मुद्दई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है ……….

HOME
इंदिरा सर्किल पर नीलामी में प्रस्तावित भूखंडों का प्लान

सूरतगढ़। नगरपालिका प्रशासन द्वारा पिछले डेढ़ साल से सरकारी संपत्ति की लूट और बंदरबांट का खेल चल रहा है। लेकिन इस शहर का भाग्य कहें या फिर यहां के कुछ जागरूक लोगों की कोशिशों का फल । नगरपालिका के भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने जब-जब शहर की करोड़ों की संपत्ति को औने पौने में लुटाकर अपनी जेबे भरने का सपना देखा तब-तब ऐसे लोगों को मुंह की खानी पड़ी है। ताजा मामला इंदिरा सर्किल पर सार्वजनिक निर्माण विभाग और नेशनल हाईवे के कब्जे वाले भूखंड की नीलामी का है। भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे बाबू लालचंद सांखला को जब कार्यवाहक ईओ बनाकर सूरतगढ़ नगरपालिका में लाया गया था, तभी से इस भूखंड के बंदरबांट की प्लानिंग की जा रही थी। पहली बार जब सितम्बर 2019 में इस भूखंड के बोली निकाली गई , तब पूर्व नगरपालिका चेयरमैन बनवारीलाल मेघवाल की शिकायत के बाद जिला प्रशासन के आदेश पर बोली को रोक दिया गया था। उसके बाद पालिका के अधिकारियों ने बीकानेर रोड़ पर पूर्व विधायक हरचंद सिंह सिद्धू के निवास के सामने सार्वजनिक निर्माण विभाग के श्रमिक विश्रामगृह की बेशकीमती व्यवसायिक भूमि पर आवासीय प्लाट काटने की योजना तैयार कर ली। लेकिन ऐन मौके पर पूर्व चेयरमैन बनवारीलाल मेघवाल और एडवोकेट्स पूनम शर्मा की याचिका पर न्यायालय ने नीलामी प्रक्रिया पर स्टे कर दिया। भूखण्डों की नीलामी से सरकारी माल की लूट और कमीशन खोरी का सपना देख रहे हैं भ्रष्ट अधिकारियों के लिए यह दूसरा झटका था।  लेकिन अंधेर नगरी चौपट राजा वाले इस शहर में भ्रष्टाचार की नित नई इबारत लिखने वाले वाले लोग कहाँ मानने वाले थे । सो उन्होंने एक बार फिर इंदिरा सर्किल पर स्थित भूखंड कि नीलामी प्रक्रिया पर लगी रोक को हटाने के लिए दवाब बनाना शुरू कर दिया । स्थानीय कांग्रेस नेताओं के दवाब और पालिका प्रशासन द्वारा वित्तीय हालत खराब होने की दुहाई के बाद जिला प्रशासन के इशारे पर उपखंड अधिकारी ने भूखंड पर नगरपालिका का स्वामित्व बताते हुए रिपोर्ट कर दी। जबकि सन 2005 में तात्कालिक उपखंड अधिकारी ने पालिका प्रशासन को इस भूखंड की नीलामी नहीं करने के आदेश दिए थे। वैसे भी राजनीतिक व्यक्तियों की डिज़ायर के मोहताज उपखंड अधिकारी से कोई क्या उम्मीद करता। उपखंड अधिकारी की रिपोर्ट से नगरपालिका के लिए एक बार फिर भूखंड की नीलामी का रास्ता साफ हो गया। पालिका प्रशासन ने 8 मार्च को नीलामी की घोषणा करते हुए सुचना जारी कर दी परन्तु जैसा कि किसी शायर ने कहा है

मुद्दई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है।

वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है।। 

ईस बार भी भ्रष्ट लोगों के सपने पूरे नहीं हो सके। क्योंकि अबकी बार सार्वजनिक निर्माण विभाग और नेशनल हाईवे की याचिका पर माननीय न्यायालय ने मामले का निस्तारण होने तक नीलामी पर स्टे कर दिया है

