरोध की बजाय बेशर्मी का प्रदर्शन कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। क्युकि इस विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस के जिन नेताओं और पार्षदों पर भूमि आवंटन मामले में प्रस्ताव के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष समर्थन का आरोप था, वे भी भूमि आवंटन का विरोध करते नज़र आये। शहर की जनता से गद्दारी करने वाले इन जनप्रतिनिधियों की विरोध प्रदर्शन में मौजूदगी से हर कोई हैरान था ? कोई भी आम आदमी इस तरह की बेशर्मी की उम्मीद नहीं कर सकता था, जिस दर्ज़े की निर्लज्जता का प्रदर्शन इन नेताओं ने किया। इस विरोध प्रदर्शन ने एक और इन नेताओं और पार्षदों के दोहरे चरित्र को उजागर कर ही दिया। वहीं दूसरी और विधायक डूंगरराम गेदर की राजनितिक समझ और इस संवेदनशील मामले को लेकर उनके छिपे चरित्र को भी जनता के सामने रख दिया है।

दरअसल कांग्रेस का यह विरोध प्रदर्शन विधायक डूंगरराम गेदर की फेस सेविंग के लिए किया गया स्वांग मात्र था। क्युकि सरकार द्वारा भूमि आवंटन के प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद करोड़ों का नियमन शुल्क भराकर भूखंड का कब्जा तक सौंपा जा चुका है, ऐसी स्थिति में एडीएम कार्यालय पर कांग्रेस का प्रदर्शन समझ से बाहर है। हालांकि प्रदर्शन के बाद विधायक गेदर ने हाईकोर्ट में रिट लगाने की बात मीडिया में कही। परन्तु विधायक डूंगरराम गेदर पहले भी जमीन को किसी भी कीमत पर आवंटन नहीं होने देने की थोथी बयानबाजी कर चुके हैं। लेकिन जमीन आवंटन को रोकने को लेकर विधायक ने क्या किया यह भी शहर की जनता जानती है।

सच्चाई तो यह है कि जिस समय भूमि आवंटन का प्रस्ताव नगरपालिका बोर्ड की बैठक में लाया गया था उस समय भी प्रस्ताव रोकने के विधायक गेदर गंभीर नहीं थे। कड़वा मगर सच यही है कि जब मामला मीडिया में उछला और कांग्रेस के ब्लॉक ही अध्यक्ष परसराम भाटिया और एक सहयोगी पर 60 लाख रूपये में पार्षदों को बेचने का आरोप लगे तो मजबूरी में विधायक गेदर ने प्रेसवार्ता की और बड़े बेमन से बोर्ड बैठक में प्रस्ताव का विरोध करने की बात कही। नतीजा ये रहा कि पार्टी विहिप के बावजूद कांग्रेस के पार्षदों ने सरेआम वोटिंग कर और वोटिंग से दूर रहकर प्रस्ताव को पास करा दिया।

कांग्रेसी पार्षदों की गद्दारी के चलते हुई किरकिरी से बचने के लिए विधायक ने मीडिया के समक्ष ऐसे पार्षदों को पार्टी से बाहर करने के बात कही। परन्तु अपने कहे से इतर विधायक ने पार्टी आलाकमान को पत्र लिखने का नाटक कर इतिश्री कर दी। इसके बाद एक अन्य प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी ज़ब विधायक से बागी पार्षदों को लेकर सवाल पूछा गया, तब भी विधायक ने आलाकमान के बहाने से पार्षदों के थोड़े बचे कार्यकाल के पूरा होते ही पार्टी द्वारा उनसे किनारा करने सगुफा छोड़ दिया। उस समय विधायक ने मीडिया के सवाल पर यह घोषणा भी की थी कि अगले नगरपालिका चुनाव मे पार्टी से गद्दारी करने वाले पार्षदों को टिकट नहीं दी जाएगी। लेकिन कुछ ही दिनों में पार्टी कार्यक्रमों में वहीं पार्षद नजर आने लगे। मतलब साफ है कि विधायक गेदर की कथनी और करने में फर्क है।

विधायक गेदर की मंशा का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि ज़ब पिछले कई महीनो से जब स्कूल की फ़ाइल मंत्री के टेबल पर पहुंचने की चर्चा थी तब भी विधायक गेदर मूकदर्शक बने रहे और अधिकारियों को पत्र लिखने का ढोंग करते रहे। वहीं उनके ब्लॉक अध्यक्ष ने तो हाई कोर्ट से रिट उठाकर कासनिया की जमीन का रास्ता साफ कर दिया।

अब जबकि विधायक गेदर उन्ही दागी चेहरों के साथ भूमि आवंटन की कार्रवाई का विरोध करते है और दागियों के सवाल पर उनके ब्लॉक अध्यक्ष यह कहते हैं कि विधायक क्या इनको गोली मार दे, विधायक ने तो प्रस्ताव भेज दिया, फैसला आलाकमान को करना था ? तो भाटिया कि इस बात का क्या अर्थ लगाया जाये ? कौन नहीं जानता कि पार्टियों में विधायक संगठन से ऊपर होता है संगठन उसी के इशारे पर चलता है ! क्या कांग्रेस नेता जनता को बेवकूफ समझते है ?

कुल मिलाकर इस पूरे प्रकरण में विधायक गेदर के रवैइये से उनकी ईमानदार छवि और कार्यशैली दागदार हो चुकी हैं। मामले में हो रही किरकिरी के बाद विधायक गेदर सार्वजनिक रूप से भूमि आवंटन के खिलाफ कोर्ट में जाने का दावा कर रहे है। ऐसे समय में ज़ब खुद विधायक पर पूर्व भाजपा विधायक रामप्रताप कासनिया के साथ सेटिंग की चर्चा गर्म है। देखना होगा कि विधायक गेदर अपनी बात पर खरे उतरते है या नहीं।

कांग्रेस के प्रमुख नेता प्रदर्शन से रहे दूर, बना चर्चा का विषय

कांग्रेस के मंगलवार के विरोध प्रदर्शन में पार्टी के कई बड़े नेताओं की अनुपस्थिति भी चर्चा का विषय रही। जिस प्रदर्शन में जिले के सांसद शामिल हो रहे हो उसमे प्रमुख नेताओं की गैर मौजूदगी सबको अखर रही थी। प्रदर्शन में पूर्व विधायक राजेंद्र भादू, बलराम वर्मा, अमित कड़वासरा, गगन वेडिंग सहित कई प्रमुख चेहरे नज़र नहीं आये।

पार्टी सूत्रों की माने तो इस पुरे प्रकरण में हो रही पार्टी की किरकिरी से सभी नेता लम्बे समय से नाराज थे। लेकिन विधायक डूंगरराम गेदर इस विरोध को हल्के में ले रहे थे। जिसकी वजह से इन नेताओं ने प्रदर्शन से दूरी बना ली। नतीजा यह रहा कि इतने बड़े मुद्दे पर भी विधायक तमाम प्रयास के बावजूद 30-40 लोगों को इकट्ठा नहीं कर पाए। जिसके चलते प्रदर्शन औपचारिता बनकर रह गया।

राजेंद्र पटावरी, अध्यक्ष -प्रेस क्लब, सूरतगढ़।

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