सीवरेज में भ्रष्टाचार का जिन्न निकला बाहर

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ब्लॉक अध्यक्ष परसराम भाटिया के बागी तेवर, नकल के लिए करेंगे अनशन

सूरतगढ़। नगरपालिका के सीवरेज निर्माण में हुए भ्रष्टाचार का जिन्न एक बार फिर से बाहर आ गया है। आरोप है कि सीवरेज निर्माण कंपनी मोंटीकार्लो को गत दिनों हुए डेढ़ करोड़ के भुगतान में भारी बंदरबांट की गई है। इस मामले की भनक लगने के बाद आरटीआई कार्यकर्ता बाबू सिंह खींची ने सूचना के अधिकार के तहत पत्रावली की नकल मांग ली। जिसके बाद यह मामला हाईलाइट हो गया। इस मामले में चेयरमैन की भूमिका होने की चर्चा के बाद कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष परसराम भाटिया भी मैदान में कूद पड़े और उन्होंने भी 29 मार्च  को पत्रावली की नकल मांग ली। 30 मार्च को ब्लॉक अध्यक्ष भाटिया और पूर्व चेयरमैन बनवारीलाल मेघवाल प्रतिलिपि की नकल के लिए दिनभर पालिका कार्यालय में बैठे रहे। लेकिन ईओ व कर्मचारी दोनों को पहले तो गुमराह करते रहे और बाद में अपने फोन ऑफ कर भूमिगत हो गए।

जिसके बाद भाटिया ने 31 मार्च को जिला कलक्टर रुक्मणि रियार से मुलाकात की और नगर पालिका प्रशासन द्वारा पत्रावली में गड़बड़ी किए जाने की आशंका जताते हुए पत्रावली जप्त करने की मांग की। कलेक्टर ने इस पर सूरतगढ़ एसडीएम कपिल यादव को फोन कर पत्रावली मंगाने को कहा। देर शाम तक भाटिया के साथ भाजपा के पार्षद हरीश दाधीच व राजीव चौहान इस मामले में सक्रिय हो गये । दोनों पार्षदों ने शाम को भाटिया के साथ एसडीएम से मुलाकात कर पत्रावली की नकल दिलाने की मांग का ज्ञापन सौंपा। भाटिया ने पत्रावली की नकल नहीं मिलने पर 1 अप्रैल को यानी आज 11:30 बजे से अनशन शुरू करने की चेतावनी दे डाली। वहीं दोनों पार्षदों ने भी भाटिया के साथ धरने पर बैठने की बात कही है।

क्या है पूरा मामला

सीवरेज निर्माण को लेकर वर्ष 2019 में पूर्व पार्षद चरणजीत सिंह टंडन ने आरटीआई से मिली सूचना के आधार पर आरोप लगाया कि नगरपालिका ने कंपनी द्वारा सीवरेज निर्माण कार्य के दौरान 4763 सेफ्टी टैंक/कुई की सफाई कर तोड़ने और इनके मलबे को करीब 5 किलोमीटर दूर गिराने व साथ ही साथ सेफ्टी टैंक के गड्ढे को मिट्टी से भरवाने के एक करोड़ 60 लाख 98 हज़ार 9 सौ 40 रूपये का फर्जी बिल पास किया है। मामले के चर्चा में आने के बाद विधायक रामप्रताप कासनिया ने राजस्थान विधानसभा में इस मामले को जोर-शोर से उठाया। उन्होंने सूरतगढ़ नगरपालिका को सबसे भ्रष्ट नगरपालिका बताते हुए मामला सदन में रखा। जिसके बाद सरकार ने जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर बिना भौतिक सत्यापन के सीवरेज कंपनी को भुगतान पर रोक लगा दी।

इस मामले में बाद में पूर्व वाइस चेयरमैन विनोद पाटनी, मदन ओझा और पूर्व पार्षद लक्ष्मण शर्मा ने भी मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए भुगतान पर रोक लगाने की मांग की। जिसके बाद से पिछले 3 साल से यह मामला बोतल में बंद जिन्न  की तरह ही था। लेकिन अब कहा जा रहा है कि मामले में शिकायतकर्ताओं के साथ सेटिंग कर पालिका अधिकारियों ने कंपनी का करीब डेढ़ करोड रुपए का चेक काट दिया है। जिसकी भनक मिलने के बाद बोतल में बंद सीवरेज के भ्रष्टाचार का जिन्न फिर से बाहर आ गया है।