पालिका की नियत पर खड़े हो रहे सवाल

8 मार्च 2021 को होने वाली नीलामी की सार्वजनिक सूचना

इस पूरे प्रकरण में नगरपालिका प्रशासन की नीयत पर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्योंकि नगरपालिका ने भूखंडों की जो नीलामी निकाली उसके अनुसार भूखंड संख्या एक व्यवसायिक भूखण्ड के रूप में नीलाम किया जाना था जबकि भूखंड संख्या 2 से 6 भी नेशनल हाईवे पर स्थित है । बावजूद इसके भूखंड संख्या 2 से 6 को नीलामी में आवासीय के रूप में बेचने की योजना बनाई गयी। ऐसे में सवाल पैदा होता है कि भूखंड संख्या 2 से 6 को व्यवसायिक भूखंड बनाकर क्यों नहीं बेचने की प्लानिंग की गई। क्या यह सीधे तौर पर कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए व्यवसायिक भूखण्डों को आवासीय  के रूप में औने पौने दामों में बेचने का षड्यंत्र प्रतीत नहीं होता। दूसरा सवाल यह खड़ा होता है कि यदि शेष भूखंडों को नगरपालिका आवासीय मानती है तो फिर भूखंडों का साइज 50 गुना ×100 रखने की क्या आवश्यकता थी? इतनी ही जगह में 25 × 50 के करीब 4 गुना भूखंड बनाए जा सकते थे। 25 × 50 के भूखंड नीलाम किए जाते तो सामान्य व्यक्ति भी नीलामी प्रक्रिया में शामिल होते हैं और आम आदमी का खुद की छत का सपना साकार होता। लेकिन ऐसा नहीं किया गया इसका सीधा सा मतलब है कि पालिका प्रशासन इस नीलामी प्रक्रिया में आम लोगों को शामिल नहीं करना चाहता था जिसका मतलब है कि कहीं न कहीं सारी योजना ही धन्ना सेठों के लिए ही बनाई गई थी।

वर्ष 2019 में निकाली गई नीलामी का विज्ञापन

पालिका की बेशकीमती भूमि पर करवाये जा रहे कब्ज़े


वर्तमान में नगरपालिका प्रशासन जहां एक और दूसरे विभागों के स्वामित्व और कब्ज़े वाली बेशकीमती भूमियों को बेचने पर उतारू है। वहीं दूसरी ओर शहर में खुद पालिका प्रशासन अपनी खाली पड़ी भूमि पर सरेआम कब्ज़े करवा रहा हैं । खबर पॉलिटिक्स पर हमने कई बार इन कब्ज़ों के सचित्र समाचार प्रकाशित किये। लेकिन ईमानदारी का मुखौटा पहने लोगों पर कोई असर नहीं हुआ है। भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों की शह के चलते सरकारी भूमि पर माफिया किस्म के लोगों की गिद्ध दृष्टि अब भी गड़ी हुई है। ताजा मामला वार्ड नंबर- 3 में त्रिमूर्ति मंदिर रोड पर नेशनल हाईवे से थोड़ा पहले बने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से सटी भूमि का है । इस भूमि पर कुछ समय भूमाफियाओं ने करीब 50 गुणा 75 साइज़ के चार भूखंडों पर नींव भर कर कब्जा करने के प्रयास किए थे जिसके बाद पालिका प्रशासन ने पिछले दिनों इन भूखंडों पर सरकारी संपत्ति के बोर्ड लगा दिए थे। सूत्रों के हवाले से जो समाचार मिल रहे हैं उसके अनुसार इनमें से एक भूखण्ड पर सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं के एक मुलाजिम ने कब्जा कर रखा था। इस मुलाजिम द्वारा पहले भी शहरी क्षेत्र के खाली पड़े कई भूखंडों को कब्जा कर बेचने के आरोप लगे हैं । सनसिटी रिसोर्ट के पीछे नेशनल हाईवे को त्रिमूर्ति मंदिर रोड से  जोड़ने वाली सड़क पर पश्चिम दिशा में स्थित 80 गुना 80 के भूखंड पर कब्ज़े के मामले में भी इसकी भूमिका बताई जा रही है। सुनने में यह भी आ रहा है कि उक्त भूखंड पर सरकारी संपत्ति का बोर्ड लगाने की कार्रवाई के बाद पालिका प्रशासन को नेताजी ने खूब खरी-खोटी सुनाई। हालात यह है कि नगरपालिका प्रशासन पर दबाव बनाया जा रहा है कि वह  खुद ही इस भूखंड से सरकारी संपत्ति का बोर्ड हटाये। इसलिए आने वाले दिनों में लगभग 50 गुना 75 के इन भूखंडों पर लगे सरकारी संपत्ति के बोर्ड को खुर्द बुर्द कर ये भूखण्ड भू माफियों के हवाले कर दी जाए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी । वैसे पालिका प्रशासन अगर चाहे तो इन भूखंडों की नीलामी कर बड़ी आय भी कर सकता है। परंतु जब बाड़ ही खेत को खाने में लगी हैं तो खेत कैसे बचेगा ?  शहर के ऐसे हालातों को देखकर किसी शायर की ये पंक्तियाँ याद आती हे

हुआ अपहरण धूप का पूरी जनता मौन ।

कोहरा थानेदार हैं रपट लिखाये कौन ।।

-राजेंद्र पटावरी,उपाध्यक्ष- प्रेस क्लब सूरतगढ़।


 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.