डेढ़ माह बाद भी अतिक्रमण को हटाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा प्रशासन
चमन की फिक्र कर नादां मुसीबत आने वाली है । तेरी बर्बादियों के चर्चे हैं आसमानों में ।।
अतिक्रमणो का शहर और बेख़ौफ़ भूमाफिया व लाचार प्रशासन ! वर्तमान में यही शायद सूरतगढ़ शहर की सच्चाई है। लेकिन जिस तरह से आज भूमाफिया शहर में बेख़ौफ़ है ऐसे शायद पहले कभी नही थे ? भूमाफिया लोग कितने पावरफुल है इसका अंदाज़ा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि शहर के वार्डों के बीचोंबीच दिनदहाड़े हुए अतिक्रमण हो रहे है लेकिन प्रशासन ने उनकी ओर से आंखें मूंदे रखी है। हालत इस कदर बुरे है कि मीडिया में अतिक्रमण का मामला उछलने के बावजूद प्रशासन इन अतिक्रमणों को हटाना तो दूर इन अतिक्रमणों की और झांकने की हिम्मत तक नही जुटा पा रहा है । जी हां हम बात कर रहे हैं शहर के वार्ड नम्बर-3 ओर वार्ड नम्बर-20 में बेशकीमती भूखण्डों पर हुए अतिक्रमणों की ।

करीब डेढ़ माह पूर्व हमने खबर पॉलिटिक्स पर वार्ड-3 में नेशनल हाईवे को त्रिमूर्ति मंदिर से जोड़ने वाली सड़क पर खाली पड़े भूखंड पर भूमाफिया द्वारा चारदीवारी कर कब्जा किए जाने का समाचार प्रकाशित किया था। करीब 80 गुना 80 के इस कॉर्नर के प्लॉट की कीमत करीब 40 से 50 लाख की हैं । इतना बेशकीमती भूखण्ड होने के बावजूद करीब डेढ़ माह होने को है लेकिन नगरपालिका प्रशासन ने इस अतिक्रमण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। वार्ड नंबर-3 के इस कब्जे के बारे में जो जानकारी निकल कर आ रही वह काफी हैरान करने वाली है। सूत्रों के मुताबिक इस कब्जे में जिस व्यक्ति का नाम सामने आ रहा है वह पीलीबंगा क्षेत्र के भाजपा के एक बड़े जनप्रतिनिधि का नजदीकी बताया जा रहा है। वैसे इस कब्ज़े में एक महिला जनप्रतिनिधि के पुत्र और सत्ता पक्ष के नेताओं के एक नजदीकी व्यक्ति को भी हिस्सेदार बताया जा रहा है। शायद यही वह वजह है कि इतना समय बीत जाने के बावजूद भूखंड पर अतिक्रमण बदस्तूर कायम है। यही नहीं भूमाफिया के रसूख का असर यहां तक है कि भूखंड पर बिजली का कनेक्शन भी जारी कर दिया गया है।

ठीक ऐसा ही मामला वार्ड नं.-20 में एक भूखण्ड पर हुए अतिक्रमण का है। आज से करीब 4 वर्ष पूर्व में विधायक राजेन्द्र भादू के कब्जों के प्रति सख्त रवैये के चलते इस भूखण्ड पर कब्ज़ा करने के भूमाफ़ियों के प्रयास कामयाब नही हो पाए थे । लेकिन सत्ता बदलते ही यानि कि मास्टर ओमप्रकाश कालवा के चेयरमैन बनते ही भूमाफिया फिर से सक्रिय हो गये। जिसका नतीजा ये हुआ कि पिछले माह भू माफियाओं ने इस भूखंड पर चारदीवारी बनाकर कब्जा कर लिया। मास्टरजी की मजबूरी कहें या फिर कमजोरी, डेढ़ माह बाद इस भूखंड पर भू माफियाओं द्वारा बनाई गयी दीवारें सत्ता में बैठे लोगों को चिढ़ा रही है।
क्या चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा दिखाएंगे दम !
दोनों ही मामलों में नगरपालिका चेयरमैन मास्टर ओमप्रकाश कालवा की चुप्पी ने शहर को बुरी तरह से निराश किया है। अतिक्रमण के मामलेे में उम्मीद की जा रही थी कि साफ छवि वाले मास्टर जी भूू माफियाओं के सामने कुछ आत्मबल दिखाएंगे। लेकिन किसे मालूम था कि काजल की कोठरी की सफाई में उतरे मास्टर जी पर इतनी जल्दी भ्रष्टाचार का रंग चढ जाएगा। वैसे इन अतिक्रमण के चलते मिल परिवार पर भी अतिक्रमण की अनदेखी के आरोप लग रहे हैं। अब देखना यह होगा कि युवा हनुमान मील जोकि मील परिवार की तरफ से विधानसभा चुनाव के एकमात्र दावेदार हैं और मास्टर ओमप्रकाश कालवा जो कि खुद भी राजनीति में लंबी पारी खेलने का सपना पाले हुए हैं,क्या इन भू माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई कर अपनी गिरती हुई साख को बचाते हैं या फिर शहर में सरकारी भूमि की लूट यूं ही जारी रहेगी !
-राजेंद्र पटावरी, उपाध्यक्ष प्रेस क्लब, सूरतगढ़।