जाँच एजेंसी रूडसीको ने भी की थी लीपापोती

इस मामले में जिला कलेक्टर के आदेश पर रूडसीको ने 5 सदस्य जांच कमेटी गठित की थी। इस कमेटी में रूडसीको के एसीई डॉ हेमंत शर्मा, एस ई(सीवरेज ) जगन्नाथ बैरवा, AAO कृष्णनिया, हनुमानगढ़ नगर परिषद के EE सुभाष बंसल व सूरतगढ़ नगरपालिका के तात्कालिक अधिशासी अधिकारी थे। इस कमेटी ने 16 अक्टूबर से 23 अक्टूबर 2019 के बीच मौका स्थल का निरीक्षण कर जांच रिपोर्ट पेश की। कमेटी ने अधिकारियों और सीवरेज कंपनी को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से गोलमोल रिपोर्ट पेश कर दी। अपनी रिपोर्ट में जांच कमेटी ने लिखा कि कंपनी ने सीवरेज नेटवर्क में संकेतों और बिंदुओं से सेफ्टी टैंक और कुइयों को खाली करने के स्थानों का उल्लेख किया है, परन्तु आज की स्थिति में इनका भौतिक वेरिफिकेशन करना संभव नहीं है। इस तरह से कंपनी ने न केवल गोलमोल रिपोर्ट पेश कर दी बल्कि इससे भी आगे बढ़कर  कंपनी और अधिकारियों के फेवर में एक नुकीना छोड़ दिया। कमेटी ने रिपोर्ट में विशेष शीर्षक से टिप्पणी करते हुए लिखा की नगरपरिषद अपने स्तर पर संबंधित उपभोक्ताओं से जानकारी प्राप्त कर वेरीफिकेशन करें।

इस टिप्पणी का सीधा सा अर्थ है कि जांच एजेंसी ने भ्रष्ट अधिकारियों को मामला ठंडा होने पर बंदरबांट का एक और बहाना दे दिया। वैसे सोचने का विषय है कि सीवरेज निर्माण के दौरान ही जब जांच एजेंसी सेफ्टी टैंक और कुइयों के खाली करने और डिस्मेंटल करने का वेरिफिकेशन नहीं कर पाई तो 3 साल बाद अब कैसे वेरिफिकेशन हो पायेगा। वैसे वेरीफिकेशन होता भी कैसे जब सेफ्टी टैंक, कुईयाँ खाली ही नहीं की गई, तोड़ी ही नहीं गई तो फिर वेरिफिकेशन का सवाल ही कहां उठता है। बहरहाल अब जब जांच को भी 3 साल से ज्यादा का समय हो गया है तो कहा जा रहा है की पालिका के अधिकारियों ने मिलीभगत कर फर्जी नामों और व्यक्तियों के सहमति पत्र भरवा कंपनी का चैक काट दिया। बहरहाल आरोपों में कितनी सच्चाई है यह तो नगरपालिका के अधिकारी ही बता सकतें है।

चुने हुए पार्षदों को भी नकल के लिए अनशन और धरने का सहारा

इस मामले में कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष परसराम भाटिया ने नगरपालिका में अनशन करने की चेतावनी दी है। वहीं भाजपा के दो पार्षदों ने धरना देने की बात कही है। लेकिन यही से यह सवाल खड़ा होता है कि क्या नगरपालिका के चुने हुए जनप्रतिनिधियों को भी पत्रावली की नकल लेने के लिए अनशन करना पड़ेगा, धरना देना होगा ? अगर हालात यह है तो क्या यह इस बात का संकेत नहीं है कि जरूर पत्रावली में कुछ गड़बड़ है जिसे प्रशासन छुपाना चाहता है।

शिकायतकर्ताओं की भूमिका को लेकर भी चर्चाओं का माहौल गर्म

इस मामले में शिकायतकर्ताओं को लेकर भी कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं। कहा जा रहा है कि चेयरमैन व अधिशासी अधिकारी ने शिकायतकर्ताओं को मैनेज कर लिया। शिकायतकर्ताओं में शामिल एक ठेकेदार की भूमिका इस पूरे प्रकरण में चर्चा में बनी हुई है। वैसे खुद ठेकेदार जी भी दूध से धुले हुए नहीं है स्टेशन रोड पर कुछ साल पहले बनी इंटरलॉकिंग सड़क के भ्रष्टाचार का टीका इन्ही के चेहरे पर सजा था। जिसका खामियाजा शहर की जनता अब तक भुगत रही है। क्योंकि मुख्य शिकायतकर्ता ठेकेदार है तो अधिकारियों से लेनदेन इनके लिए एक सामान्य प्रक्रिया है। परंतु पूरे प्रकरण में संघर्षशील नेताओं की भूमिका को लेकर उठ रहे सवाल जरूर परेशान करने वाले है।

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